शिमला: कैमरे के जादुई क्लिक की दुनिया में विचरण करने वाले प्रेमियों से यदि बीरबल शर्मा का जिक्र किया जाए तो उनकी जुबान से अनेक किस्से झरने लगते हैं. बीरबल शर्मा का जीवन हिमाचल के दुर्गम इलाकों में दुर्लभ छायाचित्र संजोने में निरंतर जुटा हुआ है. कभी अभावों के कारण महज साढ़े तीन रुपए का स्कूल ग्रुप फोटो नहीं ले पाए थे.
ये टीस उनके मन में रह-रहकर उभरती रही. बाद में इन्हीं बीरबल शर्मा ने अपने कैमरे से ऐसे-ऐसे चित्र कैद किए कि बड़े राजनेताओं से लेकर कला प्रेमियों के मन में अमिट छाप छोड़ गए. बीरबल शर्मा को हिमाचल गौरव सहित अनेक सम्मान मिले हैं. उन्होंने हिमाचल के हर कोने से विभिन्न विषयों के एक लाख से अधिक चित्र खींचे हैं. उनकी आर्ट गैलरी कला प्रेमियों के लिए विस्मय भरी यात्रा होती है. विश्व फोटोग्राफी दिवस पर बीरबल शर्मा के योगदान की चर्चा जरूरी है.
हमीरपुर में जन्म, मंडी बनी कर्मभूमि
बीरबल शर्मा का जन्म हमीरपुर जिला के हरसौर में हुआ है. आठवीं कक्षा में जब ग्रुप फोटो खींचा गया तो उनके पास चित्र लेने के लिए साढ़े तीन रुपए नहीं थे. इसी टीस ने उनके मन में कैमरे के प्रति ललक जगा दी थी.
सिर्फ 15 साल की आयु में वह रोजगार की तलाश में मंडी आए और दस साल तक फोटोग्राफी की. वर्ष 1982 में उन्होंने मंडी में अपना फोटो स्टूडियो स्थापित किया.
उनके मन में दुर्गम इलाकों के जनजीवन को कैमरे में कैद करने की इच्छा थी फिर उन्होंने मंदिरों आदि की शानदार फोटोज खींचे. दूरस्थ इलाकों की यात्राएं की और वहां के जीवन को नजदीक से निहारा और कैमरे में समेट लिया. फिर 1988 में उनकी पहली प्रदर्शनी लगी. पहली प्रदर्शनी से मिली सराहना से उनका ये सफर आगे बढ़ा.
कैमरे में कैच किए पहाड़, दर्रे, मौत से भी हुआ सामना
बीरबल शर्मा ने प्रदेश के दुर्गम इलाकों की यात्रा में कई पहाड़ चढ़े, कई दर्रों को लांघा, विशाल पत्थरों के नीचे रातें काटी. कई बार उनका मौत से भी सामना हुआ.
उनके पास धीरे-धीरे हिमाचल के सभी प्राचीन मंदिरों, किलों, स्मारकों, कुदरती झीलों, मेलों, त्यौहारों, उत्सवों, कठिन लेकिन उल्लास भरे जनजीवन सहित हर पल के जीवन के छायांकन जुट गए.
वर्ष 1996 में मंडी के गांधी भवन में लगी उनकी प्रदर्शनी कला प्रेमियों के आग्रह पर 15 दिन तक चली और रिकॉर्ड 70 हजार लोगों ने उसे देखा. लोगों के रिस्पांस से उत्साहित बीरबल शर्मा ने 24 अप्रैल 1997 को नेशनल हाइवे-21 मंडी-कुल्लू मार्ग पर बिंद्रावणी में हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी की स्थापना की.
बीते 27 साल में यहां पांच लाख दर्शक आ चुके हैं. एक दशक पहले एनआईटी हमीरपुर में दीक्षांत समारोह के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति के दौरे के लिए भी उनकी प्रदर्शनी लगी. बीरबल शर्मा के खींचे चित्रों से हिमाचल की संस्कृति, कला, जनजीवन आदि को समझने में मदद मिलती है.
कई शोधार्थी उनके चित्रों से लाभ उठा चुके हैं. बीरबल शर्मा के खाते में हिमाचल गौरव सहित कई सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्तर के भी कई अवॉर्ड मिले हैं. उनकी आर्ट गैलरी को देश के 569 म्यूजियम में शामिल किया गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एंटीक व मोनुमेंट विंग ने इसे शोध संस्थान के रूप में भी मान्यता दी है.
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