धमतरी: धमतरी के गंगरेल बांध से एक अनोखी मान्यता जुड़ी है. यहां बांध में पानी के बीच एक हनुमानजी का मंदिर बना हुआ है. सामान्य दिनों में इस मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है, लेकिन बरसात के मौसम में इसका बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाता है. लोग दूर से ही बजरंगबली के दर्शन करते है. खास बात यह है कि जैसे ही बांध का पानी हनुमान जी के पैरों तक चढ़ता है और पैरों को छूने लगता है. वैसे ही जलस्तर खतरे के निशान को भी छूने लगता है. इसके बाद बांध का गेट खोलना पड़ता है.
हनुमानजी का पैर छूने पर खोले जाते हैं बांध के गेट: यही कारण है कि भारी बारिश में भी हनुमान जी की ये मूर्ति डूबती नहीं है. अब जहां बांध में पानी लबालब हो चुका है तो बड़ी संख्या में लोग इसे देखने भी पहुंच रहे हैं. इस बांध का जलस्तर और बजरंगबली का कनेक्शन जानने के लिए ईटीवी भारत ने यहां आए पर्यटक और मंदिर के पुजारी से बातचीत की. मंदिर के पुजारी भान सिंह नेताम ने बताया, "जब जब भी बांध में पानी बढ़ने लगता है, तब-तब लोग हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं. क्योंकि यह देखा गया है कि जैसे ही बांध का पानी बढ़ते हुए हनुमान जी के पैरों तक पहुंचता है. वैसे ही उधर बांध के गेट खोलने पड़ते हैं. इस तरह से बांध का पानी हनुमान जी के पैरों को छूता तो है लेकिन हनुमान जी की मूर्ति कभी डूबती नहीं है."
हनुमानजी की मूर्ति देखना खास अनुभव: वहीं, इस बारे में बांध देखने आए पर्यटकों ने कहा, "बांध का पानी देखना ही एक अद्भुत अनुभव होता है, लेकिन हनुमान जी की मूर्ति को लेकर मान्यता है कि उसे अनुभव करना भी एक अलग आनंद देता है. बारिश में बजरंगबली को देख अलग ही अनुभव प्रदान करता है."
बता दें कि गंगरेल बांध का जलस्तर क्षमता 348.70 मीटर है. 32 टीएमसी वाले बांध में 14 गेट है. यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम होती है. यहां वनदेवी मां अंगारमोती माता का मंदिर भी है, जो अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती है. खासकर यहां छुट्टी के दिनों में प्रदेश समेत अन्य राज्यों से लोग पहुंचते है. गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े बांधों में शामिल है.