लखनऊ: यूपी में खेलों और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए 1950 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है. यह वित्तीय वर्ष 2023-24 के सापेक्ष 67 प्रतिशत अधिक है. इसके अतिरिक्त योगी सरकार ने आवासीय छात्रावासों में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुए 50 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को 1.50 लाख रुपये प्रतिमाह मानदेय पर प्रशिक्षण (UP Government will hire international players as coaches) के लिए जोड़ने की व्यवस्था की है.
इसके अतिरिक्त प्रदेश में निजी सहभागिता से खेल अवस्थापनाओं के निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है, जबकि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार योजना के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. स्पोर्टस साइंस एंड इंजरी सेंटर की स्थापना के लिए 12 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है. इसके माध्यम से खिलाड़ियों की चोट का समुचित इलाज संभव हो सकेगा.
खेल मंत्री गिरीश चन्द्र यादव ने बताया कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास कायम करने का काम कर रही है. ऐसा ही काम आने वाले दिनों में और मजबूती के साथ होगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जिस तेजी के साथ नए एक्सप्रेस-वे, एग्रीकल्चर में विश्वस्तरीय तकनीक और बेरोजगारी दूर करने के प्रयास किय जा रहे हैं. इसका लाभ प्रदेश को करोड़ों लोगों को मिलेगा.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में लखनऊ और आसपास के प्रमुख शहरों में जी-20 जैसे प्रमुख आयोजन किए गए हैं. उनसे न सिर्फ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सबके सामने आए. बजट के जरिए प्रदेश सरकार ने पूरब से लेकर पश्चिम और पश्चिम से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश को कुछ ना कुछ देने का काम किया है. वहीं किसानों, युवाओ, महिलाओं, गरीबों के लिए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं पहले की तरह यथावत रखी गई है.
पिछले वर्ष की तुलना में चिकित्सा संस्थानों को डेढ़ गुना अधिक प्राप्त हुआ बजट: प्रदेश सरकार ने चिकित्सा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया इस बजट में चिकित्सा संस्थानों को भी अच्छा खासा बजट प्राप्त हुआ है. इस बजट के जरिए संस्थान अपने-अपने मेडिकल संस्थानों में उपकरण, बेड़ एवं ट्रामा सेंटर की व्यवस्थाओं को बेहतर करेंगे. पीजीआई को इस वर्ष 1160.5 करोड़ का बजट प्राप्त हुआ है.
वहीं पिछले वर्ष 963.96 करोड़ का बजट प्राप्त हुआ था. केजीएमयू को 1640 करोड़ बजट मिला है. बीते वर्ष 1090.42 करोड़ मिला था. वहीं लोहिया संस्थान को 888 करोड़ का बजट प्राप्त हुआ. बीते वर्ष 563.84 करोड़ का बजट प्राप्त हुआ था. आंकड़ों में देखा जा सकता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार संस्थाओं को अधिक बजट प्राप्त हुआ है.
शुरू होंगे तीन नए विभाग: एसजीपीजीआई में बच्चों से जुड़ी लगभग सभी बीमारियों के उच्चस्तरीय इलाज के लिए 575 बेड के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर के निर्माण कार्य शुरू होने के साथ एपेक्स ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी में बेड बढ़ेंगे. सरकार ने बजट में संस्थान में निर्माण कार्य व उपकरणों की खरीदारी के लिए 100-100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. इसके साथ ही यहां तीन नए विभाग पीडियाट्रिक इंडोक्राइनोलाजी, हेड-नेक सर्जरी व संक्रामक रोग विभाग शुरू होंगे. संस्थान के एक्जीक्यूटिव रजिस्ट्रार वरुण बाजपेयी के मुकाबिक, पीडियाट्रिक सेंटर में 23 विभाग होंगे.
पहले चरण में 12 विभाग और चार यूनिट शुरू की जाएंगी. बजट मिलने के बाद जल्द ही सेंटर का निर्माण कार्य शुरू करेंगे. परिसर में 40 बेड का एडवांस डायबिटिक सेंटर बनकर तैयार है, जिसमें ओटी, आइसीयू और वार्ड में जरूरी उपकरण लगाने का काम चल रहा है. इसे अगले माह शुरू कर दिया जाएगा. निदेशक प्रो. आरके धीमान ने बताया कि बजट में एपेक्स ट्रामा सेंटर में शुरू के 24 घंटे मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए 10 करोड़ और बीपीएल कार्ड धारकों के लिए दो करोड़ रुपये का प्राविधान है.
