श्रीनगर: उत्तराखंड में इन दिनों निकाय चुनाव का महासंग्राम छिड़ा हुआ है. प्रदेश के 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिका, 46 नगर पंचायतों में कैंडिडेट चुनाव में जीत की जंप लगाने के लिए दिन रात पसीना बहा रहे हैं. इसी कड़ी में श्रीनगर नगर निगम में भी मुकाबला रोचक है. श्रीनगर नगर निगम सीट इस बार महिला आरक्षित है. इस सीट पर मेयर कैंडिडेट के लिए भाजपा, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला है. 40 वार्डों वाले इस नगर निगम में कुल 29,094 मतदाता हैं. जिनमें 14,948 पुरुष, 14,139 महिलाएं और 7 ट्रांसजेंडर शामिल हैं.
चुनावी मैदान में 5 महिला कैंडिडेट: श्रीनगर नगर निगम में भाजपा की ओर से आशा उपाध्याय चुनावी मैदान में हैं. आशा ने हाल ही में भाजपा ज्वाइन की है. उन्होंने 2018 में नगर पालिका चुनाव भी लड़ा था. कांग्रेस ने मीना रावत को मैदान में उतारा है, जो पार्टी की पुरानी और सक्रिय कार्यकर्ता हैं. वहीं, यूकेडी से सरस्वती देवी चुनाव लड़ रही हैं, जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों में आरती भंडारी और पूनम तिवारी हैं. आरती, भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरी हैं, जबकि पूनम तिवारी कांग्रेस छोड़कर चुनाव लड़ रही हैं.
23 जनवरी को पूरे प्रदेश होना है निकाय चुनाव: बता दें उत्तराखंड में 23 जनवरी को निकाय चुनाव होने हैं. चुनाव में जीत का परचम लहराने के लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी, कार्यकर्ता और पदाधिकारी लगातार जनता से जनसंपर्क कर रहे हैं. 25 जनवरी को सभी प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा. 2021 में नगर पालिका से नगर निगम का दर्जा पाने के बाद श्रीनगर नगर निगम में इस बार का चुनाव ऐतिहासिक होने वाला है.
चुनाव का बढ़ा दायरा और चुनौतियां: नगर निगम बनने से पहले श्रीनगर में केवल 13 वार्ड थे और मतदाताओं की संख्या 24,173 थी, लेकिन 2021 में नगर निगम बनने के बाद वार्डों की संख्या बढ़कर 40 हो गई और मतदाताओं की संख्या भी 29,094 तक पहुंच गई. स्थानीय जनता के लिए यह चुनाव खास है, क्योंकि यह उनके शहर की दशा और दिशा तय करने वाला है. जनता की प्रमुख समस्याओं में कूड़ा प्रबंधन, सीवरेज, ट्रैफिक, और बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा रूट के विकास की मांग शामिल है.
चुनाव प्रचार में तेजी: हर प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार अभियान तेज कर दिया है. भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने-अपने दलों की योजनाओं और वादों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार व्यक्तिगत तौर पर लोगों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
जनता की अपेक्षाएं: स्थानीय निवासी चाहते हैं कि शहर में शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ें. एजुकेशन हब के रूप में श्रीनगर में कोचिंग सेंटरों की कमी भी एक बड़ी समस्या है, जिससे युवाओं को बाहरी शहरों का रुख करना पड़ता है.
क्या कहती है जनता: स्थानीय निवासी प्रियंका ने बताया कि शहर का कूड़ा प्रबंधन और सीवरेज सिस्टम सुधरना चाहिए. वहीं, स्थानीय निवासी जयत्रीनंद तिवारी ने कहा कि शहर का विकास पर्यटन और शिक्षा के आधार पर होना चाहिए.
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