ETV Bharat / state

दिल्ली की अनीता खोसला को मिलेगा राज्य शिक्षक पुरस्कार, बोलीं- टीचर्स की प्रवृत्ति और शिक्षा के ढंग में आया परिवर्तन - Delhi State Teacher Award - DELHI STATE TEACHER AWARD

दिल्ली के 118 शिक्षकों को 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया जाएगा. कार्यक्रम दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित होगा..

अनीता खोसला को राज्य शिक्षक पुरस्कार
अनीता खोसला को राज्य शिक्षक पुरस्कार (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 5, 2024, 6:13 AM IST

Updated : Sep 5, 2024, 2:25 PM IST

अनीता खोसला से खास बातचीत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: 5 सितंबर 2024 को देशभर में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाएगा. हर साल दिल्ली सरकार शिक्षक दिवस पर राज्य शिक्षक पुरस्कारों की घोषणा करती है. इस बार दिल्ली के 118 शिक्षकों को शिक्षा निदेशालय की ओर से राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है. इसी में एक नाम द्वारका सेक्टर 10 स्थित जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अनीता खोसला का भी है. 'ETV भारत' ने उनसे बातचीत कर शिक्षक बनने की प्रेरणा के बारे में जाना....

प्रिंसिपल अनीता खोसला ने बताया कि वो बहुत खुश हैं कि उनका नाम राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है. इसका श्रेय स्कूल के बच्चे, उनके अभिभावक, टीचर्स और स्टेक होल्डर्स को जाता है. इन सभी की मेहनत के बिना यह संभव नहीं हो सकता. इससे पहले भी अनीता को कई बार शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. लेकिन पहली बार दिल्ली राज्य शिक्षक पुरस्कार मिल रहा है. अनीता ने बताया कि उनकों केन्द्रीय विद्यालय व अन्य कई स्कूलों से भी शिक्षक पुरस्कार दिए गए हैं.

अनीता आगे बताती हैं कि वह बचपन से चाहती थी एक दिन बेहतरीन टीचर बने. इसका श्रेय उनकी टीचर्स को जाता है. टीचर्स में सबसे ज्यादा ताकत होती है, वह एक बच्चे के भविष्य को बनाने में अपना पूरा योगदान देते हैं. एक बच्चे की सोच के बदल कर उसके भविष्य को सुरक्षित करते हैं.

शिक्षकों की प्रवृत्ति और शिक्षा के ढंग में आया परिवर्तन: परिवर्तन प्रकृति का नियम है. समय के साथ हर चीज में परिवर्तन होता है. इस तरह टीचर्स की प्रवृत्ति और शिक्षा के ढंग में भी काफी परिवर्तन आए हैं. अनीता का मानना है कि वर्तमान समय में जो सम्मान शिक्षकों को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. जबकि, 20 साल पहले शिक्षकों को काफी सम्मान दिया जाता था. समाज में एक अलग पहचान होती थी.

वहीं, उस समय शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान और वचनों को पत्थर पर लिखी लकीर मान लिया जाता था. डिजिटल के बढ़ते दौर ने टीचर्स और स्टूडेंट के बीच की दूरियों को बढ़ा दिया है. अब बच्चे टीचर्स के साथ साथ डिजिटल टूल्स पर भी काफी निर्भर हो गए हैं. समाज में जिस तरीके से टीचर्स को इज्जत लेनी चाहिए, उसमें भी कमी आई. यह कहना काफी दुखद है, लेकिन सच्चाई यही है.

टीचर्स समाज को बनाने में देते हैं विशेष योगदान: टीचर्स समाज को बनाने में विशेष योगदान देते हैं. टीचर्स अपने मान सम्मान की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं. वहीं, कई शिक्षक काम के दबाव से परेशान होते हैं. इस बाबत अनीता का मनाना है कि वर्तमान में शिक्षकों पर कई तरह के दबाव हैं. वर्तमान में शिक्षा प्रणाली ने नए आयाम को छुआ है. पढ़ाई के तरीके और सिलेबस में कई बदलाव आए हैं. परीक्षा के परिणाम को शिक्षकों के ऊपर बच्चों के साथ साथ अभिभावकों का भी दबाव बढ़ गया है. इसलिए टीचर्स को काफी अपडेट रहने की जरूरत है.

अनीता का मनाना है कि शिक्षा एक नोबल प्रोफेशन है. यह एक बेहद प्यारा काम है, इसलिए इसका निर्वाह खुशी खुशी करना चाहिए. इसके लिए शिक्षकों को अपनी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. एक शिक्षक अपने आप में अलग व्यक्तित्व रखता है. इसलिए कभी भी किसी को कॉपी नहीं करना चाहिए.

क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे?: 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था. एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा. इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो मुझे गर्व होगा. इसके बाद से ही 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था.

