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लालू यादव की नजरों में तेजस्वी अच्छा काम कर रहे हैं, फिर भी क्यों नहीं सौंपी जा रही पार्टी की कमान? - RJD foundation day

राष्ट्रीय जनता दल आज अपना 28 वां स्थापना दिवस मना रहा है. लालू प्रसाद यादव की बनायी हुई पार्टी का चेहरा उनके बेटे तेजस्वी यादव हैं. पार्टी के सभी निर्णयों में वो शामिल रहते हैं, लेकिन अभी भी उन्हें पार्टी की कमान आधिकारिक रूप से नहीं सौंपी गयी है, जबकि लालू प्रसाद की सेहत उन्हें ज्यादा लोड लेने की परमिशन नहीं दे रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान सौंपी जाएगी, इसमें क्या अड़चन है. पढ़ें, विस्तार से.

राजद का स्थापना दिवस.
राजद का स्थापना दिवस. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 5, 2024, 7:27 PM IST

राजद के स्थापना दिवस पर राजनीतिक बयान. (ETV Bharat)

पटना: राष्ट्रीय जनता दल 5 जुलाई शुक्रवार को अपना 28 वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस अवसर पर पार्टी कार्यालय में स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सहित पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहे. कार्यक्रम में लालू प्रसाद यादव ने कहा कि तेजस्वी यादव पार्टी को बढ़िया से हैंडल कर रहे हैं. इसके बाद से कयास लगाये जाने लगे कि राजद के अगले 'बॉस' तेजस्वी ही होंगे. राजद की कमान तेजस्वी यादव को कब सौंपी जाएगी, इसको लेकर कयास लगाये जाने लगे.

पार्टी की कमान सौंपे जाने की चर्चाः 2022 में चारा घोटाला मामले में डोरंडा कोषागार केस पर फैसला आने से पहले राजद की कमान तेजस्वी यादव को देने की चर्चा उठी थी. लेकिन हर अधिवेशन हो या स्थापना दिवस समारोह उससे पहले चर्चा होती है कि अब तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की पूरी कमान आने वाली है. अब तक सार्वजनिक रूप से यह घोषणा नहीं की गयी है कि पार्टी की कमान कब तेजस्वी के हाथ में आएगी.

लालू यादव.
लालू यादव. (ETV Bharat)

पार्टी की बागडोर लालू के हाथ मेंः 1997 में जब राजद की स्थापना हुई थी, तब से यानी 28 वर्षों से राजद की बागडोर लालू यादव के हाथों में ही रही है. लालू यादव राजद में सर्वमान्य नेता हैं. जब से पार्टी बानी तब से वे निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाते रहे हैं. लालू प्रसाद की एक खासियत यह रही है कि वो कभी भी पार्टी में बगावती सुर को उठने नहीं दिये. उठा भी तो उसे वे तत्काल ही दबाकर रख दिये. उनकी बात को संगठन में सभी नेता मानते हैं.

लालू प्रसाद की सेहत को लेकर सवालः पिछले कई वर्षों से लालू यादव बीमार चल रहे हैं. किडनी की बीमारी से परेशान थे. हालांकि उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने किडनी देकर जान बचा ली है, लेकिन वो पार्टी के कार्यक्रम में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि, आज भी उम्मीदवारों के चयन हो या फिर सरकार में भूमिका सब लालू यादव से ही पूछकर की जाती है. वो बीमार रहें हो या फिर जेल में, तेजस्वी यादव व अन्य वरीय नेता दिल्ली जाकर उनसे राय लेते थे.

स्थापना दिवस में मौजूद लालू यादव और तेजस्वी यादव.
स्थापना दिवस में मौजूद लालू यादव और तेजस्वी यादव. (ETV Bharat)

तेजस्वी को घर से चुनौतीः तेजस्वी यादव के हाथ में लालू प्रसाद यादव पार्टी की कमान देने की बात कई बार कर चुके हैं. लेकिन उनके सामने कुछ चुनौती भी है. सबसे बड़ी चुनौती परिवार में भी हैं. तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप यादव कई बार खुलकर तेजस्वी यादव के निर्णय का विरोध कर चुके हैं. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ तेज प्रताप यादव ने कई जगहों पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था. चुनाव प्रचार में सिर्फ तेजस्वी के जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए थे.

