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हेलो-कैसा रहा आपके क्षेत्र का हाल! चुनाव बाद उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं के बीच हो रहा संवाद, पर किसका पलड़ा भारी फैसला 4 जून को - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 2, 2024, 6:39 PM IST

Speculation on result of Lok sabha election.एग्जिट पोल के संभावित नतीजे आने के बाद अब शहर के चौक-चौराहों से लेकर गांव की चौपाल में हार-जीत के कयास लगाए जा रहे हैं. कोई भाजपा को मजबूत बता रहा है तो कोई इंडिया गठबंधन को. ऐसे में जानिए संथाल परगना की तीन संसदीय सीटों को लेकर क्या है वरिष्ठ पत्रकारों का अनुमान.

Speculation On Result Of Lok Sabha Election
भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव. (डिजाइन इमेज-ईटीवी भारत)

गोड्डा: लोकसभा चुनाव में वोटिंग के बाद सभी उम्मीदवार लंबी थकान के बाद रिलैक्स मोड में हैं, लेकिन चुनाव परिणाम की चिंता उम्मीदवारों को सता रही है. सभी उम्मीदवार फोन पर कार्यकर्ताओं से वोटिंग का हाल जान रहे हैं. जिसमें एक ही संवाद होता कि कैसा रहा आपके तरफ वोटिंग का हाल. उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं का यह संवाद इन दिनों आम है. मतदान समाप्ति के बाद दो दिन का वक्त इन्हीं संवाद और जोड़-घटाव में गुजर रहा है. वहीं चौक-चौराहों पर भी लोग चुनाव की चर्चा कर रहे हैं और जीत-हार के समीकरण पर चर्चा कर रहे हैं. वहीं बुद्धिजीवियों के बीच भी चुनाव की चर्चा हो रही है.

राजमहल में ताला पर भारी पड़ सकते हैं विजय, पर लोबिन भी कर सकते हैं चमत्कार

संथाल परगना के राजमहल लोकसभा सीट पर वोटिंग के बाद वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्राणेश कहते हैं कि राजमहल में झामुमो के विजय हांसदा का मुकाबला भाजपा के ताला मरांडी के साथ है. वहीं अंतिम समय में झामुमो के लोबिन हेंब्रम की एंट्री और तीसरा कोण बनने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्राणेश कहते हैं कि लोबिन हेंब्रम कोई कोण बना रहे हैं फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा, लेकिन वे विजय हांसदा का कुछ वोट काट सकते हैं. अंततः टक्कर विजय हांसदा और ताला मरांडी के बीच है. डॉ प्राणेश का अनुमान है कि अंततः विजय हांसदा तीसरी बार भी राजमहल से चुनाव जीत जाएंगे. हालांकि कुछ लोग भाजपा के अंडर करंट की बात करते हुए किसी चमत्कार की उम्मीद को भी इनकार नहीं करते हैं.

दुमका में कांटे की टक्कर पर नलिन को माना जा रहा मजबूत दावेदार

वहीं राज्य की सबसे चर्चित सीट झारखंड की उपराजधानी दुमका लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. यहां आमने-सामने का मुकाबला है. एक तरफ झामुमो की टिकट पर नलिन सोरेन हैं तो दूसरी ओर भाजपा की टिकट पर शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं. दोनों में आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है.

इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार शिव शंकर तिवारी कहते हैं कि मुकाबला कांटे का है, लेकिन ये भी सही है की गुरुजी का वोट नलिन सोरेन के साथ इटेक्ट है. ऐसे में सीता सोरेन की राह थोड़ी मुश्किल जरूर है. शिव शंकर ने कहा कि सीता को पूरी तरह भाजपा के लोग भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और फिर उन लोगों को ऐसा भी लग रहा कि संभव हो कि सीता अपने घर वापस लौट जाए. ऐसे में भाजपा के कैडर तो उनके साथ है, लेकिन आम मतदाता थोड़ा कन्फ्यूज है. ऐसे में एज नलीन सोरेन के पक्ष में जाता दिख रहा है.

गोड्डा में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच, पर अभिषेक झा बदल सकते हैं समीकरण

वहीं संथाल परगना की एक मात्र सामान्य सीट गोड्डा की बात करें तो यहां दिग्गजों का आकलन हर बार चौंकाता रहा है. यहां मुकाबला की बात करें तो भाजपा के निशिकांत दुबे लगातार तीन जीत के बाद चौथी बार मैदान में हैं तो सामने कांग्रेस से प्रदीप यादव हैं. मुकाबला आमने-सामने का है, लेकिन निर्दलीय अभिषेक आनंद झा की एंट्री से समीकरण थोड़ा बदलता दिख रहा है. अब सवाल यह है कि जिस देवघर से निशिकांत दुबे को सर्वाधिक उम्मीद है पिछली दफा 75000 की लीड थी वो बरकरार रहेगी या फिर अभिषेक आनंद झा की एंट्री से समीकरण बदल सकता है.

