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नक्सली संगठन टीएसपीसी का खौफनाक चेहरा! TSPC के खिलाफ बनाई गई है स्पेशल टीम - Naxalite organization TSPC - NAXALITE ORGANIZATION TSPC

Action against TSPC. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में पिछले कुछ महीनों से नक्सली संगठन टीएसपीसी का खौफनाक चेहरा सामने आ रहा है. कुछ दिन पहले चतरा में पिता-पुत्र की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है.

Naxalite organization TSPC
सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबल (ईटीवी भारत-फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 29, 2024, 7:27 PM IST

Updated : May 30, 2024, 9:29 AM IST

पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी का लगातार खौफनाक चेहरा निकाल कर सामने आ रहा है. टीएसपीसी खुद को क्रूर बनाने के लिए हिसंक घटनाओं को अंजाम दे रहा है. शनिवार को चतरा के कुंदा के हिंदियाकला के इलाके में टीएसपीसी ने पुलिस की मुखबारी करने का आरोप लगाकर पिता-पुत्र की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

टीएसपीसी के नक्सलियों ने जिनकी हत्या की थी वे आदिम जनजाति के थे, जिन्हें केंद्र सरकार ने संरक्षित की श्रेणी में रखा है. टीएसपीसी के बदलते स्वरूप को देखते हुए झारखंड पुलिस ने भी कार्रवाई की योजना तैयार की है. चतरा की घटना के बाद पलामू, गढ़वा, लातेहार समेत कई इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया है. पलामू रेंज में टीएसपीसी के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पेशल टीम का भी गठन किया गया है. इस टीम का नेतृत्व इलाके के एसडीपीओ कर रहे हैं. स्पेशल टीम टीएसपीसी और उसके समर्थकों के खिलाफ डाटा तैयार कर रही है और कार्रवाई की योजना बना रही है.

अपने गढ़ में क्रूर बनता जा रहा है टीएसपीसी, खौफ में ग्रामीण

चतरा का कुन्दा का इलाका टीएसपीसी का गढ़ रहा है. 2004-05 में इसी इलाके में टीएसपीसी का गठन हुआ था और एक विशेष वर्ग का इन्हें समर्थन मिला था. टीएसपीसी अपने घर में हिंसक होता जा रहा है. हाल के दिनों में पलामू और चतरा के इलाके में टीएसपीसी ने ग्रामीणों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की है. 2024 की शुरुआत में टीएसपीसी ने चतरा के इलाके में पहली बार घात लगाकर हमला किया था. इस हमले में पुलिस के दो जवान शहीद हुए थे.

दो दशक के इतिहास में टीएसपीसी ने कभी भी पुलिस पर घात लगाकर हमला नहीं किया था. टीएसपीसी ने कुछ दिनों पहले पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र में आपसी विवाद में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को पीटा था. झारखंड-बिहार सीमा पर टीएसपीसी और माओवादियों के बीच करीबी बढ़ी है. इसी नजदीकी के बाद टीएसपीसी का खौफनाक चेहरा निकल कर सामने आया है.

"टीएसपीसी से खिलाफ कार्रवाई की योजना तैयार की गई है, चतरा की घटना के बाद पलामू, गढ़वा और लातेहार पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है. टीएसपीसी के समर्थक और उनके कैडर पर कार्रवाई की जा रही है. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है और अभियान चलाया जा रहा है"- वाईएस रमेश, डीआईजी, पलामू

हिंसक घटनाओं की बदौलत बीड़ी पता और कोयला से लेवी पर नजर

पिछले पांच वर्षों में प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी को कई बड़े नुकशान हुए हैं. टीएसपीसी का प्रभाव क्षेत्र भी घटा है. टीएसपीसी चतरा, पलामू, लातेहार, हजारीबाग और बिहार के गया से सटे हुए सीमावर्ती इलाके तक सिमटा है. टीएसपीसी के पूर्व टॉप कमांडर जो जेल से निकल कर सामान्य जीवन जी रहा है उसका कहना है कि संगठन का प्रभाव कम हुआ. संगठन के पास हथियार और कैडर भी कम हो गए हैं. कम कैडर की बदौलत अधिक से अधिक लेवी वसूलने के लिए हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. फिलहाल बीड़ी पत्ता का सीजन है इसी को ध्यान में रखकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया है. टीएसपीसी ने छोटी-छोटी योजनाओं में भी लेवी वसूलना शुरू कर दिया है.

