नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच गतिरोध तेज हो गया है, जिसके टकराव का रूप लेने के आसार बन रहे हैं. गुरुवार को जेएनयूएसयू के नेतृत्व में डीन आफ स्टूडेंट (डीओएस) कार्यालय पहुंचे छात्रों को छात्रसंघ चुनाव के लिए स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला. छात्र स्कूल की जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) कराने को स्वीकृति देने की मांग कर रहे थे. डीओएस मनुराधा चौधरी की ओर से उन्हें कोरम शीट सार्वजनिक करने को कहा गया है. छात्रों ने कोरम शीट डीओएस कार्यालय पर चस्पा करते हुए 24 घंटे में स्कूल की जनरल बॉडी मीटिंग कराने का आदेश न देने पर 19 फरवरी से परिसर में हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है.
दरअसल, जेएनयूएसयू चुनाव के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से आंशिक सहमति देने और डीओएस से छात्रों की बैठक के बाद यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी मीटिंग (यूजीबीएम) का आयोजन किया गया था. नौ फरवरी को हुई यूजीबीएम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) और वाम संगठनों के बीच झड़प हो गई थी. इसके बाद छात्रों ने 12 फरवरी को दोबारा जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई थी. तब एबीवीपी ने इससे दूरी बनाई थी और पहली बैठक में अपने प्रस्ताव पारित करने की बात कही थी.
वहीं, दूसरी बैठक में जेएनयूएसयू ने स्कूल यूजीबीएम कराने और छात्रसंघ को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मान्यता देने संबंधी प्रस्ताव पास किए. छात्रों ने प्रस्ताव पास किया कि जेएनयू के जिन स्कूलों में छात्र परिषद है, वहां जनरल बॉडी मीटिंग वे ही कराएंगे और जहां चार वर्ष चुनाव न होने से परिषद भंग हो गई है, वहां जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और संयुक्ति सचिव एमडी दानिश जनरल बॉडी मीटिंग कराएंगे. छात्र इस पर ही डीओएस की सहमति मांग रहे हैं. उन्होंने कहा है कि दो हजार छात्रों ने इसपर हस्ताक्षर किए हैं. जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जनादेश की अवहेलना नहीं कर सकता. डीओएस ने कोरम शीट सार्वजनिक करने की बात छात्रों से कही थी.
उधर जेएनयूएसयू के पदाधिकारी ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव को टालने की कोशिश कर रहा है. छात्रों के हस्ताक्षर की कोरम शीट डीओएस कार्यालय पर चिपका दी गई है और उन्हें स्कूल जीबीएम पर सहमति देने के लिए 24 घंटे का समय दिया है. अगर वे सहमति नहीं देते हैं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी. वहीं एबीवीपी पहले ही कह चुकी है कि जेएनयू छात्रसंघ अब अधिकृत नहीं है. साढ़े तीन साल में यह भंग हो जाती है और चुनाव हुए चार साल बीत चुके हैं.
इस पूरे मामले पर डीओएस प्रोफेसर मनुराधा चौधरी से फोन करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. सभी छात्र संगठनों को वार्ता कर दूसरा मार्ग निकालना चाहिए. जेएनयू प्रशासन के कई अधिकारी लिंगदोह के जरिए स्वयं चुनाव कराने की मंशा स्पष्ट कर चुके हैं. ऐसे में छात्रों को स्कूल जनरल बॉडी मीटिंग की अनुमति पर आगे और गतिरोध बढ़ सकता है, क्योंकि स्कूल जनरल बॉडी मीटिंग के बाद ही जेएनयू में स्वायत्त छात्र समिति बनती है और चुनाव पूरे कराती है.
यह भी पढ़ें-JNU में छात्र संघ चुनाव को लेकर दो गुटों के बीच झड़प, कई लोग जख्मी