पटना: बिहार की राजनीति में अनेक ऐसे पिता हुए जिन्होंने अपनी संतान को राजनीति में स्थापित किया. राजनीति में अनेक ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी संतानों को राजनीति में लाकर उन्हें स्थापित किया. लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा, रामविलास पासवान, जीतनराम मांझी, जगदानंद सिंह, सीपी ठाकुर, अखिलेश सिंह, अशोक चौधरी इसके उदाहरण हैं.
लालू प्रसाद का परिवार: बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव की गिनती बड़े राजनीतिक परिवार में होती है. लालू प्रसाद यादव पिछले 40 वर्ष से बिहार की राजनीति की केंद्र में हैं. बिहार की राजनीति में लगातार 15 वर्षों तक राज करने वाले लालू प्रसाद यादव बाद में केंद्र की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. देश के रेल मंत्री भी बने. कोर्ट द्वार सजा मिलने के बाद उन्होंने अपने पुत्र तेजस्वी यादव को आगे किया. तेजस्वी यादव अभी राजद के सबसे बड़े नेता हैं. लालू प्रसाद यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती लोकसभा की सदस्य हैं. उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव बिहार विधानसभा के सदस्य हैं. उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में बिहार विधानसभा में विरोधी दल के नेता हैं.
क्या बोले तेजप्रताप यादव?: लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्हें गर्व है कि वह लालू प्रसाद यादव के पुत्र हैं. बिहार में वंचितों को आवाज देने वाले लालू प्रसाद यादव का पुत्र होने के नाते उनका दायित्व है कि उनका भी जीवन गरीबों के प्रति समर्पित हो. तेजप्रताप यादव ने कहा कि अपने पिता के बताए हुए पदचिन्हों पर वह चल रहे हैं.
मिश्रा का परिवार : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का भी बड़ा राजनीतिक परिवार रहा है. उनके बड़े भाई ललित मिश्रा की गिनती देश के बड़े नेताओं में होती थी. रेल मंत्री रहते हुए ललित नारायण मिश्रा की हत्या हो गई. उसके बाद उनके भाई जगन्नाथ मिश्रा राजनीति में आए. तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. बिहार की राजनीति में मिश्रा परिवार आगे की पीढ़ी में राजनीति में अभी सक्रिय है. ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय मिश्रा और पोता ऋषि मिश्रा राजनीति में सक्रिय हैं. वही जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र नीतीश मिश्रा बिहार विधानसभा के सदस्य हैं और अभी बिहार सरकार में उद्योग मंत्री हैं.
रामविलास पासवान की विरासत: बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की गिनती बड़े दलित नेता में होती थी. देश की राजनीति में रामविलास पासवान व्यापक प्रभाव रखते थे. केंद्र की अनेक सरकार में रामविलास पासवान अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे. रामविलास पासवान के परिवार के अनेक सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन रामविलास पासवान ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र चिराग पासवान को सौंपी. चिराग पासवान 2014 में राजनीति में सक्रिय हुए और वह लगातार तीन बार से सांसद चुने गए.
जीतन राम मांझी की जोड़ी: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की गिनती बिहार के बड़े दलित नेता में होती है. 1980 में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में जीतनराम माँझी ने कदम रखा. कांग्रेस, राजद और जदयू की सरकार में वह मंत्री भी बने. नीतीश कुमार ने अपने CM पद से इस्तीफा देकर उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया. बाद में नीतीश कुमार से दूरी बनाने के कारण उन्होंने अपनी पार्टी हम (से) का गठन किया. उन्होंने अपनी पार्टी की कमान अपने पुत्र संतोष कुमार सुमन को सौंप दी. जीतनराम मांझी अभी केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनके पुत्र संतोष कुमार सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं.