टीचर्स डे का महत्व: सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस महान राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है, जहां से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. जीवन में शिक्षक हमें केवल पढ़ाते ही नहीं है बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते हैं.

ये भी पढ़ें:

अनीता खोसला से खास बातचीत (ETV Bharat)

नई दिल्ली: 5 सितंबर 2024 को देशभर में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाएगा. हर साल दिल्ली सरकार शिक्षक दिवस पर राज्य शिक्षक पुरस्कारों की घोषणा करती है. इस बार दिल्ली के 118 शिक्षकों को शिक्षा निदेशालय की ओर से राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है. इसी में एक नाम द्वारका सेक्टर 10 स्थित जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अनीता खोसला का भी है. 'ETV भारत' ने उनसे बातचीत कर शिक्षक बनने की प्रेरणा के बारे में जाना....

प्रिंसिपल अनीता खोसला ने बताया कि वो बहुत खुश हैं कि उनका नाम राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया है. इसका श्रेय स्कूल के बच्चे, उनके अभिभावक, टीचर्स और स्टेक होल्डर्स को जाता है. इन सभी की मेहनत के बिना यह संभव नहीं हो सकता. इससे पहले भी अनीता को कई बार शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. लेकिन पहली बार दिल्ली राज्य शिक्षक पुरस्कार मिल रहा है. अनीता ने बताया कि उनकों केन्द्रीय विद्यालय व अन्य कई स्कूलों से भी शिक्षक पुरस्कार दिए गए हैं.

अनीता आगे बताती हैं कि वह बचपन से चाहती थी एक दिन बेहतरीन टीचर बने. इसका श्रेय उनकी टीचर्स को जाता है. टीचर्स में सबसे ज्यादा ताकत होती है, वह एक बच्चे के भविष्य को बनाने में अपना पूरा योगदान देते हैं. एक बच्चे की सोच के बदल कर उसके भविष्य को सुरक्षित करते हैं.

शिक्षकों की प्रवृत्ति और शिक्षा के ढंग में आया परिवर्तन: परिवर्तन प्रकृति का नियम है. समय के साथ हर चीज में परिवर्तन होता है. इस तरह टीचर्स की प्रवृत्ति और शिक्षा के ढंग में भी काफी परिवर्तन आए हैं. अनीता का मानना है कि वर्तमान समय में जो सम्मान शिक्षकों को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है. जबकि, 20 साल पहले शिक्षकों को काफी सम्मान दिया जाता था. समाज में एक अलग पहचान होती थी.

वहीं, उस समय शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान और वचनों को पत्थर पर लिखी लकीर मान लिया जाता था. डिजिटल के बढ़ते दौर ने टीचर्स और स्टूडेंट के बीच की दूरियों को बढ़ा दिया है. अब बच्चे टीचर्स के साथ साथ डिजिटल टूल्स पर भी काफी निर्भर हो गए हैं. समाज में जिस तरीके से टीचर्स को इज्जत लेनी चाहिए, उसमें भी कमी आई. यह कहना काफी दुखद है, लेकिन सच्चाई यही है.

टीचर्स समाज को बनाने में देते हैं विशेष योगदान: टीचर्स समाज को बनाने में विशेष योगदान देते हैं. टीचर्स अपने मान सम्मान की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं. वहीं, कई शिक्षक काम के दबाव से परेशान होते हैं. इस बाबत अनीता का मनाना है कि वर्तमान में शिक्षकों पर कई तरह के दबाव हैं. वर्तमान में शिक्षा प्रणाली ने नए आयाम को छुआ है. पढ़ाई के तरीके और सिलेबस में कई बदलाव आए हैं. परीक्षा के परिणाम को शिक्षकों के ऊपर बच्चों के साथ साथ अभिभावकों का भी दबाव बढ़ गया है. इसलिए टीचर्स को काफी अपडेट रहने की जरूरत है.

अनीता का मनाना है कि शिक्षा एक नोबल प्रोफेशन है. यह एक बेहद प्यारा काम है, इसलिए इसका निर्वाह खुशी खुशी करना चाहिए. इसके लिए शिक्षकों को अपनी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. एक शिक्षक अपने आप में अलग व्यक्तित्व रखता है. इसलिए कभी भी किसी को कॉपी नहीं करना चाहिए.

क्यों मनाया जाता है टीचर्स डे?: 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था. एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा. इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो मुझे गर्व होगा. इसके बाद से ही 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. पहली बार शिक्षक दिवस 1962 में मनाया गया था.

टीचर्स डे का महत्व: सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस महान राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है, जहां से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. जीवन में शिक्षक हमें केवल पढ़ाते ही नहीं है बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते हैं.

ये भी पढ़ें:

Last Updated : Sep 5, 2024, 2:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.