लखनऊ: बुलंदशहर निवासी एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत के बावजूद बीमा कंपनी की तरफ से क्लेम नहीं दिया गया. पीड़ित परिजनों ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया, तब जाकर न्याय मिला. उपभोक्ता आयोग ने पीड़ित परिवार को 83 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन अशोक कुमार ने दिया है.
राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा दिये गए आदेश के अनुसार, बुलंदशहर निवासी अंसार अहमद ने HDFC जनरल इंश्योरेंस से 2 जनवरी 2018 को पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी थी, जो एक जनवरी 2019 तक मान्य थी. बीमा राशि 50 लाख रुपये थी. इसी बीच 12 मई 2018 को सड़क एक्सीडेंट में अंसार अहमद की मौत हो गई. एक्सीडेंट के बाद अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. साथ ही बीमित व्यक्ति अंसार अहमद के निधन के बाद नामिनी के तौर पर उनकी पत्नी जाइदा बेगम ने बीमा कंपनी में 50 लाख रुपये का क्लेम किया.
बीमा कंपनी की तरफ से जाईदा बेगम से इनकम टैक्स रिटर्न, छह महीने के बैंक स्टेटमेंट, पैन, सैलरी स्लिप आदि की मांग करके परेशान करने की कोशिश की. जाइदा बेगम ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से कहा कि उन्हें इनकम टैक्स आदि की जानकारी नहीं है और उन्होंने पैन कार्ड दे दिया. इसके बावजूद भी क्लेम नहीं दिया गया और बार-बार चक्कर लगवाया गया. इससे परेशान होकर जाईदा बेगम ने राज्य उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी. जाइदा बेगम की शिकायत पर सुनवाई करते हुए राज्य उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन जस्टिस अशोक कुमार ने कहा कि यदि बीमा कंपनी को उनके पति की आय आदि पर आशंका थी, तो पहले जांच करनी चाहिए थी. अगर शक था तो पॉलिसी ही क्यों जारी की गई. बीमित व्यक्ति की मौत के बाद क्लेम की राशि न देना अमानत में खयानत है.
जस्टिस अशोक कुमार ने अपने आदेश में कहा है कि अंसार अहमद की पत्नी जाइदा बेगम की अपील स्वीकार की जा रही है. बीमा कम्पनी पालिसी शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य है. बीमा कम्पनी HDFC जनरल इंश्योरेंस दो महीने के अंदर 60 लाख रुपये का मुआवजा और उस पर वर्ष 2018 से अब तक 10 फीसद सालाना ब्याज की दर से पूरी राशि पीड़िता को अदा करे. साथ ही दो लाख रुपये मानसिक कष्ट और 25 हजार रुपये मुकदमा खर्च भी दे. कुल मिलाकर पीड़िता को करीब 83 लाख रुपये मुआवजा के रूप में दे.