जगदानंद सिंह के पिता पुत्र की जोड़ी: बिहार के समाजवादी नेताओं में यदि गिनती होती है तो उसमें एक नाम जगदानंद सिंह का भी है. 1990 से लगातार बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं. 15 वर्षों तक लालू राबड़ी के शासनकाल में वह बिहार में मंत्री रहे. बाद में लोकसभा के सदस्य बने और अभी राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनके पुत्र सुधाकर सिंह इस बार बक्सर लोकसभा से सांसद का चुनाव जीते हैं. 2020 में वह रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव जीते थे और बिहार के महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री बने थे.
''जगदानंद सिंह का पुत्र होना एक गौरव की बात है. राजनीति में उन्होंने संघर्ष करके मुकाम हासिल किया है. वर्षों तक आम लोगों एवं खासकर किसानों की समस्या को लेकर मैं सक्रिय रहा हूं. लेकिन जगदानंद सिंह जैसी शख्सियत के यहां जन्म लेना मेरे लिए गौरव की बात है.''- सुधाकर सिंह, आरजेडी सांसद, बक्सर
सीपी ठाकुर और विवेक ठाकुर: सीपी ठाकुर की गिनती बिहार के बड़े डॉक्टर में होती है. 1980 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. गांधी परिवार से नजदीकी होने के कारण उन्होंने कांग्रेस से अपने राजनीति की शुरुआत की. लेकिन बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. सीपी ठाकुर एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने. बिहार बीजेपी की कमान भी सीपी ठाकुर के कंधों पर थी. उम्र बढ़ाने के कारण उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे विवेक ठाकुर को सौंप दी. विवेक ठाकुर पहले बिहार विधान परिषद के सदस्य बने. सीपी ठाकुर की राज्यसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद उनकी जगह पर उनके पुत्र विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजा गया. 2024 लोकसभा चुनाव में विवेक ठाकुर बिहार की नवादा लोकसभा क्षेत्र से जीतकर सांसद बने हैं.
अशोक चौधरी का परिवार: बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी का राजनीतिक परिवार रहा है. उनके पिता महावीर चौधरी की गिनती बिहार के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में होती थी. महावीर चौधरी कई बार कांग्रेस की सरकार में मंत्री रह चुके थे. महावीर चौधरी की राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र अशोक चौधरी ने आगे बढ़ाया. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने. राजद कांग्रेस की सरकार में वह मंत्री भी बने थे. बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर जदयू की सदस्यता ग्रहण की. वर्तमान में वह बिहार सरकार के मंत्री हैं. अब अशोक चौधरी की राजनीतिक विरासत को उनकी पुत्री शांभवी चौधरी आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में आई हैं. शांभवी चौधरी 2024 लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की है और वह सांसद बनी हैं.
''राजनीति मेरे लिए कोई नई चीज नहीं है. बचपन से मैं इस माहौल में पली बढ़ी हूं. लेकिन राजनीति को लेकर मेरे पिता ने कभी भी उन पर कोई दबाव नहीं दिया. वह अपने मन से राजनीति में आईं हैं. मेरे पिता अशोक चौधरी दुनिया के बेस्ट पापा में से एक हैं.''- शांभवी चौधरी, एलजेपीआर सांसद, समस्तीपुर
अखिलेश सिंह के पिता पुत्र की जोड़ी: बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने अपने राजनीति की शुरुआत राजद के साथ की थी. लालू प्रसाद यादव के कभी करीबी रहे अखिलेश सिंह राजद के टिकट पर मोतिहारी से सांसद चुने गए थे. 2004 में UPA की सरकार में मंत्री भी बने थे. अखिलेश प्रसाद सिंह की आरजेडी से दूरी होने के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने लगातार दो बार उन्हें राज्यसभा में भेजा. वर्तमान में वह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं और बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं.
दो चुनाव हारे आकाश: अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में सक्रिय हुए हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में वह मोतिहारी लोकसभा सीट से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़े. लेकिन उनको पराजय का मुंह देखना पड़ा. 2024 लोकसभा चुनाव में भी आकाश कुमार सिंह कांग्रेस के सिंबल पर महाराजगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन इस चुनाव में भी उनको पराजय का सामना करना पड़ा.
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