पार्टी में टूट नहीं रोक पाए थे तेजस्वीः लालू प्रसाद यादव चाहते हैं कि तेजस्वी यादव पूरी तरीके से राजनीति में परिपक्व हो जाएं तब उसे पार्टी की कमान दी जाए. दूसरी बार नीतीश कुमार, बीजेपी के साथ गए तो उस समय राजद के पांच विधायक पार्टी छोड़कर जेडीयू और बीजेपी में शामिल हुए थे. लेकिन पार्टी में इस टूट को तेजस्वी यादव नहीं रोक पाए. उनको पता था कि पार्टी के कुछ नेता एनडीए के नेताओं के संपर्क में हैं, इसके बावजूद वह उन नेताओं को अपने पाले में एकजुट नहीं रख पाए.

लालू से पार्टी को फायदाः पार्टी के कई सीनियर लीडर अभी भी तेजस्वी के मुकाबले लालू प्रसाद यादव के प्रति ज्यादा वफादार हैं. वे लोग चाहते हैं कि जब तक लालू प्रसाद यादव स्वस्थ हैं तब तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रहे. इससे पार्टी को फायदा होगा. हालांकि, पिछले कुछ सालों में तेजस्वी यादव ने खुद को आरजेडी की अगली पीढ़ी के नेता के रूप में सफल रूप से स्थापित किया है. 2020 विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने खुद को पार्टी के बदलाव का चेहरा बना दिया.

बीजेपी का लालू परिवार पर निशानाः तेजस्वी यादव के हाथों में पार्टी की कमान के मसले पर बीजेपी ने लालू परिवार पर निशाना साधा है. भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा है कि आज राजद का स्थापना दिवस समारोह है, यानी जंगल राज का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. भाजपा प्रवक्ता ने लालू यादव पर तंज करते हुए कहा कि उनको सत्ता का इतना मोह है कि अपने पुत्र के लिए भी अध्यक्ष का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. भाई-भाई के लिए सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं, बहन-भाई के लिए सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं.

"पिछले कई वर्षों से तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की कमान देने की बात हो रही, लेकिन तेजस्वी यादव का यह सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ है. वह सीएम इन वेटिंग भी हैं और पार्टी प्रेसिडेंट इन वेटिंग भी."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

जदयू का तेजस्वी पर निशानाः जदयू राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बहाने तेजस्वी यादव पर निशाना साध रहा है. जदयू की प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि लालू प्रसाद यादव की स्थिति बहुत ही कशमकश वाली हो गई है. अपनी ताकत का इस्तेमाल करके वह तेजस्वी यादव को दो बार डिप्टी सीएम तो बनवा दिए, नेता प्रतिपक्ष भी बनवा देते हैं, लेकिन जब संगठन के नेतृत्व की बात आती है तू लाल यादव को इस बात का पता है कि तेजस्वी यादव पर जितना भ्रष्टाचार का एलिगेशन चल रहा है कोई नहीं जानता कि उन्हें कब न्यायिक हिरासत में जाना पड़े.

"लालू प्रसाद यादव यह भली-भांति जानते हैं कि यदि पार्टी की कमान उनको (तेजस्वी यादव) दी जाती है तो पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे. यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को हर जगह सेट कर रहे हैं, लेकिन पार्टी का नेतृत्व देने से कतरा रहे हैं."- अंजुम आरा, जदयू प्रवक्ता

राजद का पलटवारः तेजस्वी यादव को लेकर भाजपा और जदयू के नेताओं के बयान पर राजद की तरफ से भी जवाब दिया गया है. पार्टी की प्रवक्ता सारिका पासवान ने कहा कि बीजेपी और जदयू के लोगों को हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सपने में नजर आते हैं. बिना लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नाम लिए इन लोगों को अन्न का एक दाना भी नहीं पचता है. यही कारण है कि उनका हर चीज में इन्हीं दोनों लोगों की याद आती है.

"बीजेपी और जदयू के लोगों को हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सपने में नजर आते हैं. लालू प्रसाद यादव, हमारी पार्टी के अभिभावक और सर्वमान्य नेता हैं. हम लोग चाहते हैं कि लालू यादव का आशीर्वाद हमेशा हम लोगों को मिलता रहे."- सारिका पासवान, राजद प्रवक्ता

क्या लिखा है पार्टी के संविधान मेंः तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की कमान औपचारिक रूप से नहीं दिए जाने पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि पिछले कई वर्षों से तेजस्वी के हाथ में कमान देने की चर्चा हो रही है. लालू यादव उम्र की ढलान पर हैं, लेकिन वह शारीरिक रूप से कुछ स्वस्थ नजर आ रहे हैं. जहां तक पार्टी की कमान की बात है तो राजद के संविधान में लिखा है कि लालू यादव जब तक चाहे तब तक पार्टी के अध्यक्ष रह सकते हैं.

