शिमला: आर्थिक संकट में डूबी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने की दिशा में काम करेगी. सरकार ने डिप्टी सीएम की अगुवाई में रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी का गठन किया है. कमेटी की मंगलवार को बैठक हुई. इस बैठक में फिजूल के खर्च रोकने पर सहमति हुई. बदहाल आर्थिक हालात का आलम ये है कि हिमाचल प्रदेश के हर नागरिक पर ₹1.16 लाख से अधिक कर्ज है. कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. मीटिंग में तय किया गया कि सरकारी खर्च कम करने का प्रयास होगा. सरकारी गाड़ियों के पेट्रोल का खर्च कम किया जाएगा. रेशनेलाइजेशन पर जोर रखा जाएगा.
मीडिया से बात में कैबिनेट सब-कमेटी के सदस्य और कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा बजट का बड़ा हिस्सा लोन की किश्त और ब्याज चुकाने में जा रहा है. आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए सख्त निर्णय लेने पड़ सकते हैं. निशुल्क सेवाओं में भी कटौती हो सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार का स्ट्रक्चर पिरामिड की तरह होना चाहिए था, लेकिन ये इन्वर्टेड पिरामिड की तरह बन चुका है.
मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि सरकारी विभागों में अफसरों का युक्तिकरण समय की जरूरत है. जिस विभाग में 10 अधिकारी हैं, वहां जरूरत के हिसाब से कम अफसर रखे जाएंगे. इस पर सरकार काम करेगी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से 2022 के बीच 16 साल में क्लास वन यानी गजेटिड ऑफिसर की संख्या में 62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस वर्ग के ऑफिसर कम करके जरूरत के हिसाब से फील्ड व लोअर स्टाफ बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा.
विरासत में मिला 80 हजार करोड़ का ऋण: कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनी तब राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपए का ज्यादा का कर्ज था. फिर 31 मार्च 2023 तक यह ₹86,589 करोड़ हो गया था. 10 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी लंबित है. रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट लगातार कम हो रही है. 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को इस मद में 40624 करोड़ रुपए मिले थे. 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गई. साल 2021-22 में ये ग्रांट 10249 करोड़ मिली थी और अब ये 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी. इससे अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है. इसके अलावा जीएसटी की प्रतिपूर्ति राशि भी केंद्र सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की है. इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, टीसीपी मिनिस्टर राजेश धर्माणी सदस्य हैं. इस से पहले भी वीरभद्र सिंह सरकार के दौर में ऐसी ही कमेटी बनाई गई थी. उस कमेटी के मुखिया पहले कौल सिंह थे, लेकिन बाद में कमेटी का जिम्मा विद्या स्टोक्स को दिया गया था. लेकिन उस कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया और न ही उस पर अमल हुआ था.
ये भी पढ़ें: बजट में हिमाचल की हुई अनदेखी, सीएम सुक्खू ने केंद्र सरकार पर लगाया भेदभाव करने का आरोप