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मुस्लिम युवक के दाह संस्कार मामले में थानेदार-दारोगा और चौकीदार सस्पेंड, गया SSP का एक्शन

गया में मुस्लिम युवक के दाह संस्कार मामले में एसएसपी ने बड़ी कार्रवाई की है. थानेदार, दारोगा और चौकीदार पर गाज गिरी है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 14, 2024, 12:30 PM IST

गया: बिहार में गया दाह संस्कार मामले में थानेदार, दारोगा और चौकीदार के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. दारोगा और चौकीदार को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. वहीं थानेदार को निलंबित करने की अनुशंसा मगध आईजी से की गयी है. इस मामले में मृतक के परिजनों ने एसएसपी से शिकायत की थी. जांच के बाद लापरवाही सामने आयी तो कार्रवाई की गयी.

गया में मुस्लिम युवक का दाह संस्कारः गया एसएसपी आशीष भारती को सूचना मिली थी कि परैया थाना अंतर्गत सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई थी. मृत व्यक्ति की पहचान किए बिना ही उक्त शव को अज्ञात मानकर दाह संस्कार कर दिया गया था. इस तरह की सूचना मिलने के बाद गया एसएसपी के द्वारा मामले में त्वरित जांच के लिए एसडीपीओ टिकारी को निर्देशित किया था.

"इस तरह की शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई है. इसमें परैया थानाध्यक्ष के निलंबन को लेकर आईजी मगध से अनुशंसा की गई है. परैया थाने के पुलिस सहायक अवर निरीक्षक कृष्ण कुमार गुप्ता और चौकीदार श्याम सुंदर पासवान को निलंबित कर दिया गया है. मामले में अग्रतर कार्रवाई हो रही है." -आशीष भारती, एसएसपी, गया जिला

बिना पहचान किए दाह संस्कारः दरअसल, 27 सितंबर को मो. गुलाम हैदर का पुत्र मो. शहाबुद्दीन की मौत सड़क हादसे में हो गयी थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. शहाबुद्दीन अपनी स्कूटी से गुरारू के लिए निकला था. इसी दौरान पिकअप वैन से टक्कर हो गयी थी. हालांकि घटना के बाद पुलिस ने शव का शिनाख्त नहीं कर पायी थी. पोस्टमार्टम के 72 घंटे बाद शव का दाह संस्कार के लिए चौकीदार को जिम्मेदारी दे दी थी.

10 दिन बाद थाने में मिली स्कूटीः इधर, मो. गुलाम हैदर अपने बेटे की खोबजीन कर रहे थे. घटना के 10 दिन बाद गुलाम हैदर ने परैया थाना में अपने बेटे की स्कूटी देखी. थाना पहुंचे तो हादसे में पुत्र की मौत हो जाने की बात सामने आई. यह भी पता चला कि उसके बेटे के शव को अज्ञात घोषित कर जला दिया गया. जबकि मुस्लिम में दफनाया जाता है. इसके बाद मामला तूल पकड़ लिया. मो. गुलाम अपने बेटे का शव पुलिस से डिमांड करने लगे.

मृतक के पिता
मृतक के पिता (ETV Bharat)

पहचान करने के कई कारण थेः परिजनों का कहना है कि सड़क हादसे में युवक की स्कूटी और उसके मोबाइल से पहचान की जा सकती थी. अगर पहचान नहीं हुई तो पोस्टमार्टम के दौरान खतना से पता लगाया जा सकता था कि मृतक हिन्दू था या मुस्लिम. पुलिस ने लापरवाही बरतते हुए उसका दाह संस्कार कर दिया. बताया जाता है कि जिस चौकीदार को जिम्मेदारी दी गयी थी वह किसी और को शव सौंपकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली.

इनपर हुई कार्रवाईः फिलहाल एसएसपी ने जांच में तीनों पुलिसकर्मी की लापरवाही पायी है. परैया थानाध्यक्ष मुकेश कुमार, पुलिस सहायक अवर निरीक्षक कृष्ण कुमार गुप्ता व स्थानीय चौकीदार श्याम सुंदर पासवान द्वारा लापरवाही बरती गई. प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब किया गया. मृतक का नाम पता सत्यापन करने में भी लापरवाही हुई. इसके अलावा अज्ञात शव मान दाह संस्कार भी कर दिया गया. इन आरोपों को सिद्ध होने के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है.