"भले ही तेजस्वी यादव दो बार बिहार के डिप्टी सीएम बने हैं, लेकिन उनकी आज भी पहचान लालू यादव के पुत्र के रूप में ही हो रही है. जब तक लालू प्रसाद है तब तक राजद की कमान उन्हीं के हाथ में रहेगी क्योंकि वह पार्टी के ब्रांड एंबेसडर हैं."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

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पार्टी की कमान सौंपे जाने की चर्चाः 2022 में चारा घोटाला मामले में डोरंडा कोषागार केस पर फैसला आने से पहले राजद की कमान तेजस्वी यादव को देने की चर्चा उठी थी. लेकिन हर अधिवेशन हो या स्थापना दिवस समारोह उससे पहले चर्चा होती है कि अब तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की पूरी कमान आने वाली है. अब तक सार्वजनिक रूप से यह घोषणा नहीं की गयी है कि पार्टी की कमान कब तेजस्वी के हाथ में आएगी.

लालू यादव.
लालू यादव. (ETV Bharat)

पार्टी की बागडोर लालू के हाथ मेंः 1997 में जब राजद की स्थापना हुई थी, तब से यानी 28 वर्षों से राजद की बागडोर लालू यादव के हाथों में ही रही है. लालू यादव राजद में सर्वमान्य नेता हैं. जब से पार्टी बानी तब से वे निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाते रहे हैं. लालू प्रसाद की एक खासियत यह रही है कि वो कभी भी पार्टी में बगावती सुर को उठने नहीं दिये. उठा भी तो उसे वे तत्काल ही दबाकर रख दिये. उनकी बात को संगठन में सभी नेता मानते हैं.

लालू प्रसाद की सेहत को लेकर सवालः पिछले कई वर्षों से लालू यादव बीमार चल रहे हैं. किडनी की बीमारी से परेशान थे. हालांकि उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने किडनी देकर जान बचा ली है, लेकिन वो पार्टी के कार्यक्रम में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि, आज भी उम्मीदवारों के चयन हो या फिर सरकार में भूमिका सब लालू यादव से ही पूछकर की जाती है. वो बीमार रहें हो या फिर जेल में, तेजस्वी यादव व अन्य वरीय नेता दिल्ली जाकर उनसे राय लेते थे.

स्थापना दिवस में मौजूद लालू यादव और तेजस्वी यादव.
स्थापना दिवस में मौजूद लालू यादव और तेजस्वी यादव. (ETV Bharat)

तेजस्वी को घर से चुनौतीः तेजस्वी यादव के हाथ में लालू प्रसाद यादव पार्टी की कमान देने की बात कई बार कर चुके हैं. लेकिन उनके सामने कुछ चुनौती भी है. सबसे बड़ी चुनौती परिवार में भी हैं. तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप यादव कई बार खुलकर तेजस्वी यादव के निर्णय का विरोध कर चुके हैं. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ तेज प्रताप यादव ने कई जगहों पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था. चुनाव प्रचार में सिर्फ तेजस्वी के जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए थे.

पार्टी में टूट नहीं रोक पाए थे तेजस्वीः लालू प्रसाद यादव चाहते हैं कि तेजस्वी यादव पूरी तरीके से राजनीति में परिपक्व हो जाएं तब उसे पार्टी की कमान दी जाए. दूसरी बार नीतीश कुमार, बीजेपी के साथ गए तो उस समय राजद के पांच विधायक पार्टी छोड़कर जेडीयू और बीजेपी में शामिल हुए थे. लेकिन पार्टी में इस टूट को तेजस्वी यादव नहीं रोक पाए. उनको पता था कि पार्टी के कुछ नेता एनडीए के नेताओं के संपर्क में हैं, इसके बावजूद वह उन नेताओं को अपने पाले में एकजुट नहीं रख पाए.

