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'छिपकर मिलने आती थी मां, वर्दी में करूंगी सैल्यूट', जानिए देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा की दिलचस्प कहानी - Bihar Transgender Daroga

Transgender Success Story : कई ऐसी कहानी होती है जो हमें प्रेरणा दे जाती हैं. कुछ ऐसा ही वाक्या देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनीं मधु के साथ हुआ है. क्या है पूरी कहानी आगे पढ़ें खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 10, 2024, 5:50 PM IST

पटना : इसे खुद पर भरोसा करना कहें या जीतने की लगन, समाज को आइना दिखाना कहें या दूसरों के लिए पथ प्रदर्शक बनना, आपके मन में जो आए मधु को उस रूप से पुकार लें. आपके हर सवाल का जवाब मानवी मधु की कहानी देता है.

संघर्ष से भरी मानवी मधु कश्यप की कहानी : जब देश के पहले ट्रांसजेंडर दारोगा की बात आयी, तो जो नाम सामने आया वह नाम था मानवी मधु कश्यप का. मधु की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. इसमें ड्रामा है, एक्शन है, ट्रेजडी है, पूरी कहानी संघर्ष से भरी हुई है.

सफलता से झूम उठी मानवी मधु : बांका की रहने वालीं मानवी मधु कश्यप का चयन बिहार के दारोगा के लिए हुआ है. जिन 3 ट्रांसजेंडरों का सिलेक्शन बिहार अवर निरिक्षक के रूप में हुआ है, उसमें दो ट्रांसमेन हैं और मानवी मधु अकेली ट्रांसवुमेन हैं. मधु अपनी सफलता से फूले नहीं समा रही है.

मधु को मिठाई खिलाते गुरु रहमान.
मधु को मिठाई खिलाते गुरु रहमान. (ETV Bharat)

समाज से कटना शुरू हुईं मधु : अब जरा मानवी के संघर्ष भरी कहानी का रुख करते हैं. चार भाई बहनों में सबसे बड़ी मधु के सिर से पिता का साया बहुत जल्दी ही उठ गया था. कक्षा 9 में थीं तब पता चला कि वह सामान्य लड़का नहीं हैं. इसके बाद धीरे-धीरे वह समाज से कटना शुरू हुईं. हालांकि परिवार की जिम्मेदारी को भी अच्छी तरह समझती रही.

9 साल से अपने गांव नहीं गई मानवी : समाज के डर से खुद की पहचान छिपाने के लिए उन्होंने अपने बदन पर दुपट्टा ओढ़ा था, पर अब कह रही हैं कि उसे शान से लहराएंगी. समाज की बेरुखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मानवी की मां उससे मिलने के लिए छिपकर पटना आती थीं. ताकि किसी को कुछ पता नहीं चले. मानवी भी 9 साल से अपने गांव नहीं गई है.

अपने गुरु रहमान के साथ मानवी.
अपने गुरु रहमान के साथ मानवी. (ETV Bharat)

6 महीने बेड रेस्ट पर रही मधु : ऐसा नहीं है कि मानवी को पहली बार में ही सफलता मिल गई. वर्ष 2022 में उन्हें असफलता का सामना भी करना पड़ा खा. मद्य निषेध विभाग में सिपाही के लिए लिखित परीक्षा तो निकाल ली, लेकिन फिजिकल में 11 सेकंड से चूक गईं. उस दौरान उनका सर्जरी हुआ था और 6 महीने बेड रेस्ट पर थी.

मां को वर्दी में करुंगी सैल्यूट : कहते हैं जब सफलता आपके कदम चूमें, तो जश्न मनाना भी चाहिए. कुछ ऐसा ही मानवी मधु कर रही है. उन्होंने कहा कि, ''अब अपने गांव वर्दी में जाऊंगी और सभी से कहूंगी कि मुझे ट्रांसजेंडर होने का कोई शर्म नहीं है. मां को वर्दी में सैल्यूट करुंगी.''

