कानपुर: आपने बाजारों में बिकने वाले ब्रेड मक्खन और मट्ठे का स्वाद तो खूब चखा होगा. लेकिन शायद ही आपने मीठे मलाई मक्खन का स्वाद कभी लिया हो इस मक्खन की खास बात यह है कि यह मुंह में रखते ही कब गायब हो जाएगा आपको पता भी नही चलेगा. कानपुर शहर में शुक्ला जी की दुकान इस मीठे मलाई मक्खन को लेकर लोगों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है. इनके यहां के मलाई मक्खन का स्वाद पंडित जवाहर नेहरू भी चख चुके है. आइए जानते हैं क्या है शुक्ला जी के मीठे मलाई मक्खन की कहानी. कितने सालों से तैयार कर रहे है ये स्पेशल डिश.
आज शहर में है तीन दुकानें: ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान दवा मार्केट नयागंज निवासी हर किशोर शुक्ला ने बताया कि, इस मीठे मलाई मक्खन को तैयार करने का हुनर उन्होंने अपने पिता हर दयाल शुक्ला से सीखा था. एक समय था जब वह इस मक्खन को तैयार करने के बाद ठेले पर रखकर शहर में फेरी लगाते थे. लेकिन उन्हें कभी नहीं मानी और वह लगातार पूरी मेहनत और लगन के साथ इस काम में लग रहे थे. करीब 65 सालों के संघर्ष के बाद आज उनके कानपुर शहर में तीन आउटलेट है. जहां पर इस स्पेशल मीठे मलाई मक्खन को तैयार किया जाता है.
शुक्ला जी बताते हैं, कि सन 1970 में उन्हें एयर फोर्स में नौकरी करने का भी मौका मिला. लेकिन, उन्हें अपने इस व्यापार को लेकर काफी ज्यादा रुचि और लगाव था. जिस वजह से उन्होंने नौकरी को ठुकरा दिया और पूरे जोश और जुनून के साथ वह इस व्यापार को करते रहे. उसका नतीजा यह है, कि आज शुक्ला जी की दुकान पर रोजाना अच्छी खासी संख्या में लोग इस मलाई मक्खन का स्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. उन्हें बेहद खुशी होती है, कि शहर में आज वह लोग के बीच शुक्ला जी मक्खन वाले के नाम से चर्चित हैं.
मक्खन हल्का मीठा और मेवे से है भरपूर: ईटीवी भारत संवाददाता से खास बातचीत के दौरान हर किशोर शुक्ला ने बताया कि, करीब 30 सालों तक ठेले पर फेरी लगाने के बाद उन्हें एक बगल में ही दुकान मिल गई.जिसके बाद उन्होंने उस दुकान से इस मलाई मक्खन को बेचने का कारोबार शुरू किया और देखते ही देखते यह मक्खन लोगों के बीच इतना ज्यादा लोकप्रिय हो गया, कि आज जिस दुकान से शुक्ला जी ने इस व्यापार को शुरू किया था. वहां पर उन्होंने एक मंदिर का निर्माण करा दिया. उसके ठीक सामने ही एक नए आउटलेट खोला और आज वह रोजाना उस मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना भी करते हैं. उन्होंने बताया कि, उनके द्वारा तैयार इस मक्खन के लोग इसलिए दीवाने हैं, कि यह मक्खन हल्का मीठा और मेवे से भरपूर होता है. जिसे लोग जैसे ही अपने मुंह में रखते हैं, तो यह कब गायब हो जाता है लोगों को पता ही नहीं चलता. यह मक्खन बाजारों में मिलने वाले मक्खन से काफी ज्यादा हल्का होता है. इसे तैयार करने में काफी ज्यादा मेहनत भी लगती है.
पंडित जवाहरलाल नेहरू भी चख चुके हैं मक्खन का स्वाद: हरि किशोर शुक्ल ने बताया कि जब उनके पिता हरदयाल शुक्ला इस मक्खन को तैयार करके बेचते थे. तो उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू भी इस मक्खन का स्वाद लेने के लिए आते थे. उनका कहना है, कि जब भी वह कभी कानपुर आते थे तो पिताजी के हाथ का तैयार मलाई मक्खन का स्वाद लेने के लिए जरूर आते थे. उन्हें यह मक्खन काफी ज्यादा प्रिया भी था. आज जब वह इस कारोबार को कर रहे हैं तो उनके पास भी रोजाना कई जिलों से लोग इस मक्खन का स्वाद लेने के लिए हर रोज पहुंचते हैं.
चार प्रकार की कुल्फी भी है बेहद चर्चित: हर किशोर शुक्ला ने बताया, कि उनके यहां पर इस मीठे मलाई एक मक्खन के अलावा चार प्रकार की कुल्फी भी तैयार की जाती है, जोकि लोगों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय भी है. लोग इसके काफी दीवाने भी हैं. जो चार प्रकार की कुल्फी हमारे यहां तैयार की जाती है उनमें मैंगो कुल्फी, फ़लूदा कुल्फी, मिक्स फ्रूट कुल्फी, ठंडाई कुल्फी शामिल है. इन कुल्फियों का स्वाद लेने के लिए हमारे पास रोजाना अच्छी खासी संख्या में ग्राहक आते हैं.
आइए जानते हैं कैसे तैयार होता है यह स्पेशल मक्खन: इस मक्खन को तैयार करने के लिए सबसे पहले दूध को एक कढ़ाई में डालकर करीब 1 घंटे तक खौलाते हैं. उसके बाद इस दूध को ठंडा करके अलग रख देते हैं. जब यह दूध बिल्कुल ठंडा हो जाता है, तो इसे फ्रीजर में रख देते हैं और अगले दिन सुबह इस दूध को बाहर निकाल लेते है. फिर एक कढ़ाई में दूध और बर्फ डालकर उसे लकड़ी की मथानी से मथते हैं. दूध जितना ठंडा होता है, मक्खन उतना ही अच्छा निकलता है. जब इससे मक्खन निकल आता है, तो उसमें इलायची,पिस्ता,केसर, हल्की चीनी मिलाते हैं. जिसके बाद यह मीठा और स्पेशल मक्खन तैयार हो जाता है.
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