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पौड़ी में आंख पर पट्टी बांधकर बैठा शिक्षा विभाग, जर्जर स्कूलों में पढ़ाई करने को मजबूर नौनिहाल - Dilapidated school in Pauri

Dilapidated school in Pauri पौड़ी जिले में मानसून सीजन में भी बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. ऐसे में बच्चों और शिक्षकों को हमेशा कोई अनहोनी होने का खतरा बना रहता है. शिक्षा विभाग को समस्या से अवगत कराने पर भी कोई समाधान नहीं हुआ. पढ़ें पूरी खबर...

Dilapidated school in Pauri
पौड़ी जिला का जर्जर स्कूल (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 20, 2024, 7:10 PM IST

जर्जर स्कूलों में पढ़ाई करने को मजबूर नौनिहाल (video-ETV Bharat)

श्रीनगर: मानसून सीजन में पौड़ी जिले के सरकारी जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को हमेशा हल्की बारिश से स्कूल धराशायी होने का खतरा बना रहता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं राजकीय इंटरमीडिएट स्कूल बिशल्ड, राजकीय प्राथमिक स्कूल बैंग्वाडी- गग्वाडा, पाबौ तल्ला और बण्गांव समेत 17 सरकारी विद्यालयों की, जो जर्जर स्थिति में हैं.

प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के 15 स्कूल, जबकि माध्यमिक के 2 स्कूल जर्जर हालत में हैं. आलम ये है कि अधिकतर स्कूलों की छत खोखली हो चुकी है. छत से रेत और सीमेंट नीचे गिर रहा है. स्कूलों की जर्जर हालत को सुधारने के लिये कई बार स्कूल के प्रधानाध्यपक और प्रधान शिक्षा विभाग को पत्राचार भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाये गए.

छात्रों का कहना है कि स्कूल में पहुंचते ही हर रोज उन्हे स्कूल धरासाई होने का डर सताता है, लेकिन शिक्षा लेने के लिए वे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि छत के अंदर बिछाई गई सरिया तक नजर आ रही है, जो सरकारी शिक्षा व्यवस्था के हाल दर्शा रही है. स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक भी जान जोखिम में डालकर छात्रों को पढ़ा रहे हैं.

हालांकि जिन जर्जर स्कूल के आसपास कोई अन्य स्कूल या पंचायत भवन हैं, उन छात्रों की पढ़ाई वहां करवाई जा रही है, लेकिन जिन स्कूलों के अगल बगल कोई अन्य स्कूल या पंचायत भवन नहीं है, उन स्कूलों के छात्रों को जर्जर स्कूल में ही पढ़ना पड़ रहा है.

प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी नागेंद्र बर्तवाल ने बताया कि मानसून सीजन में सरकार के निर्देश हैं कि छात्रों को जर्जर स्कूल में न पढ़ाया जाए और जर्जर स्कूलों से उचित दूरी बनाई जाए. ऐसे में जिन स्कूलों के आसपास स्कूल हैं, वहां छात्रों को शिफ्ट किया गया है, लेकिन जिन स्कूलों के आसपास कोई स्कूल नहीं है, उन स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिये प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

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जर्जर स्कूलों में पढ़ाई करने को मजबूर नौनिहाल (video-ETV Bharat)

श्रीनगर: मानसून सीजन में पौड़ी जिले के सरकारी जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को हमेशा हल्की बारिश से स्कूल धराशायी होने का खतरा बना रहता है. दरअसल हम बात कर रहे हैं राजकीय इंटरमीडिएट स्कूल बिशल्ड, राजकीय प्राथमिक स्कूल बैंग्वाडी- गग्वाडा, पाबौ तल्ला और बण्गांव समेत 17 सरकारी विद्यालयों की, जो जर्जर स्थिति में हैं.

प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के 15 स्कूल, जबकि माध्यमिक के 2 स्कूल जर्जर हालत में हैं. आलम ये है कि अधिकतर स्कूलों की छत खोखली हो चुकी है. छत से रेत और सीमेंट नीचे गिर रहा है. स्कूलों की जर्जर हालत को सुधारने के लिये कई बार स्कूल के प्रधानाध्यपक और प्रधान शिक्षा विभाग को पत्राचार भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाये गए.

छात्रों का कहना है कि स्कूल में पहुंचते ही हर रोज उन्हे स्कूल धरासाई होने का डर सताता है, लेकिन शिक्षा लेने के लिए वे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि छत के अंदर बिछाई गई सरिया तक नजर आ रही है, जो सरकारी शिक्षा व्यवस्था के हाल दर्शा रही है. स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापक भी जान जोखिम में डालकर छात्रों को पढ़ा रहे हैं.

हालांकि जिन जर्जर स्कूल के आसपास कोई अन्य स्कूल या पंचायत भवन हैं, उन छात्रों की पढ़ाई वहां करवाई जा रही है, लेकिन जिन स्कूलों के अगल बगल कोई अन्य स्कूल या पंचायत भवन नहीं है, उन स्कूलों के छात्रों को जर्जर स्कूल में ही पढ़ना पड़ रहा है.

प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी नागेंद्र बर्तवाल ने बताया कि मानसून सीजन में सरकार के निर्देश हैं कि छात्रों को जर्जर स्कूल में न पढ़ाया जाए और जर्जर स्कूलों से उचित दूरी बनाई जाए. ऐसे में जिन स्कूलों के आसपास स्कूल हैं, वहां छात्रों को शिफ्ट किया गया है, लेकिन जिन स्कूलों के आसपास कोई स्कूल नहीं है, उन स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिये प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

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