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टीएसपीसी के नक्सलियों ने जिनकी हत्या की थी वे आदिम जनजाति के थे, जिन्हें केंद्र सरकार ने संरक्षित की श्रेणी में रखा है. टीएसपीसी के बदलते स्वरूप को देखते हुए झारखंड पुलिस ने भी कार्रवाई की योजना तैयार की है. चतरा की घटना के बाद पलामू, गढ़वा, लातेहार समेत कई इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया है. पलामू रेंज में टीएसपीसी के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्पेशल टीम का भी गठन किया गया है. इस टीम का नेतृत्व इलाके के एसडीपीओ कर रहे हैं. स्पेशल टीम टीएसपीसी और उसके समर्थकों के खिलाफ डाटा तैयार कर रही है और कार्रवाई की योजना बना रही है.

अपने गढ़ में क्रूर बनता जा रहा है टीएसपीसी, खौफ में ग्रामीण

चतरा का कुन्दा का इलाका टीएसपीसी का गढ़ रहा है. 2004-05 में इसी इलाके में टीएसपीसी का गठन हुआ था और एक विशेष वर्ग का इन्हें समर्थन मिला था. टीएसपीसी अपने घर में हिंसक होता जा रहा है. हाल के दिनों में पलामू और चतरा के इलाके में टीएसपीसी ने ग्रामीणों के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की है. 2024 की शुरुआत में टीएसपीसी ने चतरा के इलाके में पहली बार घात लगाकर हमला किया था. इस हमले में पुलिस के दो जवान शहीद हुए थे.

दो दशक के इतिहास में टीएसपीसी ने कभी भी पुलिस पर घात लगाकर हमला नहीं किया था. टीएसपीसी ने कुछ दिनों पहले पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र में आपसी विवाद में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को पीटा था. झारखंड-बिहार सीमा पर टीएसपीसी और माओवादियों के बीच करीबी बढ़ी है. इसी नजदीकी के बाद टीएसपीसी का खौफनाक चेहरा निकल कर सामने आया है.

"टीएसपीसी से खिलाफ कार्रवाई की योजना तैयार की गई है, चतरा की घटना के बाद पलामू, गढ़वा और लातेहार पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है. टीएसपीसी के समर्थक और उनके कैडर पर कार्रवाई की जा रही है. पलामू, गढ़वा और लातेहार के इलाके में एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है और अभियान चलाया जा रहा है"- वाईएस रमेश, डीआईजी, पलामू

हिंसक घटनाओं की बदौलत बीड़ी पता और कोयला से लेवी पर नजर

पिछले पांच वर्षों में प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी को कई बड़े नुकशान हुए हैं. टीएसपीसी का प्रभाव क्षेत्र भी घटा है. टीएसपीसी चतरा, पलामू, लातेहार, हजारीबाग और बिहार के गया से सटे हुए सीमावर्ती इलाके तक सिमटा है. टीएसपीसी के पूर्व टॉप कमांडर जो जेल से निकल कर सामान्य जीवन जी रहा है उसका कहना है कि संगठन का प्रभाव कम हुआ. संगठन के पास हथियार और कैडर भी कम हो गए हैं. कम कैडर की बदौलत अधिक से अधिक लेवी वसूलने के लिए हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. फिलहाल बीड़ी पत्ता का सीजन है इसी को ध्यान में रखकर हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया है. टीएसपीसी ने छोटी-छोटी योजनाओं में भी लेवी वसूलना शुरू कर दिया है.

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Last Updated : May 30, 2024, 9:29 AM IST
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