शिमला: केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार की भूमि को वन विभाग के नाम हस्तांतरित किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की भूमि को वन विभाग के नाम हस्तांतरित किए जाने के महत्व को स्पष्ट करते हुए यह बात हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट को बताई.
केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि ऐसा करना नियमों के तहत और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए गए निर्णय के अनुसार अनिवार्य वनरोपण के उद्देश्य से आवश्यक है. इससे पहले हाईकोर्ट ने पूछा था कि, जिस राज्य की भूमि पर केंद्रीय मंत्रालय का कोई अधिकार नहीं है उसे कैसे वन विभाग के नाम किया जा सकता है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के पश्चात कहा कि वह केंद्र सरकार की ओर से इस बारे में दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट है.
वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने रामपुर के नरोला गांव के ऊपर बड़े पत्थर से संभावित खतरे और लुहरी विद्युत प्रोजेक्ट द्वारा कथित तौर पर अवैज्ञानिक ढंग से ब्लास्टिंग के कारण क्षतिग्रस्त होने से जुड़े इस मामले में संज्ञान लिया है. इस मामले में कोर्ट मित्र द्वारा बताया गया कि प्रभावितों के मुआवजे की राशि प्रभावित पक्षों को सौंपने के बजाय ग्राम पंचायत को हस्तांतरित कर दी गई है, जिन्होंने बदले में इस मुआवजे को प्रभावित पक्षों को वितरित करने के बजाय पंचायत के सदस्यों को वितरित कर दिया है. कोर्ट ने इसे एक गंभीर मामला बताया और एसडीएम रामपुर और ग्राम पंचायत निरथ को प्रतिवादी बनाया है.
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