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एक बागवां ऐसा भी! शौक के चक्कर में छोड़ी नौकरी, सुने अपनों के तानें, जब बनाया फूलों का संसार तो... - SUCCESS STORY OF RAM VILAS SINGH

हरियाणा के करनाल निवासी रामविलास सिंह ने नौकरी छोड़कर बागवानी की. शुरुआती दौर में उनको काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा.

Ram Vilas Singh Flower Gardening
एक बागवां ऐसा भी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 19, 2024, 2:14 PM IST

करनाल: "शौक जो न करा दे..." शौक के चक्कर में एक शख्स ने पहले तो अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ी फिर लोगों के उलाहने सुने. लेकिन अपना शौक नहीं छोड़ा. आलम यह है कि अब जो लोग उलाहने देते थे, वही लोग तारीफ करते नहीं थकते. दरअसल हम बात कर रहे हैं करनाल जिले के रामविलास की. रामविलास को बागवानी काफी पसंद है. बागवानी के शौक ने आज उनको मशहूर कर दिया है. अब तो ये बागवानी के तरीके और लाभ सोशल मीडिया और यू ट्यूब के जरिए लोगों को बताते हैं.

नौकरी छोड़ शुरू कर दी बागवानी: करनाल निवासी रामविलास सिंह पहले ठेकेदारी का काम करते थे. हालांकि उनका मन कहीं और था. वो ठेकेदार नहीं बल्कि बागवां बनना चाहते थे. अचानक एक दिन उनको बागवानी का ऐसा शौक सिर चढ़ा कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी. साल 2006 में नौकरी छोड़कर वो अपना शौक पूरा करने चल दिए. पहले वो अपने घर की छत पर ही कुछ फूल के पौधे लगाए. हालांकि बाद में वो फूलों के पौधों से न सिर्फ पूरा गार्डन तैयार कर दिए बल्कि घर के चार मंजिला को भी अलग-अलग फूलों के पौधों से सजा डाला. इनके घर में हजारों गमले, पुरानी बाल्टी, मिट्टी और सीमेंट के बर्तन, ड्रम में अलग-अलग फूलों के पौधे लगे हैं, जो दूर से ही लोगों को आकर्षित करते हैं.

रामविलास सिंह की सक्सेस स्टोरी (ETV Bharat)

सजा रखा है फूलों का संसार: अब रामविलास का काम हर दिन उठ कर रंग बिरंगे फूलों के पौधों की देखभाल करना है. इन्होंने अपने आस-पास फूलों का संसार सजा रखा है. रामविलास कहते हैं कि करीब 26 साल पहले उनके पास करनाल के सेक्टर 13 में किराए के मकान था. उसी मकान की छत पर पुराने आठ छोटे गमलों से उन्होंने शुरुआत की थी. कारवां 8 गमलों से 8 हजार गमलों तक जा पहुंचा. गमलों की संख्या अब 8 हजार से भी अधिक हो गई है. आलम यह है कि अब इनके खूबसूरत बगीचे को देखने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ही नहीं बल्कि इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों से भी लोग आते हैं और अलग-अलग तरह के फूलों के पौधे खरीदकर अपने देश ले जाते हैं.

मुझे बचपन से ही बागवानी का शौक रहा है, लेकिन कोरोना के बाद मैंने अपने इस शौक को व्यवसाय में बदला, क्योंकि काफी लोगों को इसके प्रति जागरूक करना भी बहुत जरूरी था. फूलों के प्रति मेरा आकर्षण कभी खत्म नहीं होता. जब भी मैं रंग-बिरंगे फूल देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मैं भी इसका कोई पौधा लेकर अपने घर में लगा लूं. इसी तरह मैंने बागवानी शुरू की. धीरे-धीरे पेड़-पौधों की संख्या बढ़ती गई. आज पूरा बगीचा तैयार है. -रामविलास सिंह, बागवां

आवश्यकता अविष्कार की जननी: राम विलास कहते हैं कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. आवश्यकता पड़ने पर इंसान कुछ भी कर सकता है. पहले जगह नहीं थी. किराए का मकान था, जिसकी छत का मैंने सहारा लिया. अब अपना मकान और छत भी है. इन छतों पर फूलों के ढ़ेर सारे पौधे भी हैं. मेरे यहां फूलों का विशाल संग्रह. मेरे छत पर सैकड़ों प्लास्टिक की बाल्टियां, कंटेनर और गमले गुड़हल, चमेली, गुलाब, आर्किड, सूरजमुखी, डहलिया, कैक्टस, पेटुनिया, बोगनविलिया, गुलदाउदी, डायन्थस, सिनेरिया और कई तरह के फूलों से सजे हैं. केवल गुलदाउदी पौधे की 100 प्रकार की अलग-अलग किस्में है, जो पूरे हरियाणा में शायद ही किसी के पास हों. छत पर फूलों का एक अलग संसार बसा हुआ है, जो स्वर्ग जैसा दिखता है.

टेरिस वाला कॉन्सेप्ट: रामविलास बताते हैं कि मेरे यहां लगे ये सभी पौधे घर पर बने खाद और उर्वरकों का उपयोग करके जैविक तरीके से उगाए जाते हैं. पेड़-पौधों से टूटे हुए पत्तों को उर्वरकों में मिला कर खाद को तैयार किया जाता है. मकान किसी का 50 गज का हो या 500 गज का, छत सबकी खाली रहती है. ज्यादातर छतों पर गंदगी ही रहती है. आज आप अपनी हर जरूरत की चीज को अपने छतों पर उगा सकते हैं. चाहे फूल हो, फल हो या सब्जियां.

खराब वायु गुणवत्ता के बावजूद, मेरा परिवार घर पर बेहतर हवा में सांस लेता है. मुझे उम्मीद है कि लोगों को अपने आस-पास हरियाली रखने का महत्व समझ में आएगा. लोगों से अपील है कि वे अपने घर की छत पर या आस-पास खाली जगह में पौधे लगाएं. इससे आपके आसपास का माहौल स्वच्छ रहेगा.- रामविलास सिंह, बागवां

बता दें कि रामविलास आने वाले सालों में अपने संग्रह में और भी किस्में जोड़ने की योजना बना रहे हैं. वो लोगों को पौधे उगाने के लिए प्रेरित करेंगे, जिससे शहर में वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी. रामविलास लोगों को फूलों के बीज, पौधे बेचते हैं. इनके ग्राहक विदेश से भी आते ही. रामविलास सोशल मीडिया और यू ट्यूब के जरिए भी लोगों को बागवानी के गुण सीखाते हैं. साथ ही पौधों से संबंधित जरूरी जानकारियां देते हैं.

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