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यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई नहीं होने के खिलाफ जेएनयू छात्र संघ के आह्वान पर हड़ताल - JNU STUDENT UNION STRIKE

जेएनयू में छात्र संघ के आह्वान पर यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने समेत अन्य मांगों को लेकर आज छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया है.

जेएनयू छात्र संघ के आह्वान पर हड़ताल
जेएनयू छात्र संघ के आह्वान पर हड़ताल
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 16, 2024, 4:49 PM IST

जेएनयू छात्र संघ के आह्वान पर हड़ताल

नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों की विभिन्न समस्याओं का विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समाधान न करने के विरोध में छात्र संघ ने मंगलवार को हड़ताल किया. जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में घूम-घूमकर हड़ताल की जानकारी दी. साथ ही छात्र संघ के पदाधिकारी टोलियों में घूम-घूमकर स्कूलों में हड़ताल का जायजा लिया.

जेएनयू के सभी स्कूलों में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ संस्कृत, स्कूल ऑफ जर्मन सहित तमाम स्कूलों में हड़ताल का पूरा असर दिखाई दिया. सभी स्कूलों में ताले पड़े हैं और कक्षाएं पूरी तरह से बंद हैं. वहीं, अब छात्र संघ द्वारा पूरे जेएनयू को बंद रखने और हड़ताल का समर्थन करने का आह्वान किया जा रहा है.

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने बताया कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कई लंबित मांगों जैसे नवनिर्मित 'बराक' हॉस्टल को अभी तक छात्रों के लिए नहीं खोला जाना, सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत करने वाली छात्रा की शिकायत पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं करना, इस मामले में छात्र संघ के साथ जेएनयू प्रशासन का बैठक करने से इनकार करना, इसके अलावा जेएनयू में फेलोशिप के प्रोसेस को शुरू कराने सहित कई मुद्दों को लेकर यह हड़ताल रखी गई है.

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने कहा कि साथ ही नॉन नेट फेलोशिप को दो हजार रुपए मासिक से बढ़ाकर पांच हजार कराने की भी मांग बहुत पुरानी है. लेकिन, किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए जेएनयू प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई. साथ ही 28 मार्च को आयोजित की गई जेएनयू की अकादमिक परिषद की बैठक में छात्रों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. छात्रों के कल्याण के लिए छात्र संघ के साथ बातचीत करने के लिए जेएनूय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

इसके अलावा कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट की पीड़ित छात्रा के साथ सहानुभूति दिखाने के बजाय उसे और उसके दोस्त को धमकाया गया है. जबकि, वे लोग शांतिपूर्ण तरीके से उत्तरी गेट के पास धरना दे रहे हैं. धरने को भी 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.

जेएनयू छात्र संघ के आह्वान पर हड़ताल

नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों की विभिन्न समस्याओं का विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समाधान न करने के विरोध में छात्र संघ ने मंगलवार को हड़ताल किया. जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय परिसर में घूम-घूमकर हड़ताल की जानकारी दी. साथ ही छात्र संघ के पदाधिकारी टोलियों में घूम-घूमकर स्कूलों में हड़ताल का जायजा लिया.

जेएनयू के सभी स्कूलों में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, स्कूल ऑफ संस्कृत, स्कूल ऑफ जर्मन सहित तमाम स्कूलों में हड़ताल का पूरा असर दिखाई दिया. सभी स्कूलों में ताले पड़े हैं और कक्षाएं पूरी तरह से बंद हैं. वहीं, अब छात्र संघ द्वारा पूरे जेएनयू को बंद रखने और हड़ताल का समर्थन करने का आह्वान किया जा रहा है.

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने बताया कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की कई लंबित मांगों जैसे नवनिर्मित 'बराक' हॉस्टल को अभी तक छात्रों के लिए नहीं खोला जाना, सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत करने वाली छात्रा की शिकायत पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं करना, इस मामले में छात्र संघ के साथ जेएनयू प्रशासन का बैठक करने से इनकार करना, इसके अलावा जेएनयू में फेलोशिप के प्रोसेस को शुरू कराने सहित कई मुद्दों को लेकर यह हड़ताल रखी गई है.

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने कहा कि साथ ही नॉन नेट फेलोशिप को दो हजार रुपए मासिक से बढ़ाकर पांच हजार कराने की भी मांग बहुत पुरानी है. लेकिन, किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए जेएनयू प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई. साथ ही 28 मार्च को आयोजित की गई जेएनयू की अकादमिक परिषद की बैठक में छात्रों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. छात्रों के कल्याण के लिए छात्र संघ के साथ बातचीत करने के लिए जेएनूय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

इसके अलावा कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट की पीड़ित छात्रा के साथ सहानुभूति दिखाने के बजाय उसे और उसके दोस्त को धमकाया गया है. जबकि, वे लोग शांतिपूर्ण तरीके से उत्तरी गेट के पास धरना दे रहे हैं. धरने को भी 15 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.

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