साथ ही सेंटर में आधुनिक उपकरण की खरीदारी के लिए 20 करोड़ रुपये दिए गए हैं. साल के आखिर तक ट्रामा सेंटर और इमरजेंसी में 200-200 बेड पर मरीजों की भर्ती शुरू कर देंगे. 500 बेड का बनेगा नया ट्रामा सेंटरकेजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आने वाले गंभीर मरीजों को अब इलाज के लिए पैसा आड़े नहीं आएगा. अब यहां शुरुआत के 24 घंटे मुफ्त इलाज देने की तैयारी है. इसके लिए बजट में 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद के मुताबिक, सरकार के इस फैसले से काफी राहत मिलेगी और बिना समय गंवाए गंभीर रोगियों का इलाज शुरू हो सकेगा.
बजट में 500 बेड का नया ट्रामा सेंटर बनाने के लिए प्रविधान है. मौजूदा समय में यहां कुल 460 बेड हैं. रोजाना 800-1000 गंभीर मरीज पहुंचते हैं. बेड की कमी के चलते कई बार रोगियों को भी बेड नहीं मिल पाता है. ऐसे में ट्रामा सेंटर का अलग भवन बनने से बेड की संख्या करीब छह गुणा से ज्यादा बढ़ जाएगी. वहीं, नेत्र रोग विभाग में एडवांस डायबिटिक रेटिनोपैथी सेंटर में उपकरणों की खरीदारी के लिए दो करोड़ रुपये दिए गए हैं. इस सेंटर में डायबिटीज मरीज की आंखों में खून की नसों में ब्लाकेज, नसों में लीकेज, फैट जमा होना, आंख में पानी बनना समेत सभी जटिल बीमारी की जांच व इलाज की व्यवस्था होगी.
खुलेंगे न्यूरोलॉजी के सेंटर: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के बजट को भी करीब डेढ़ गुणा बढ़ाया गया है. संस्थान में प्रदेश का पहला एडवांस न्यूरो साइंस सेंटर बनकर तैयार है. बजट में करीब 250 करोड़ रुपये एडवांस सेंटर के साथ विभागों के उपकरणों की खरीदारी के मद में मिले हैं. न्यूरोलाजी-न्यूरो सर्जरी के सेंटर में 100-100 बेड होंगे. इसमें हेड इंजरी, स्पाइन सर्जरी यूनिट व ब्रेन ट्यूमर सर्जरी यूनिट होंगी. ब्रेन स्ट्रोक के इलाज की यूनिट 24 घंटे संचालित की जाएगी. इसके अलावा मुख्य परिसर में 1100 बेड का नया अस्पताल बनेगा. बजट में सौ करोड़ रुपये निर्माण कार्य के लिए व्यवस्था की गई है. संस्थान में सेंटर फार ट्रांसप्लांट यूनिट तैयार हो रही है.
अधिकतम 90 साल के लिए पर्यटन की भूमि ले सकेंगे लीज पर, पर्यटन विभाग ने नई भूमि लीज जारी की: बजट से पहले हुए कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार ने नई भूमि प्लीज नीति को मंजूरी दे दिए अब इसी को लेकर पर्यटन विभाग ने अपनी भूमि लीज नीति को जारी कर दिया है. इसके तहत उत्तर प्रदेश में पर्यटन विभाग की भूमि को कोई भी व्यक्ति 30 वर्ष से लेकर अधिकतम 90 वर्ष तक प्लीज पर ले सकता है. श्रम विभाग में निवेशकों की सहूलियत के लिए इस नीति को तैयार किया है जिसमें भूमि की सूची बनाकर एक भूमि बैंक तैयार किया जाएगा जिसे लीज पर दिया जाएगा.
यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी उन्होंने बताया कि सरकार निवेशकों की मदद के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. जिससे प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिले साथ ही प्रदेश में रोजगार के अवसर भी बढ़े.
