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जब गांव से पढ़ाई करने आए नौजवान को जनता ने चुन लिया था अपना सांसद, जेल में रहते हुए भी जीत गए थे चुनाव - Historical election jabalpur 1974

Story of Sharad Yadav Jabalpur : जबलपुर में जब भी लोकसभा चुनाव का जिक्र होता है तो शरद यादव का लोकसभा चुनाव सभी को याद आता है. जब जबलपुर की जनता ने मात्र 27 साल के नौजवान को अपना नेता चुन लिया था.

Story of Sharad Yadav loksabha election Jabalpur
जबलपुर की छात्र राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 7:04 AM IST

जबलपुर की छात्र राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे .

जबलपुर. लोकसभा चुनाव (Loksabha elections) की बात हो और 1974 की बात ना हो तो बात अधूरी रह जाएगी. स्वतंत्रता के बाद दूसरे चुनाव में जबलपुर में सेठ गोविंद दास कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर आए थे. इसके बाद सेठ गोविंद दास ने लगातार चार बार जबलपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. जबलपुर के उस जमाने के नेता 1974 में उनके निधन तक उन्हें हरा नहीं पाए. सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव होने थे. कांग्रेस पार्टी की ओर से सेठ गोविंद दास के पुत्र रवि मोहन कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे लेकिन जबलपुर में उनके मुकाबले किसे चुनाव में उतारा जाए इस बात को लेकर सभी दलों में सहमति बनी और जो नाम निकलकर सामने आया उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.


छात्र नेता शरद यादव को बनाया उम्मीदवार

1974 में भारत में संपूर्ण क्रांति चल रही थी. संपूर्ण क्रांति का नारा जयप्रकाश नारायण ने दिया था. जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के माध्यम से आध्यात्मिक राजनीतिक सामाजिक आर्थिक सभी तरह के बदलावों को लेकर संपूर्ण क्रांति की अवधारणा बनाई थी और उसका नेतृत्व युवा नौजवानों को सौंपा था. इसी युवा वाहिनी के सदस्य देश के कई नौजवान थे, इन्हीं में से एक जबलपुर के शरद यादव (Sharad Yadav) थे जो संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे.

जबलपुर पढ़ाई करने आए थे शरद यादव

होशंगाबाद जिले के बाबई गांव से जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए शरद यादव जबलपुर आए थे. शरद यादव पढ़ने में बहुत होनहार थे और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया था. इस दौरान वे इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे. इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एडमिशन ले लिया और यहां भी छात्रसंघ के अध्यक्ष बन गए. इसी दौरान संपूर्ण क्रांति आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें जेल में डाल दिया गया था. लेकिन इस युवा नेता को जबलपुर का हर आदमी पहचानने लगा था और इसलिए जैसे ही सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव की घोषणा हुई, तो सभी संगठनों ने मिलकर शरद यादव को लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया. उस समय इस नौजवान की उम्र मात्र 27 साल थी और वह जेल में बंद थे लेकिन चुनाव हुआ और जेल में रहकर ही शरद यादव चुनाव जीत गए.

Story of Sharad Yadav loksabha election Jabalpur
शरद यादव, साथ में लालू प्रसाद यादव (दाएं) .

जबलपुर से निकलकर बने राष्ट्रीय नेता

यह इत्तेफाक नहीं था और शरद यादव को अपनी राजनीतिक परिपक्वता समझ में आ रही थी, इसलिए इसी दौरान देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा का कार्यकाल 6 साल करने की घोषणा की. शरद यादव ने इंदिरा गांधी के इस फैसले का विरोध करते हुए संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया अपने इस्तीफा की वजह से यह नौजवान एक बार फिर चर्चा में था. 1977 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो शरद यादव जबलपुर से लोकसभा के सदस्य चुने गए हालांकि इसके बाद भी जबलपुर नहीं लौटे और उन्होंने उत्तर प्रदेश और बाद में बिहार के मधेपुरा से चुनाव लड़े. जबलपुर से निकाला यह युवा नेता देश का एक बड़ा नेता बना.

