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हिमाचल में ओपीएस लागू करने का ये हुआ नुकसान, सुखविंदर सुक्खू सरकार को अब आखिरी तिमाही की लोन लिमिट का इंतजार

हिमाचल को ओपीएस लागू करने का कुछ नुकसान हुआ है. अब प्रदेश की लोन लिमिट घट गई है. पढ़ें पूरी खबर

आखिरी तिमाही की लोन लिमिट का इंतजार
आखिरी तिमाही की लोन लिमिट का इंतजार (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू कर कर्मचारियों का दिल बेशक जीता हो, लेकिन उसका एक नुकसान भी हुआ है. ये नुकसान केंद्र से सेंक्शन होने वाली लोन लिमिट के तौर पर झेलना पड़ा रहा है. हिमाचल में पहले एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम लागू थी, जिसके तहत कर्मचारी के वेतन से कुछ रकम कटती थी व राज्य सरकार भी अपना शेयर डालती थी. उसके बदले केंद्र सरकार राज्य को अच्छी-खासी लोन लिमिट सेंक्शन करती थी.

अब एनपीएस हटने और ओपीएस लागू होने से केंद्र ने लोन लिमिट में नियमों के अनुसार कटौती कर दी है. पहले राज्य को एक साल में करीब डेढ़ हजार करोड़ की लोन लिमिट अगेंस्ट एनपीएस सेंक्शन हो जाती थी. फिर कुल मिलाकर साल भर की लोन लिमिट आठ हजार करोड़ रुपये के करीब हो जाती थी. इस तरह एनपीएस के दौरान डेढ़ हजार करोड़ लोन लिमिट अधिक मिलती थी. इस तरह ओपीएस लागू करने का ये नुकसान उठाना पड़ रहा है.

क्या है लोन लिमिट

लोन लिमिट से तात्पर्य ये है कि राज्य सरकार एक साल में कितना लोन ले सकती है, उसकी लिमिट केंद्र सरकार तय करती है. राज्य सरकार लोन लिमिट के लिए आवेदन करती है और केंद्र उसे सेंक्शन करता है. फिर राज्य सरकार उस लिमिट के दायरे में कर्ज ले सकती है. ये एक साल के लिए होती है. साल में मार्च से दिसंबर व फिर अगली जनवरी से मार्च तक आखिरी तिमाही में अलग से लिमिट सेंक्शन होती है. राज्य सरकार के पास अब केवल 517 करोड़ रुपए की लोन लिमिट बची है.

इस लिमिट को राज्य सरकार दिसंबर के पहले सप्ताह में कर्ज के तौर पर लेगी. फिर जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक की आखिरी तिमाही के लिए लोन लिमिट अलग से सेंक्शन होगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने आवेदन कर दिया है. अब राज्य सरकार को केंद्र से लोन लिमिट सेंक्शन होने का इंतजार है. पिछली बार यानी जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक की आखिरी तिमाही में राज्य को 1700 करोड़ रुपए की लिमिट सेंक्शन हुई थी. इस बार भी इतनी ही रकम की आस है. इससे नए साल के पहले तीन महीने का गुजारा चलाने के लिए कुछ राहत होगी.

सुक्खू सरकार ने आखिरी तिमाही के लिए किया अप्लाई

हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अब मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक की लोन लिमिट के लिए आवेदन कर दिया है.ये आवेदन फाइनेंस डिपार्टमेंट करता है. इससे संबंधित दस्तावेज केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं. वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर तक के लिए 6217 करोड़ के आसपास की लोन लिमिट हिमाचल को मिली थी. इस लिमिट में अब आखिरी 517 करोड़ ही बचे थे. बाकी लिमिट अवेल कर ली गई है.

जल्द ही राज्य सरकार ये लिमिट भी कर्ज के रूप में अवेल कर लेगी. अगले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए लगने वाली खुली बोली से कर्ज की ये रकम राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी. पिछली बार जनवरी से मार्च के दरम्यान आखिरी तिमाही में हिमाचल को 1700 करोड़ की लोन लिमिट मिली थी. फिलहाल, अब राज्य सरकार की नजरें केंद्र से सेंक्शन होने वाली लिमिट पर लगी हुई हैं.

