हजारीबाग: सड़क किनारे कई तरह के कंद और जड़ी-बूटियां बिकते तो सभी ने देखे होंगे. आज आपको एक ऐसा ही कंद के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके पीछे मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान 14 साल तक इस कंद का सेवन किया था. इस फल का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. जिसे लोग राम कंदमूल के नाम से जानते हैं.
सड़क किनारे आमतौर पर कई तरह के कंद और जड़ी-बूटियां देखने को मिल जाती हैं. हजारीबाग की सड़क किनारे एक कंद खूब बिक रहा है. दरअसल, इस कंद के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान 14 साल तक इसका सेवन किया था. यही वजह है कि इस कंद का नाम राम कंदमूल पड़ा.
राम कंदमूल एक जंगली फल है. जिसे राम फल के नाम से भी जाना जाता है. यह ढोल के आकार का होता है और मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में पाया जाता है. लोगों का कहना है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इस फल का सेवन किया था.
राम कंदमूल बेचने वाले विक्रेता आमतौर पर दावा करते हैं कि इसका सेवन करने से पेट ठंडा रहता है. राम कंदमूल स्टार्च से भरपूर कंद है. कुछ लोग पारंपरिक औषधियों के रूप में रामकंद का चूर्ण बनाकर इसका सेवन करते हैं. मधुमेह के रोगी यदि नियमित रूप से राम कंदमूल का सेवन करें तो उन्हें बहुत आराम मिलता है. यह फल जमीन के अंदर करीब 6 फीट ऊपर उगता है. जमीन के ऊपर एक पत्ता होता है. इसे देखकर पता चलता है कि इसमें रामकंदमूल है.
राम कंदमूल का सेवन करने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कभी-कभार खाने को मिल जाता है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इसके सेवन से मधुमेह के रक्तचाप में भी आराम मिलता है. उनका यह भी कहना है कि भगवान राम ने भी इसका सेवन किया था. यही वजह है कि जब भी यह बाजार में उपलब्ध होता है, तो वे इसका सेवन करते हैं.
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