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यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में अब्दुल गफ्फार खान को बुलाया

जबलपुर की छात्र राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे बताते हैं कि जबलपुर में शरद यादव ने भले ही इंजीनियरिंग कॉलेज और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की राजनीति की हो लेकिन वह कम उम्र में ही जबलपुर के हीरो बन गए थे. उनकी सोच सामान्य लोगों से अलग थी और यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उन्होंने खान अब्दुल गफ्फार खान को बुलाया था.

जबलपुर की छात्र राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे .

जबलपुर. लोकसभा चुनाव (Loksabha elections) की बात हो और 1974 की बात ना हो तो बात अधूरी रह जाएगी. स्वतंत्रता के बाद दूसरे चुनाव में जबलपुर में सेठ गोविंद दास कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर आए थे. इसके बाद सेठ गोविंद दास ने लगातार चार बार जबलपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. जबलपुर के उस जमाने के नेता 1974 में उनके निधन तक उन्हें हरा नहीं पाए. सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव होने थे. कांग्रेस पार्टी की ओर से सेठ गोविंद दास के पुत्र रवि मोहन कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरे लेकिन जबलपुर में उनके मुकाबले किसे चुनाव में उतारा जाए इस बात को लेकर सभी दलों में सहमति बनी और जो नाम निकलकर सामने आया उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.


छात्र नेता शरद यादव को बनाया उम्मीदवार

1974 में भारत में संपूर्ण क्रांति चल रही थी. संपूर्ण क्रांति का नारा जयप्रकाश नारायण ने दिया था. जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के माध्यम से आध्यात्मिक राजनीतिक सामाजिक आर्थिक सभी तरह के बदलावों को लेकर संपूर्ण क्रांति की अवधारणा बनाई थी और उसका नेतृत्व युवा नौजवानों को सौंपा था. इसी युवा वाहिनी के सदस्य देश के कई नौजवान थे, इन्हीं में से एक जबलपुर के शरद यादव (Sharad Yadav) थे जो संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे.

जबलपुर पढ़ाई करने आए थे शरद यादव

होशंगाबाद जिले के बाबई गांव से जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए शरद यादव जबलपुर आए थे. शरद यादव पढ़ने में बहुत होनहार थे और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया था. इस दौरान वे इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष भी थे. इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एडमिशन ले लिया और यहां भी छात्रसंघ के अध्यक्ष बन गए. इसी दौरान संपूर्ण क्रांति आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें जेल में डाल दिया गया था. लेकिन इस युवा नेता को जबलपुर का हर आदमी पहचानने लगा था और इसलिए जैसे ही सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव की घोषणा हुई, तो सभी संगठनों ने मिलकर शरद यादव को लोकसभा का उम्मीदवार घोषित कर दिया. उस समय इस नौजवान की उम्र मात्र 27 साल थी और वह जेल में बंद थे लेकिन चुनाव हुआ और जेल में रहकर ही शरद यादव चुनाव जीत गए.

Story of Sharad Yadav loksabha election Jabalpur
शरद यादव, साथ में लालू प्रसाद यादव (दाएं) .

जबलपुर से निकलकर बने राष्ट्रीय नेता

यह इत्तेफाक नहीं था और शरद यादव को अपनी राजनीतिक परिपक्वता समझ में आ रही थी, इसलिए इसी दौरान देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा का कार्यकाल 6 साल करने की घोषणा की. शरद यादव ने इंदिरा गांधी के इस फैसले का विरोध करते हुए संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया अपने इस्तीफा की वजह से यह नौजवान एक बार फिर चर्चा में था. 1977 में जब दोबारा चुनाव हुआ तो शरद यादव जबलपुर से लोकसभा के सदस्य चुने गए हालांकि इसके बाद भी जबलपुर नहीं लौटे और उन्होंने उत्तर प्रदेश और बाद में बिहार के मधेपुरा से चुनाव लड़े. जबलपुर से निकाला यह युवा नेता देश का एक बड़ा नेता बना.

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यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में अब्दुल गफ्फार खान को बुलाया

जबलपुर की छात्र राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे बताते हैं कि जबलपुर में शरद यादव ने भले ही इंजीनियरिंग कॉलेज और रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की राजनीति की हो लेकिन वह कम उम्र में ही जबलपुर के हीरो बन गए थे. उनकी सोच सामान्य लोगों से अलग थी और यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में उन्होंने खान अब्दुल गफ्फार खान को बुलाया था.

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