646 निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में मांगी है भूमि: पर्यटन मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति 2022 के तहत पर्यटन में वृद्धि और राज्य में पर्यटन उद्योग को देश के सबसे पसंदीदा निवेश के रूप में स्थापित करने के लिए इसे लाया गया है. उन्होंने बताया कि बीते वर्ष हुए ग्लोबल इन्वेस्टर सबमिट-2023 में पर्यटन नीति के आकर्षण के कारण ही पर्यटन के क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख करोड़ का निवेश का प्रस्ताव पर्याप्त हुआ था. इसमें 1187 प्रस्ताव में से 646 प्रस्ताव के निवेश को द्वारा भूमि लिस्ट पर आवंटित किए जाने की मांग की गई है. उन्होंने बताया कि विभाग पट्टे के आधार पर भूमि आवंटन के लिए जनपद और पर्यटक उपयुक्त भूखंडों की पहचान कर उसकी एक लिस्ट बनाएगा और इसे पर्यटन विभाग के भूमि बैंक के रूप में चिन्हित किया जाएगा.
छोटे भूखंडों को "जहां है जिस स्थिति में है" के आधार पर आवंटित करेगा. वही बड़े भूखंडों पर यूनिट पार्सल के रूप में आवंटन के लिए प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर एक विस्तृत ले आउट तैयार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि निवेशक आवंटित भूखंड पर पर्यटन सुविधाओं के विकास के डिजाइन, वित्त पोषण और विकसित करेंगे.पर्यटन मंत्री ने बताया कि भूस्थल के आसपास आधारभूत संरचना और अवस्थापना सुविधाओं संबंधित विकास कार्यों के होने वाले खर्च संबंधित विकास कार्य पर होने वाला खर्च उनके बजट प्रावधानों से किया जाएगा.
इनके लिए विभागीय बजट का कोई प्रावधान नहीं होगा उसका आकलन का पर्यटन विभाग द्वारा बजट प्रावधान किया जाएगा पर्यटन विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रारूप के अनुसार निवेदक डीपीआर तैयार करेंगे मंत्री ने कहा कि इसके दूसरे चरण में प्रस्ताव का तकनीकी मूल्यांकन किया जाएगा. संभावित निवेशकों की ओर से मिले प्रस्ताव को प्रमुख सचिव पर्यटन की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति के सामने रखा जाएगा. जिस पर निवेशक भारत के बाहर स्थित संगठनों वाले निवेशकों के साथ संयुक्त उधम के रूप में निवेश के प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं.
निवेशकों को भारत सरकार द्वारा वैध और योग माने जाने वाले विदेशी निवेशकों के साथ संयुक्त उद्यम के अंतर्गत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने की अनुमति होगी. इसके अलावा ऐसे प्रस्ताव जो केवल एक निवेशकों द्वारा भेजा जाएगा. उनके प्रस्ताव को तकनीकी समिति की ओर से आरक्षित मूल्य के अनुसार भूखंड को लीज पट्टे पर देने का विचार करते हुए एकल टेंडर के प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्य सचिव से अनुमति दी जाएगी. ऐसे संबंधित भूखंड के लिए उत्तम प्रीमियम प्रस्तावित करने वाले निवेशकों को भूमि आवंटन की कार्रवाई की जाएगी. भूमि प्रीमियम निवेशक को निर्धारित भूमि का सर्किल रेट और उच्चतम नीलामी मूल के बराबर एक मोस्ट प्रीमियम देना होगा.
मंत्री ने बताया कि वार्षिक पत्ता किराया प्रथम दो वित्तीय वर्ष के लिए अंतिम भूमि प्रीमियम का एक प्रतिशत वार्षिक पत्ता किराया विकास करता द्वारा देना होगा तीसरे वित्तीय वर्ष से पत्ता किराया प्रति वर्ष 5% वृद्धि के साथ विकास करता को देना होगा. इसके अलावा पट्टा डीड पर हस्ताक्षर के 30 माह के भीतर सभी निर्माण गतिविधियां पूरी करनी होगी. 30 माह के भीतर परियोजना पूरी न होने पर पट्टा डीड सात समाप्त हो जाएगी.