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पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन, पंचायती राज निदेशक ने एक्ट को लेकर दिया बड़ा बयान - PESA DAY

झारखंड पंचायती राज विभाग की ओर से पेसा दिवस पर कार्यशाला का आयोजन किया है. जिसमें पेसा एक्ट पर विभाग की निदेशक ने बात रखी.

PESA Act In Jharkhand
रांची में राष्ट्रीय पेसा दिवस समारोह में मौजूद आदिवासी संगठनों के लोग. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 24, 2024, 4:42 PM IST

रांचीः आज पेसा दिवस है. झारखंड सहित देश के 10 राज्यों के लिए 24 दिसंबर 1996 को पेशा अधिनियम लागू किया गया था.भारत सरकार द्वारा ऐसे सभी राज्यों को 24 दिसंबर के दिन पेसा दिवस मनाने का निर्देश दिया गया है. जिसके तहत मंगलवार 24 दिसंबर को रांची के रेडिशन ब्लू होटल में पंचायती राज विभाग के द्वारा राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव विवेक भारद्वाज ने की.इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जनजातीय समूह जैसे मुंडा , उरांव, संथाली, हो और खड़िया से जुड़े लोग अपने पारंपरिक परिधान में मौजूद थे.

इस मौके पर पेसा अधिनियम पर पद्मश्री मुकुंद नायक की आवाज में तैयार पेसा गीत को लॉन्च किया गया. इस अवसर पर पंचायती राज पर काम करने वाले जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल ने कहा कि पेसा नियमावली का जो प्रारूप तैयार किया गया है उसमें गांव के साथ-साथ पारंपरिक रीति-रिवाज को सशक्त और संरक्षित करने की कोशिश की गई है.

पेसा एक्ट पर पंचायती राज निदेशक निशा उरांव और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

देश के इन राज्यों में लागू है पेसा

10 राज्यों में से आठ राज्य जिसमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने अपने-अपने राज्य के पंचायती राज अधिनियम के तहत पेसा नियम तैयार किया है और उसे अधिसूचित किया है. जबकि झारखंड और ओडिशा इस अधिनियम के 28 साल बाद भी नियमावली नहीं बना पाया है. हालांकि पंचायती राज निदेशक निशा उरांव का मानना है कि सभी प्रक्रियाओं को पूरी करते हुए जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इस संदर्भ में उच्च स्तरीय बैठक भी पिछले दिनों हुई है और पेसा नियमावली के तैयार प्रारूप पर कोई अड़चन नहीं है. न्यायालय ने भी समय-समय पर इस संदर्भ में दिशा निर्देश जारी किया है. जिसे ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है.

"नियमावली गठन की प्रक्रिया एडवांस्ड स्टेज में है. जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. इसको लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा भी की गई थी और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही लागू हो जाएगी. आज झारखंड सहित देश के 10 पेसा राज्यों के लिए खास दिन है. भारत सरकार के निर्देशानुसार इन राज्यों में पेसा दिवस मनाया जा रहा है."-निशा उरांव, निदेशक, पंचायती राज

PESA Act In Jharkhand
पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला में बनाई गई झांकी. (फोटो-ईटीवी भारत)

एक्ट में ग्राम सभा को शक्ति देने का प्रावधान

बहरहाल, विवादों के बीच कैबिनेट की मंजूरी की प्रत्याशा में तैयार झारखंड पंचायत राज अधिनियम में पेसा के अनुरूप ही ग्राम सभा को शक्ति देने का प्रावधान जरूर किया गया है. जिसके तहत पेसा एक्ट की धारा 4 (बी, सी, डी, इ) जैसे ग्राम सभा के गठन, परंपराओं के संरक्षण का अधिकार, योजना और लाभुकों के चयन आदि का अधिकार ग्राम सभा को देने के लिए पंचायत राज अधिनियम की धारा 2, 3, 10 की विभिन्न उपधाराओं में प्रावधान किया गया है.