मधु कश्यप का सफर : बता दें कि, बांका के पंजवारा की रहने वाली मानवी मधु की प्रारंभिक शिक्षा एसएस संपोषित हाई स्कूल पंजवारा से हुई है. इंटरमीडिएट सीएनडी कॉलेज और तिलकामांझी यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में उन्होंने ग्रेजुएशन किया है. उनके पिता स्वर्गीय नरेंद्र प्रसाद सिंह जबकि माता माला देवी हैं.

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संघर्ष से भरी मानवी मधु कश्यप की कहानी : जब देश के पहले ट्रांसजेंडर दारोगा की बात आयी, तो जो नाम सामने आया वह नाम था मानवी मधु कश्यप का. मधु की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. इसमें ड्रामा है, एक्शन है, ट्रेजडी है, पूरी कहानी संघर्ष से भरी हुई है.

सफलता से झूम उठी मानवी मधु : बांका की रहने वालीं मानवी मधु कश्यप का चयन बिहार के दारोगा के लिए हुआ है. जिन 3 ट्रांसजेंडरों का सिलेक्शन बिहार अवर निरिक्षक के रूप में हुआ है, उसमें दो ट्रांसमेन हैं और मानवी मधु अकेली ट्रांसवुमेन हैं. मधु अपनी सफलता से फूले नहीं समा रही है.

मधु को मिठाई खिलाते गुरु रहमान.
मधु को मिठाई खिलाते गुरु रहमान. (ETV Bharat)

समाज से कटना शुरू हुईं मधु : अब जरा मानवी के संघर्ष भरी कहानी का रुख करते हैं. चार भाई बहनों में सबसे बड़ी मधु के सिर से पिता का साया बहुत जल्दी ही उठ गया था. कक्षा 9 में थीं तब पता चला कि वह सामान्य लड़का नहीं हैं. इसके बाद धीरे-धीरे वह समाज से कटना शुरू हुईं. हालांकि परिवार की जिम्मेदारी को भी अच्छी तरह समझती रही.

9 साल से अपने गांव नहीं गई मानवी : समाज के डर से खुद की पहचान छिपाने के लिए उन्होंने अपने बदन पर दुपट्टा ओढ़ा था, पर अब कह रही हैं कि उसे शान से लहराएंगी. समाज की बेरुखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मानवी की मां उससे मिलने के लिए छिपकर पटना आती थीं. ताकि किसी को कुछ पता नहीं चले. मानवी भी 9 साल से अपने गांव नहीं गई है.

अपने गुरु रहमान के साथ मानवी.
अपने गुरु रहमान के साथ मानवी. (ETV Bharat)

6 महीने बेड रेस्ट पर रही मधु : ऐसा नहीं है कि मानवी को पहली बार में ही सफलता मिल गई. वर्ष 2022 में उन्हें असफलता का सामना भी करना पड़ा खा. मद्य निषेध विभाग में सिपाही के लिए लिखित परीक्षा तो निकाल ली, लेकिन फिजिकल में 11 सेकंड से चूक गईं. उस दौरान उनका सर्जरी हुआ था और 6 महीने बेड रेस्ट पर थी.

मां को वर्दी में करुंगी सैल्यूट : कहते हैं जब सफलता आपके कदम चूमें, तो जश्न मनाना भी चाहिए. कुछ ऐसा ही मानवी मधु कर रही है. उन्होंने कहा कि, ''अब अपने गांव वर्दी में जाऊंगी और सभी से कहूंगी कि मुझे ट्रांसजेंडर होने का कोई शर्म नहीं है. मां को वर्दी में सैल्यूट करुंगी.''

मधु कश्यप का सफर : बता दें कि, बांका के पंजवारा की रहने वाली मानवी मधु की प्रारंभिक शिक्षा एसएस संपोषित हाई स्कूल पंजवारा से हुई है. इंटरमीडिएट सीएनडी कॉलेज और तिलकामांझी यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में उन्होंने ग्रेजुएशन किया है. उनके पिता स्वर्गीय नरेंद्र प्रसाद सिंह जबकि माता माला देवी हैं.

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