फरीदाबाद: केन्द्र सरकार की ओर से खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ियों को हर साल सम्मानित किया जाता है. इस साल भी खिलाड़ियों को सम्मानित किया जा रहा है. इस साल 32 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड मिलने जा रहा है, जिसमें से एक हैं पैरालंपिक खिलाड़ी प्रणव सुरमा. प्रणव सुरमा फरीदाबाद के रहने वाले हैं. वह पैरालंपिक में क्लब थ्रो के खिलाड़ी हैं. प्रणव ने पैरालंपिक में कई मेडल अपने नाम किए हैं. पैरालंपिक के क्लब थ्रो में वर्ल्ड रिकॉर्ड भी प्रणव सुरमा के नाम रहा. यही कारण है कि अब वो अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किए जा रहे हैं.
पहले नहीं थी खेल में रुचि: ईटीवी भारत ने प्रणव सुरमा और उनके माता पिता से खास बातचीत की. बातचीत के दौरान प्रणव सुरमा ने बताया कि साल 2011 में मेरा एक्सीडेंट हुआ था. हादसे में मेरी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह खराब हो गई, जिसके बाद व्हीलचेयर के सहारे ही मैं रहता हूं. खेल में मेरी रुचि नहीं थी, लेकिन साल 2018-19 में मुझे इस खेल के बारे में पता चला तो मैंने सोचा क्यों ना इस खेल को खेला जाए, ताकि मेरा फिजिकल एक्टिविटी ठीक रहे. फिजिकल एक्टिविटी के लिए ही मैंने खेलना शुरू किया. इसके बाद कोरोना आ गया. कोरोना काल में घर में ही रहा और खेल से दूर हो गया.
कोच ने पैरालंपिक के बारे में बताया: प्रणव सुरमा ने आगे कहा कि कोरोना के बाद साल 2022 में जो मेरे मौजूदा कोच हैं, नवल सिंह, उनसे मेरी मुलाकात हुई. उन्होंने मुझे पैरालंपिक खेल के बारे में बताया और मुझे ट्रेंड करना शुरू किया. इसके बाद मेरा खेल के प्रति और भी रुझान बढ़ा. लगातार देश-विदेश में मैं मेडल जीतने लगा. पैरालंपिक में मेडल जीता. एशियाई गेम में मेडल जीता. इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसी का नतीजा है कि आज मुझे अर्जुन अवॉर्ड मिलने जा रहा है. मैंने अभी तक लगभग 35 मेडल जीते हैं, जिसमें स्टेट से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल मेडल शामिल है. मैंने एक रिकॉर्डिंग ब्रेक किया है. पैरालंपिक में जाने से पहले ट्रायल चल रहा था, जिसमें मैंने 37.23 मीटर थ्रो किया, जो अभी तक का वर्ल्ड रिकॉर्ड है.
एक्सीडेंट के बाद मेरी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. कुछ लोगों ने सपोर्ट किया, तो कुछ लोगों ने ताने मारे, लेकिन फिर भी मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि मेरे साथ मेरे परिवार का सपोर्ट था. जब मैं अच्छा खेलने लगा तो सरकार की ओर से भी बेस्ट ट्रेनिंग के लिए सहायता मिलने लगी. इसी का नतीजा है कि अब मुझे अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने जा रहा हूं. -प्रणव सुरमा, पैरालंपिक खिलाड़ी
सोचा नहीं था कि बेटा इस मुकाम पर पहुंचेगा: बातचीत के दौरान प्रणव सुरमा के पिता संजय सुरमा ने कहा कि मुझे बहुत प्राउड महसूस हो रहा है, क्योंकि मेरे बेटे को अर्जुन अवार्ड मिलने जा रहा है. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरा बेटा इस मुकाम पर पहुंचेगा. एशियन गेम्स में गोल्ड पैरालंपिक में सिल्वर मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेगा.
खुद करनी पड़ती है मेहनत: इस उपलब्धि को लेकर प्रणव सुरमा की मां दीपिका सुरमा ने कहा कि इस सफलता का श्रेय प्रणव को जाता है, क्योंकि प्रणव अगर मेहनत नहीं करता, तो हमारा सपोर्ट भी व्यर्थ जाता. प्रणव हो चाहे कोई और, जिसको अपना लक्ष्य प्राप्त करना होता है, उसे खुद ही मेहनत करनी पड़ती है. प्रणव ने भी मेहनत की, जिसका नतीजा आज यह है कि प्रणव को अर्जुन अवॉर्ड मिलने जा रहा है. प्रणव के एक्सीडेंट के बाद कठिनाइयां तो आई लेकिन फिर भी हमने और प्रणव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
एक्सीडेंट के बाद भी नहीं मानी हार: प्रणव सुरमा ने साल 2022 में ट्यूनिस ग्रैंड प्रिक्स खेल में स्वर्ण और रजत पदक पर कब्जा किया था. इसके अलावा साल 2022 में आयोजित एशियाई पैरा खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त किया. वहीं, साल 2024 चेक इंटरनेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर कब्जा किया. इसके अलावा साल 2024 में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान प्राप्त किया.
पेरिस ओलंपिक में जीता रजत पदक: साल 2024 में उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में रजत पदक पर कब्जा जमाया. एक्सीडेंट के बाद प्रणव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम पूरा करने के बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमकॉम की डिग्री हासिल की. पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2020 में उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया. जॉब के साथ ही प्रणव को पूरा फोकस खेल पर रहा. यही कारण है कि अब प्रणव को अर्जुन अवार्ड मिलने जा रहा है.
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