जयपुर. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की बात करने वाली बीजेपी सरकार ने हेरिटेज निगम की मेयर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने के मामले में उदासीन रवैया अपनाया हुआ है. पट्टा जारी करने की एवज में लेन देन के प्रमाण मिलने और आरोप सिद्ध होने के बावजूद ढाई महीने से अभियोजन स्वीकृति की पत्रावली पर साइन नहीं हो पाए हैं. मामले में बीजेपी और कांग्रेस के पार्षद मेयर मुनेश गुर्जर को बर्खास्त करने के लिए एक सुर में राग अलाप रहे हैं. यूडीएच मंत्री हर बार बस यही कह रहे हैं कि उनके पास फाइल आएगी तो रुकेगी नहीं.
76 दिनों से अभियोजन स्वीकृति की फाइल पेंडिग : जयपुर शहर के विकास और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दावा करने वाली जयपुर हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर खुद ही भ्रष्टाचार में लिप्त मिली हैं. उनके घर पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एसीबी का छापा पड़ा, जहां से लाखों नगद रूपए और करोड़ों रूपए के प्रोपर्टी के कागजात मिले, लेकिन मेयर मुनेश गुर्जर ने इस कार्रवाई को राजनीतिक षड्यंत्र बताया. लेकिन अब मेयर मुनेश गुर्जर पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो चुके हैं. 31 पन्नों की चार्जशीट रिपोर्ट पेश कर दी गई है, लेकिन इस सबके बावजूद भ्रष्टाचर पर जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार में पिछले 76 दिनों से मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की फाइल पेंडिग पड़ी है.
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इस पेंडिंग फाइल के निपटारे के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों के पार्षद लामबंद हुए हैं. कांग्रेस के पार्षदों ने जहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई है. वहीं बीजेपी के पार्षद हेरिटेज निगम को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए अपनी ही सरकार के यूडीएच मंत्री से लेकर सीएम तक का का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन स्वायत्त शासन विभाग में अभियोजन स्वीकृति के लिए पत्रावली अब तक मंत्री की टेबल तक नहीं पहुंच पाई है. हालांकि यूडीएच मंत्री ने ये जरूर कहा है कि उनकी टेबल पर फाइल आएगी तो रुकेगी नहीं.
अभी भी संवैधानिक पद पर मुनेश : हालांकि आरोप प्रमाणित होने के बावजूद मुनेश गुर्जर महापौर जैसे संवैधानिक पद पर बनी हुई हैं, लेकिन मीडिया से दूरी जरूर बना रखी है. उधर, स्वायत्त शासन विभाग फाइल को दबाए बैठा हैं. अब देखना होगा कि सरकार मुनेश गुर्जर मामले में अभियोजन स्वीकृति पर कब तक फैसला लेती है.