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कैंट से रेवाड़ी तक भाप इंजन वाली चली ट्रेन, 22 ब्रिटिश मेहमानों ने की तारीफ - 22 ब्रिटिश मेहमानों ने उठाया लुत्फ

Steam Engine Train Runs : उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने दिल्ली कैंट से रेवाड़ी तक विशेष विंटेज स्टीम ट्रेन चलाई. तीन डिब्बों के साथ इस स्टीम लोको का नाम अशोका है. जिस पर 22 ब्रिटिश मेहमानों ने सफर किया और भारतीय रेल के इस प्रयास की जमकर तारीफ की.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 23, 2024, 5:27 PM IST

नई दिल्ली: ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी इंडियन रेल की भाप वाली इंजन को उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने एक बार फिर उस वक्त जीवंत कर दिया जब 22 ब्रिटिश मेहमानों को लेकर दिल्ली कैंट से रेवाड़ी तक विशेष विंटेज स्टीम ट्रेन चलाई गई. ट्रेन का ये मॉडल 1958 विंटेज का है, जिसे पोलैंड के फेब्रिका लोकोमोटिव ने बनाया है. तीन डिब्बों के साथ इस स्टीम लोको का नाम अशोका रखा गया है.

ट्रेन सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर दिल्ली कैंट से रवाना होकर दोपहर एक बजकर 13 मिनट पर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पहुंची. इस सफर से पहले विदेशी पर्यटकों के लिए इस तरह की आखिरी हेरिटेज ट्रिप 15 फरवरी 2020 को कराई गई थी. इसलिए करीब 4 साल के बाद जब 22 ब्रिटिश मेहमानों को इस विंटेज ट्रेन में सफर करने का मौका मिला तो वो काफी खुश दिखे और इसे बहुत ही अनूठा ऐहसास बताया. ऐसी हेरिटेज संपत्तियों को जीवित रखने के लिए भारतीय रेलवे के प्रयासों की सराहना की.

ये भी पढ़ें : दिल्ली मेट्रो में गणतंत्र दिवस के दिन यात्री कर सकेंगे मुफ्त यात्रा, जानें समय और शर्त

बता दें, 1950 में चितरंजन रेल कारखाने में भारत का पहला भाप इंजन तैयार किया गया था. 1971 में यहां भाप इंजनों का निर्माण पूरी तरह बंद कर दिया गया और इसमें डीजल इंजन बनाए जाने लगे. भाप युग इस तरह आखिरकार समाप्त हो गया जब लोकोमोटिव WL-15005 ने 6 दिसंबर 1995 को फिरोजपुर और जालंधर के बीच आखिरी ब्रॉड गेज स्टीम ट्रेन चलाई. भाप इंजनों का उत्पादन बहुत पहले बंद हो गया था. ऐसे में कुछ ही दूरी की सही, लेकिन इस सफर का विदेशी मेहमानों ने खूब लुत्फ उठाया.

ये भी पढ़ें : 21 साल की हुई दिल्ली मेट्रो, जानें साल 2002 से 2023 तक क्या हुए बदलाव

नई दिल्ली: ऐतिहासिक धरोहर बन चुकी इंडियन रेल की भाप वाली इंजन को उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने एक बार फिर उस वक्त जीवंत कर दिया जब 22 ब्रिटिश मेहमानों को लेकर दिल्ली कैंट से रेवाड़ी तक विशेष विंटेज स्टीम ट्रेन चलाई गई. ट्रेन का ये मॉडल 1958 विंटेज का है, जिसे पोलैंड के फेब्रिका लोकोमोटिव ने बनाया है. तीन डिब्बों के साथ इस स्टीम लोको का नाम अशोका रखा गया है.

ट्रेन सुबह 10 बजकर 52 मिनट पर दिल्ली कैंट से रवाना होकर दोपहर एक बजकर 13 मिनट पर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पहुंची. इस सफर से पहले विदेशी पर्यटकों के लिए इस तरह की आखिरी हेरिटेज ट्रिप 15 फरवरी 2020 को कराई गई थी. इसलिए करीब 4 साल के बाद जब 22 ब्रिटिश मेहमानों को इस विंटेज ट्रेन में सफर करने का मौका मिला तो वो काफी खुश दिखे और इसे बहुत ही अनूठा ऐहसास बताया. ऐसी हेरिटेज संपत्तियों को जीवित रखने के लिए भारतीय रेलवे के प्रयासों की सराहना की.

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बता दें, 1950 में चितरंजन रेल कारखाने में भारत का पहला भाप इंजन तैयार किया गया था. 1971 में यहां भाप इंजनों का निर्माण पूरी तरह बंद कर दिया गया और इसमें डीजल इंजन बनाए जाने लगे. भाप युग इस तरह आखिरकार समाप्त हो गया जब लोकोमोटिव WL-15005 ने 6 दिसंबर 1995 को फिरोजपुर और जालंधर के बीच आखिरी ब्रॉड गेज स्टीम ट्रेन चलाई. भाप इंजनों का उत्पादन बहुत पहले बंद हो गया था. ऐसे में कुछ ही दूरी की सही, लेकिन इस सफर का विदेशी मेहमानों ने खूब लुत्फ उठाया.

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