PESA Act In Jharkhand
पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला में बनाई गई झांकी. (फोटो-ईटीवी भारत)

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अधर में आदिवासी अधिकार! पेसा नियमावली के लिए हाईकोर्ट की डेडलाइन हो रही है खत्म, कहां फंसा है पेंच - PESA Act in Jharkhand - PESA ACT IN JHARKHAND

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने झारखंड में आदिवासियों की दशा पर जताई चिंता, राज्य में पेसा कानून लागू करने का निर्देश - Scheduled Tribes Commission - SCHEDULED TRIBES COMMISSION

झारखंड में पेसा कानून लागू होने से क्या होंगे बदलाव, आदिवासी इलाकों के लोगों ने बताई अपनी राय - PESA Act in Jharkhand - PESA ACT IN JHARKHAND

रांचीः आज पेसा दिवस है. झारखंड सहित देश के 10 राज्यों के लिए 24 दिसंबर 1996 को पेशा अधिनियम लागू किया गया था.भारत सरकार द्वारा ऐसे सभी राज्यों को 24 दिसंबर के दिन पेसा दिवस मनाने का निर्देश दिया गया है. जिसके तहत मंगलवार 24 दिसंबर को रांची के रेडिशन ब्लू होटल में पंचायती राज विभाग के द्वारा राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के पंचायती राज विभाग के सचिव विवेक भारद्वाज ने की.इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जनजातीय समूह जैसे मुंडा , उरांव, संथाली, हो और खड़िया से जुड़े लोग अपने पारंपरिक परिधान में मौजूद थे.

इस मौके पर पेसा अधिनियम पर पद्मश्री मुकुंद नायक की आवाज में तैयार पेसा गीत को लॉन्च किया गया. इस अवसर पर पंचायती राज पर काम करने वाले जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल ने कहा कि पेसा नियमावली का जो प्रारूप तैयार किया गया है उसमें गांव के साथ-साथ पारंपरिक रीति-रिवाज को सशक्त और संरक्षित करने की कोशिश की गई है.

पेसा एक्ट पर पंचायती राज निदेशक निशा उरांव और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर पाल का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

देश के इन राज्यों में लागू है पेसा

10 राज्यों में से आठ राज्य जिसमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना ने अपने-अपने राज्य के पंचायती राज अधिनियम के तहत पेसा नियम तैयार किया है और उसे अधिसूचित किया है. जबकि झारखंड और ओडिशा इस अधिनियम के 28 साल बाद भी नियमावली नहीं बना पाया है. हालांकि पंचायती राज निदेशक निशा उरांव का मानना है कि सभी प्रक्रियाओं को पूरी करते हुए जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इस संदर्भ में उच्च स्तरीय बैठक भी पिछले दिनों हुई है और पेसा नियमावली के तैयार प्रारूप पर कोई अड़चन नहीं है. न्यायालय ने भी समय-समय पर इस संदर्भ में दिशा निर्देश जारी किया है. जिसे ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है.

"नियमावली गठन की प्रक्रिया एडवांस्ड स्टेज में है. जल्द ही इसे लागू किया जाएगा. इसको लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा भी की गई थी और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही लागू हो जाएगी. आज झारखंड सहित देश के 10 पेसा राज्यों के लिए खास दिन है. भारत सरकार के निर्देशानुसार इन राज्यों में पेसा दिवस मनाया जा रहा है."-निशा उरांव, निदेशक, पंचायती राज

PESA Act In Jharkhand
पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला में बनाई गई झांकी. (फोटो-ईटीवी भारत)

एक्ट में ग्राम सभा को शक्ति देने का प्रावधान

बहरहाल, विवादों के बीच कैबिनेट की मंजूरी की प्रत्याशा में तैयार झारखंड पंचायत राज अधिनियम में पेसा के अनुरूप ही ग्राम सभा को शक्ति देने का प्रावधान जरूर किया गया है. जिसके तहत पेसा एक्ट की धारा 4 (बी, सी, डी, इ) जैसे ग्राम सभा के गठन, परंपराओं के संरक्षण का अधिकार, योजना और लाभुकों के चयन आदि का अधिकार ग्राम सभा को देने के लिए पंचायत राज अधिनियम की धारा 2, 3, 10 की विभिन्न उपधाराओं में प्रावधान किया गया है.

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पेसा दिवस पर रांची में राज्यस्तरीय कार्यशाला में बनाई गई झांकी. (फोटो-ईटीवी भारत)

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