गोड्डा में 50-50 में फंस सकता है पेच

इस मसले पर पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि कुल 20 लाख वोटरों में मतदान तकरीबन 13 लाख हुआ है. अगर निर्दलीय अभिषेक झा का मत 40 से 50 हजार के बीच आ जाता है, जिसका लोग अनुमान कर रहे हैं और अन्य निर्दलीय भी 50 हजार वोट ले जाते हैं तो शेष 12 लाख में जो भी उम्मीदवार छह लाख के आंकड़े को पार करेगा वो जीत के करीब पहुंच जाएगा. ऐसे में गोड्डा में पेच 50-50 में फंस गया है. जहां महज 10 से 20 हजार वोटों का अंतर किसी को चौथी बार सांसद बना सकता है या किसी को दूसरी बार. कुल मिलाकर इसका फैसला 4 जून को हो जाएगा.

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राजमहल में ताला पर भारी पड़ सकते हैं विजय, पर लोबिन भी कर सकते हैं चमत्कार

संथाल परगना के राजमहल लोकसभा सीट पर वोटिंग के बाद वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्राणेश कहते हैं कि राजमहल में झामुमो के विजय हांसदा का मुकाबला भाजपा के ताला मरांडी के साथ है. वहीं अंतिम समय में झामुमो के लोबिन हेंब्रम की एंट्री और तीसरा कोण बनने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्राणेश कहते हैं कि लोबिन हेंब्रम कोई कोण बना रहे हैं फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा, लेकिन वे विजय हांसदा का कुछ वोट काट सकते हैं. अंततः टक्कर विजय हांसदा और ताला मरांडी के बीच है. डॉ प्राणेश का अनुमान है कि अंततः विजय हांसदा तीसरी बार भी राजमहल से चुनाव जीत जाएंगे. हालांकि कुछ लोग भाजपा के अंडर करंट की बात करते हुए किसी चमत्कार की उम्मीद को भी इनकार नहीं करते हैं.

दुमका में कांटे की टक्कर पर नलिन को माना जा रहा मजबूत दावेदार

वहीं राज्य की सबसे चर्चित सीट झारखंड की उपराजधानी दुमका लोकसभा सीट पर सबकी नजर है. यहां आमने-सामने का मुकाबला है. एक तरफ झामुमो की टिकट पर नलिन सोरेन हैं तो दूसरी ओर भाजपा की टिकट पर शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन हैं. दोनों में आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है.

इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार शिव शंकर तिवारी कहते हैं कि मुकाबला कांटे का है, लेकिन ये भी सही है की गुरुजी का वोट नलिन सोरेन के साथ इटेक्ट है. ऐसे में सीता सोरेन की राह थोड़ी मुश्किल जरूर है. शिव शंकर ने कहा कि सीता को पूरी तरह भाजपा के लोग भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और फिर उन लोगों को ऐसा भी लग रहा कि संभव हो कि सीता अपने घर वापस लौट जाए. ऐसे में भाजपा के कैडर तो उनके साथ है, लेकिन आम मतदाता थोड़ा कन्फ्यूज है. ऐसे में एज नलीन सोरेन के पक्ष में जाता दिख रहा है.

गोड्डा में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच, पर अभिषेक झा बदल सकते हैं समीकरण

वहीं संथाल परगना की एक मात्र सामान्य सीट गोड्डा की बात करें तो यहां दिग्गजों का आकलन हर बार चौंकाता रहा है. यहां मुकाबला की बात करें तो भाजपा के निशिकांत दुबे लगातार तीन जीत के बाद चौथी बार मैदान में हैं तो सामने कांग्रेस से प्रदीप यादव हैं. मुकाबला आमने-सामने का है, लेकिन निर्दलीय अभिषेक आनंद झा की एंट्री से समीकरण थोड़ा बदलता दिख रहा है. अब सवाल यह है कि जिस देवघर से निशिकांत दुबे को सर्वाधिक उम्मीद है पिछली दफा 75000 की लीड थी वो बरकरार रहेगी या फिर अभिषेक आनंद झा की एंट्री से समीकरण बदल सकता है.

गोड्डा में 50-50 में फंस सकता है पेच

इस मसले पर पत्रकार हेमचंद्र बताते हैं कि कुल 20 लाख वोटरों में मतदान तकरीबन 13 लाख हुआ है. अगर निर्दलीय अभिषेक झा का मत 40 से 50 हजार के बीच आ जाता है, जिसका लोग अनुमान कर रहे हैं और अन्य निर्दलीय भी 50 हजार वोट ले जाते हैं तो शेष 12 लाख में जो भी उम्मीदवार छह लाख के आंकड़े को पार करेगा वो जीत के करीब पहुंच जाएगा. ऐसे में गोड्डा में पेच 50-50 में फंस गया है. जहां महज 10 से 20 हजार वोटों का अंतर किसी को चौथी बार सांसद बना सकता है या किसी को दूसरी बार. कुल मिलाकर इसका फैसला 4 जून को हो जाएगा.

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