लालू से पार्टी को फायदाः पार्टी के कई सीनियर लीडर अभी भी तेजस्वी के मुकाबले लालू प्रसाद यादव के प्रति ज्यादा वफादार हैं. वे लोग चाहते हैं कि जब तक लालू प्रसाद यादव स्वस्थ हैं तब तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रहे. इससे पार्टी को फायदा होगा. हालांकि, पिछले कुछ सालों में तेजस्वी यादव ने खुद को आरजेडी की अगली पीढ़ी के नेता के रूप में सफल रूप से स्थापित किया है. 2020 विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने खुद को पार्टी के बदलाव का चेहरा बना दिया.

बीजेपी का लालू परिवार पर निशानाः तेजस्वी यादव के हाथों में पार्टी की कमान के मसले पर बीजेपी ने लालू परिवार पर निशाना साधा है. भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने कहा है कि आज राजद का स्थापना दिवस समारोह है, यानी जंगल राज का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. भाजपा प्रवक्ता ने लालू यादव पर तंज करते हुए कहा कि उनको सत्ता का इतना मोह है कि अपने पुत्र के लिए भी अध्यक्ष का पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. भाई-भाई के लिए सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं, बहन-भाई के लिए सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं.

"पिछले कई वर्षों से तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की कमान देने की बात हो रही, लेकिन तेजस्वी यादव का यह सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ है. वह सीएम इन वेटिंग भी हैं और पार्टी प्रेसिडेंट इन वेटिंग भी."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

जदयू का तेजस्वी पर निशानाः जदयू राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बहाने तेजस्वी यादव पर निशाना साध रहा है. जदयू की प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि लालू प्रसाद यादव की स्थिति बहुत ही कशमकश वाली हो गई है. अपनी ताकत का इस्तेमाल करके वह तेजस्वी यादव को दो बार डिप्टी सीएम तो बनवा दिए, नेता प्रतिपक्ष भी बनवा देते हैं, लेकिन जब संगठन के नेतृत्व की बात आती है तू लाल यादव को इस बात का पता है कि तेजस्वी यादव पर जितना भ्रष्टाचार का एलिगेशन चल रहा है कोई नहीं जानता कि उन्हें कब न्यायिक हिरासत में जाना पड़े.

"लालू प्रसाद यादव यह भली-भांति जानते हैं कि यदि पार्टी की कमान उनको (तेजस्वी यादव) दी जाती है तो पार्टी के कार्यकर्ता उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे. यही कारण है कि लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव को हर जगह सेट कर रहे हैं, लेकिन पार्टी का नेतृत्व देने से कतरा रहे हैं."- अंजुम आरा, जदयू प्रवक्ता

राजद का पलटवारः तेजस्वी यादव को लेकर भाजपा और जदयू के नेताओं के बयान पर राजद की तरफ से भी जवाब दिया गया है. पार्टी की प्रवक्ता सारिका पासवान ने कहा कि बीजेपी और जदयू के लोगों को हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सपने में नजर आते हैं. बिना लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नाम लिए इन लोगों को अन्न का एक दाना भी नहीं पचता है. यही कारण है कि उनका हर चीज में इन्हीं दोनों लोगों की याद आती है.

"बीजेपी और जदयू के लोगों को हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव सपने में नजर आते हैं. लालू प्रसाद यादव, हमारी पार्टी के अभिभावक और सर्वमान्य नेता हैं. हम लोग चाहते हैं कि लालू यादव का आशीर्वाद हमेशा हम लोगों को मिलता रहे."- सारिका पासवान, राजद प्रवक्ता

क्या लिखा है पार्टी के संविधान मेंः तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की कमान औपचारिक रूप से नहीं दिए जाने पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि पिछले कई वर्षों से तेजस्वी के हाथ में कमान देने की चर्चा हो रही है. लालू यादव उम्र की ढलान पर हैं, लेकिन वह शारीरिक रूप से कुछ स्वस्थ नजर आ रहे हैं. जहां तक पार्टी की कमान की बात है तो राजद के संविधान में लिखा है कि लालू यादव जब तक चाहे तब तक पार्टी के अध्यक्ष रह सकते हैं.

"भले ही तेजस्वी यादव दो बार बिहार के डिप्टी सीएम बने हैं, लेकिन उनकी आज भी पहचान लालू यादव के पुत्र के रूप में ही हो रही है. जब तक लालू प्रसाद है तब तक राजद की कमान उन्हीं के हाथ में रहेगी क्योंकि वह पार्टी के ब्रांड एंबेसडर हैं."- अरुण पांडेय, राजनीतिक विश्लेषक

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