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सूफी साहित्य के महारथी साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह का निधन, सीएम योगी ने जताया शोक - डॉ कन्हैया सिंह निधन

लखनऊ के एक निजी अस्पताल में प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह (Dr Kanhaiya Singh passed away) का निधन हो गया. वह 88 साल के थे. कई दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 2, 2024, 7:52 AM IST

लखनऊ : प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कई दिनों से उनकी तबीयत खराब थी. लखनऊ के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है. डॉ. कन्हैया यूपी भाषा संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक भी रह चुके थे.

मुख्यमंत्री योगी ने शोक जताते हुए कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह का निधन परिवार और साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है. उनके बेटे चित्रसेन सिंह को सीएम ने पत्र लिखकर शोक जताया. कहा कि पिता का निधन किसी भी पुत्र के लिए अत्यंत दुखदाई होता है.

डॉ कन्हैया सिंह को सूफी साहित्य का बड़ा महारथी माना जाता था. वह पाठ-संपादन एवं सूफी काव्य के विद्वान के रूप में हिन्दी जगत में प्रसिद्ध थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था. डॉ. कन्हैया सिंह एमए, एलएलबी, पीएचडी, डीलिट् आदि की डिग्री हासिल की थी.

Dr Kanhaiya Singh passed away
Dr Kanhaiya Singh passed away

हमेशा पुस्तकों में खोए रहते थे डॉ. कन्हैया सिंह : डॉ. कन्हैया सिंह हिदी साहित्य के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों में से एक थे. वह जब 35 वर्ष के थे तो उन्होंने आजमगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया था. लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने बताया कि डॉ. कन्हैया सिंह हमेशा से किसी तरह के आडंबर से दूर रहने वाले व्यक्तियों में से एक थे.

वह ज्यादातर समय लाइब्रेरी में पुस्तकों में खोए रहते थे. हिदी साहित्य के पाठानुसंधान और सूफी साहित्य के राष्ट्रीय स्तर के जानकार थे. इसके अतिरिक्त कहानी, संस्मरण, निबंध और आलोचना की कुल 40 से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजनकर हिदी साहित्य को समृद्ध करने का कार्य हमेशा से किया.

सामाजिक-राजनीतिक जीवन में रहे सक्रिय : उन्होंने साहित्यिक सक्रियता के साथ ही सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी काफी सक्रिय रहे. वह अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके थे. वह वर्तमान में राष्ट्रीय संरक्षक के दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं.

Dr Kanhaiya Singh passed away
Dr Kanhaiya Singh passed away

जीवन के अंतिम समय में भी वह साहित्य से जुड़े हुए थे. प्रो. अग्रवाल ने बताया कि उनका करियर विधि प्रवक्ता के रूप में हुआ था. अपने अध्यापकीय जीवन शुरू करते हुए हिन्दी के प्रवक्ता-रीडर अध्यक्ष, प्राचार्य, आदि दायित्वों का उन्होंने बखूबी निर्वहन किया.

डॉ. कन्हैया की चर्चित पुस्तकें : सूफी काव्य : सांस्कृतिक अनुशीलन, युगद्रष्टा मलिक मुहम्मद जायसी’, उदार इस्लाम का सूफी चेहरा, पाठ-सम्पादन के सिद्धान्त, हिन्दी पाठानुसन्धान, जायसीकृत ‘पद्मावति : मूल पाठ और टीका, मध्यकालीन अवधी का विकास, साहित्य और संस्कृति (निबन्ध-संग्रह), वेदना के संवाद’ (ललित निबन्ध), अंधेरे के अध्याय (संस्मरण) आदि.

इन पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का साहित्य महोपाध्याय.

यह भी पढ़ें : कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं मोबाइल की लत, संस्कारों से दूर कर रहा सोशल मीडिया एडिक्शन, करें यह उपाय

लखनऊ : प्रख्यात साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कई दिनों से उनकी तबीयत खराब थी. लखनऊ के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है. डॉ. कन्हैया यूपी भाषा संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक भी रह चुके थे.

मुख्यमंत्री योगी ने शोक जताते हुए कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह का निधन परिवार और साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है. उनके बेटे चित्रसेन सिंह को सीएम ने पत्र लिखकर शोक जताया. कहा कि पिता का निधन किसी भी पुत्र के लिए अत्यंत दुखदाई होता है.

डॉ कन्हैया सिंह को सूफी साहित्य का बड़ा महारथी माना जाता था. वह पाठ-संपादन एवं सूफी काव्य के विद्वान के रूप में हिन्दी जगत में प्रसिद्ध थे. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था. डॉ. कन्हैया सिंह एमए, एलएलबी, पीएचडी, डीलिट् आदि की डिग्री हासिल की थी.

Dr Kanhaiya Singh passed away
Dr Kanhaiya Singh passed away

हमेशा पुस्तकों में खोए रहते थे डॉ. कन्हैया सिंह : डॉ. कन्हैया सिंह हिदी साहित्य के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों में से एक थे. वह जब 35 वर्ष के थे तो उन्होंने आजमगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया था. लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रो. पवन अग्रवाल ने बताया कि डॉ. कन्हैया सिंह हमेशा से किसी तरह के आडंबर से दूर रहने वाले व्यक्तियों में से एक थे.

वह ज्यादातर समय लाइब्रेरी में पुस्तकों में खोए रहते थे. हिदी साहित्य के पाठानुसंधान और सूफी साहित्य के राष्ट्रीय स्तर के जानकार थे. इसके अतिरिक्त कहानी, संस्मरण, निबंध और आलोचना की कुल 40 से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजनकर हिदी साहित्य को समृद्ध करने का कार्य हमेशा से किया.

सामाजिक-राजनीतिक जीवन में रहे सक्रिय : उन्होंने साहित्यिक सक्रियता के साथ ही सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी काफी सक्रिय रहे. वह अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके थे. वह वर्तमान में राष्ट्रीय संरक्षक के दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं.

Dr Kanhaiya Singh passed away
Dr Kanhaiya Singh passed away

जीवन के अंतिम समय में भी वह साहित्य से जुड़े हुए थे. प्रो. अग्रवाल ने बताया कि उनका करियर विधि प्रवक्ता के रूप में हुआ था. अपने अध्यापकीय जीवन शुरू करते हुए हिन्दी के प्रवक्ता-रीडर अध्यक्ष, प्राचार्य, आदि दायित्वों का उन्होंने बखूबी निर्वहन किया.

डॉ. कन्हैया की चर्चित पुस्तकें : सूफी काव्य : सांस्कृतिक अनुशीलन, युगद्रष्टा मलिक मुहम्मद जायसी’, उदार इस्लाम का सूफी चेहरा, पाठ-सम्पादन के सिद्धान्त, हिन्दी पाठानुसन्धान, जायसीकृत ‘पद्मावति : मूल पाठ और टीका, मध्यकालीन अवधी का विकास, साहित्य और संस्कृति (निबन्ध-संग्रह), वेदना के संवाद’ (ललित निबन्ध), अंधेरे के अध्याय (संस्मरण) आदि.

इन पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का साहित्य महोपाध्याय.

यह भी पढ़ें : कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं मोबाइल की लत, संस्कारों से दूर कर रहा सोशल मीडिया एडिक्शन, करें यह उपाय

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