यह भी पढ़ेंः 'मेरे बेटे शहाबुद्दीन का शव लौटाओ', बिना पहचान किए पुलिस ने मुस्लिम युवक का कर दिया दाह संस्कार

गया: बिहार में गया दाह संस्कार मामले में थानेदार, दारोगा और चौकीदार के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. दारोगा और चौकीदार को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. वहीं थानेदार को निलंबित करने की अनुशंसा मगध आईजी से की गयी है. इस मामले में मृतक के परिजनों ने एसएसपी से शिकायत की थी. जांच के बाद लापरवाही सामने आयी तो कार्रवाई की गयी.

गया में मुस्लिम युवक का दाह संस्कारः गया एसएसपी आशीष भारती को सूचना मिली थी कि परैया थाना अंतर्गत सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई थी. मृत व्यक्ति की पहचान किए बिना ही उक्त शव को अज्ञात मानकर दाह संस्कार कर दिया गया था. इस तरह की सूचना मिलने के बाद गया एसएसपी के द्वारा मामले में त्वरित जांच के लिए एसडीपीओ टिकारी को निर्देशित किया था.

"इस तरह की शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई है. इसमें परैया थानाध्यक्ष के निलंबन को लेकर आईजी मगध से अनुशंसा की गई है. परैया थाने के पुलिस सहायक अवर निरीक्षक कृष्ण कुमार गुप्ता और चौकीदार श्याम सुंदर पासवान को निलंबित कर दिया गया है. मामले में अग्रतर कार्रवाई हो रही है." -आशीष भारती, एसएसपी, गया जिला

बिना पहचान किए दाह संस्कारः दरअसल, 27 सितंबर को मो. गुलाम हैदर का पुत्र मो. शहाबुद्दीन की मौत सड़क हादसे में हो गयी थी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. शहाबुद्दीन अपनी स्कूटी से गुरारू के लिए निकला था. इसी दौरान पिकअप वैन से टक्कर हो गयी थी. हालांकि घटना के बाद पुलिस ने शव का शिनाख्त नहीं कर पायी थी. पोस्टमार्टम के 72 घंटे बाद शव का दाह संस्कार के लिए चौकीदार को जिम्मेदारी दे दी थी.

10 दिन बाद थाने में मिली स्कूटीः इधर, मो. गुलाम हैदर अपने बेटे की खोबजीन कर रहे थे. घटना के 10 दिन बाद गुलाम हैदर ने परैया थाना में अपने बेटे की स्कूटी देखी. थाना पहुंचे तो हादसे में पुत्र की मौत हो जाने की बात सामने आई. यह भी पता चला कि उसके बेटे के शव को अज्ञात घोषित कर जला दिया गया. जबकि मुस्लिम में दफनाया जाता है. इसके बाद मामला तूल पकड़ लिया. मो. गुलाम अपने बेटे का शव पुलिस से डिमांड करने लगे.

मृतक के पिता
मृतक के पिता (ETV Bharat)

पहचान करने के कई कारण थेः परिजनों का कहना है कि सड़क हादसे में युवक की स्कूटी और उसके मोबाइल से पहचान की जा सकती थी. अगर पहचान नहीं हुई तो पोस्टमार्टम के दौरान खतना से पता लगाया जा सकता था कि मृतक हिन्दू था या मुस्लिम. पुलिस ने लापरवाही बरतते हुए उसका दाह संस्कार कर दिया. बताया जाता है कि जिस चौकीदार को जिम्मेदारी दी गयी थी वह किसी और को शव सौंपकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली.

इनपर हुई कार्रवाईः फिलहाल एसएसपी ने जांच में तीनों पुलिसकर्मी की लापरवाही पायी है. परैया थानाध्यक्ष मुकेश कुमार, पुलिस सहायक अवर निरीक्षक कृष्ण कुमार गुप्ता व स्थानीय चौकीदार श्याम सुंदर पासवान द्वारा लापरवाही बरती गई. प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब किया गया. मृतक का नाम पता सत्यापन करने में भी लापरवाही हुई. इसके अलावा अज्ञात शव मान दाह संस्कार भी कर दिया गया. इन आरोपों को सिद्ध होने के बाद इनके खिलाफ कार्रवाई की गयी है.

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