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सब्सिडी राशि के 2.67 लाख रुपए कम करे फाइनेंस कंपनी, हर्जाने के 1.10 लाख रुपए भी दे - SUBSIDY NOT GIVEN TO CONSUMER

जिला उपभोक्ता आयोग ने पीएम आवास योजना के तहत उपभोक्ता को सब्सिडी नहीं देने पर हर्जाने के 1.10 लाख देने का आदेश दिया है.

District Consumer commission
जिला उपभोक्ता आयोग (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 4, 2024, 10:06 PM IST

जयपुर: जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने परिवादी उपभोक्ता को उसके हाउसिंग लोन पर प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत मिलने वाली 2.67 लाख की सब्सिडी नहीं देने को सेवा दोष करार दिया है. वहीं विपक्षी जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस व ब्रांच मैनेजर सुखेन्द्र आचार्य व अन्य को निर्देश दिया है कि वे परिवादी के हाउसिंग लोन में से सब्सिडी की राशि 2.67 लाख रुपए कम करे. वहीं विपक्षी के इस सेवा दोष के लिए उस पर 1.10 लाख रुपए हर्जाना भी लगाया है. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश पूजा डाबला के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि परिवादिया ने 2019 में फ्लैट खरीदने के लिए विपक्षी फाइनेंस कंपनी से 18.93 लाख रुपए का हाउसिंग लोन 8.43 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से लिया था. विपक्षी ने उसे बताया कि हाउसिंग लोन पर उसे सब्सिडी की राशि 2.67 लाख रुपए का लाभ मिलेगा, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद भी सब्सिडी की राशि उसके खाते में जमा नहीं कराई.

पढ़ें: ऑपरेशन में लापरवाही, अस्पताल और दो चिकित्सकों पर 19.70 लाख रुपए का लगा हर्जाना

इस संबंध में परिवादिया की ओर से विपक्षी को कई विधिक नोटिस भी दिए, लेकिन उसके बावजूद भी यह राशि ना तो उसे दी और ना ही उसके हाउसिंग लोन में से कम की गई. इसे परिवादिया ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए उसे सब्सिडी की राशि मय हर्जाना सहित दिलवाए जाने का आग्रह किया. जवाब में विपक्षी का कहना था कि सब्सिडी का लाभ लेने वाला उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने कंपनी को दोषी माना है.

जयपुर: जिला उपभोक्ता आयोग, जयपुर-द्वितीय ने परिवादी उपभोक्ता को उसके हाउसिंग लोन पर प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत मिलने वाली 2.67 लाख की सब्सिडी नहीं देने को सेवा दोष करार दिया है. वहीं विपक्षी जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस व ब्रांच मैनेजर सुखेन्द्र आचार्य व अन्य को निर्देश दिया है कि वे परिवादी के हाउसिंग लोन में से सब्सिडी की राशि 2.67 लाख रुपए कम करे. वहीं विपक्षी के इस सेवा दोष के लिए उस पर 1.10 लाख रुपए हर्जाना भी लगाया है. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसीलाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह आदेश पूजा डाबला के परिवाद पर दिए.

परिवाद में कहा गया कि परिवादिया ने 2019 में फ्लैट खरीदने के लिए विपक्षी फाइनेंस कंपनी से 18.93 लाख रुपए का हाउसिंग लोन 8.43 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से लिया था. विपक्षी ने उसे बताया कि हाउसिंग लोन पर उसे सब्सिडी की राशि 2.67 लाख रुपए का लाभ मिलेगा, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद भी सब्सिडी की राशि उसके खाते में जमा नहीं कराई.

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इस संबंध में परिवादिया की ओर से विपक्षी को कई विधिक नोटिस भी दिए, लेकिन उसके बावजूद भी यह राशि ना तो उसे दी और ना ही उसके हाउसिंग लोन में से कम की गई. इसे परिवादिया ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए उसे सब्सिडी की राशि मय हर्जाना सहित दिलवाए जाने का आग्रह किया. जवाब में विपक्षी का कहना था कि सब्सिडी का लाभ लेने वाला उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने कंपनी को दोषी माना है.

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