ये भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिले सीएम सुक्खू, हिमाचल के लिए मांगा विशेष औद्योगिक पैकेज

शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने हिमाचल में ओपीएस लागू कर कर्मचारियों का दिल बेशक जीता हो, लेकिन उसका एक नुकसान भी हुआ है. ये नुकसान केंद्र से सेंक्शन होने वाली लोन लिमिट के तौर पर झेलना पड़ा रहा है. हिमाचल में पहले एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम लागू थी, जिसके तहत कर्मचारी के वेतन से कुछ रकम कटती थी व राज्य सरकार भी अपना शेयर डालती थी. उसके बदले केंद्र सरकार राज्य को अच्छी-खासी लोन लिमिट सेंक्शन करती थी.

अब एनपीएस हटने और ओपीएस लागू होने से केंद्र ने लोन लिमिट में नियमों के अनुसार कटौती कर दी है. पहले राज्य को एक साल में करीब डेढ़ हजार करोड़ की लोन लिमिट अगेंस्ट एनपीएस सेंक्शन हो जाती थी. फिर कुल मिलाकर साल भर की लोन लिमिट आठ हजार करोड़ रुपये के करीब हो जाती थी. इस तरह एनपीएस के दौरान डेढ़ हजार करोड़ लोन लिमिट अधिक मिलती थी. इस तरह ओपीएस लागू करने का ये नुकसान उठाना पड़ रहा है.

क्या है लोन लिमिट

लोन लिमिट से तात्पर्य ये है कि राज्य सरकार एक साल में कितना लोन ले सकती है, उसकी लिमिट केंद्र सरकार तय करती है. राज्य सरकार लोन लिमिट के लिए आवेदन करती है और केंद्र उसे सेंक्शन करता है. फिर राज्य सरकार उस लिमिट के दायरे में कर्ज ले सकती है. ये एक साल के लिए होती है. साल में मार्च से दिसंबर व फिर अगली जनवरी से मार्च तक आखिरी तिमाही में अलग से लिमिट सेंक्शन होती है. राज्य सरकार के पास अब केवल 517 करोड़ रुपए की लोन लिमिट बची है.

इस लिमिट को राज्य सरकार दिसंबर के पहले सप्ताह में कर्ज के तौर पर लेगी. फिर जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक की आखिरी तिमाही के लिए लोन लिमिट अलग से सेंक्शन होगी, जिसके लिए राज्य सरकार ने आवेदन कर दिया है. अब राज्य सरकार को केंद्र से लोन लिमिट सेंक्शन होने का इंतजार है. पिछली बार यानी जनवरी 2024 से मार्च 2024 तक की आखिरी तिमाही में राज्य को 1700 करोड़ रुपए की लिमिट सेंक्शन हुई थी. इस बार भी इतनी ही रकम की आस है. इससे नए साल के पहले तीन महीने का गुजारा चलाने के लिए कुछ राहत होगी.

सुक्खू सरकार ने आखिरी तिमाही के लिए किया अप्लाई

हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अब मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक की लोन लिमिट के लिए आवेदन कर दिया है.ये आवेदन फाइनेंस डिपार्टमेंट करता है. इससे संबंधित दस्तावेज केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं. वर्तमान वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर तक के लिए 6217 करोड़ के आसपास की लोन लिमिट हिमाचल को मिली थी. इस लिमिट में अब आखिरी 517 करोड़ ही बचे थे. बाकी लिमिट अवेल कर ली गई है.

जल्द ही राज्य सरकार ये लिमिट भी कर्ज के रूप में अवेल कर लेगी. अगले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए लगने वाली खुली बोली से कर्ज की ये रकम राज्य सरकार के खजाने में आ जाएगी. पिछली बार जनवरी से मार्च के दरम्यान आखिरी तिमाही में हिमाचल को 1700 करोड़ की लोन लिमिट मिली थी. फिलहाल, अब राज्य सरकार की नजरें केंद्र से सेंक्शन होने वाली लिमिट पर लगी हुई हैं.

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