गोरखपुर : अगर आप गोरखपुर में जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो सावधानी और जांच आपको अपनी पूंजी फंसाने से बचा सकती है. खरीदार उन काॅलोनियों में प्लॉट न खरीदें जिसे गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने बिक्री की अनुमति न दी हो, जिसका ले आउट पास न हो. जमीन तभी लें जब काॅलोनी का विकास जीडीए की लैंड पूलिंग योजना के तहत हो रहा हो. जीडीए ऐसी सभी काॅलोनी को तोड़ने में जुट गया है. इस योजना के किसान या काॅलोनाइजर अपनी जमीन का प्रस्ताव जीडीए को देंगे. जिसमें न्यूनतम 25 एकड़ जमीन होनी चाहिए.
यह हैं लैंड पूलिंग योजना के नियम : गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष आनंद वर्धन सिंह का कहना कि यदि कुछ किसान मिलकर 100 एकड़ जमीन गोरखपुर विकास प्राधिकरण को देने का मन बनाते हैं, तो उन्हें एक निर्धारित प्रारूप पर शपथ पत्र के साथ आवेदन करना होगा, जिसमें जमीन की लोकेशन का भी जिक्र होगा. जिसका निरीक्षण जीडीए की टीम द्वारा किया जाएगा. जमीन और प्रस्ताव से संतुष्ट होने पर ही जीडीए उसे अपने लैंड पूलिंग योजना के तहत स्वीकार करेगा. प्राधिकरण और भू स्वामी किसानों के बीच पंजीकृत विकास अनुबंध किया जाएगा. जिस पर कोई स्टांप शुल्क नहीं लगेगा.
पूलिंग योजना की शेष 25% भूमि किसानों को दी जाएगी : उनका कहना है कि अनुबंध योजना की अवधि तक प्रभावी होगा और यह उसमें उल्लेख किया जाएगा कि लैंड पूलिंग योजना से दोनों पक्ष सहमत हैं, जिसमें 15% कुल जमीन का क्षेत्रफल खुला क्षेत्र और हरित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा. कुल जमीन का प्रतिशत 25% भूमि का उपयोग गोरखपुर विकास प्राधिकरण अपनी योजनाओं को विकसित करने के लिए करेगा. पूलिंग योजना की शेष 25% भूमि किसानों को दी जाएगी. यह जमीन एक साथ न होकर अलग-अलग फेज में भी हो सकती है, जो जमीन दी जाएगी उसका भू उपयोग आवासीय होगा. किसानों को दी जाने वाली जमीन सड़क पर ही होगी जिससे उस जमीन का किसान सदुपयोग कर सकें.
विकसित क्षेत्र में कर सकेंगे निवास : उनका कहना है कि शहर का कोई भी बाहरी हिस्सा ऐसा नहीं होगा जहां अवैध रूप से प्लाॅटिंग न की जा रही हो, जिसमें लोग जमीन खरीद रहे हैं और मकान भी बनवाने में जुट गए हैं. उनका कहना है कि ऐसी जगहों पर सड़क, नाली, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाने से तमाम कॉलोनी में बड़ी दिक्कतें, नगर निगम और गोरखपुर विकास प्राधिकरण के साथ-साथ प्रशासन को उठानी पड़ती हैं. जिसके लिए शासन की लैंड पूलिंग योजना के जरिए इस समस्या को बहुत हद तक दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इससे लोगों की आवासीय जरूरतें भी पूरी हो सकेंगी और वह विकसित क्षेत्र में निवास कर सकेंगे.
एक दर्जन से अधिक अवैध कॉलोनियों के प्रवेश द्वार ध्वस्त : गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष आनंद वर्धन सिंह का कहना कि इस योजना को विकसित करने के लिए पहली प्राथमिकता जमीन को दी जाएगी. जीडीए की नई महायोजना के अनुसार, जो क्षेत्र आवासीय क्षेत्र घोषित होंगे यदि वह आवासीय क्षेत्र नहीं हैं तो कृषि भूमि को भी योजना के तहत प्राधिकरण को दिया जा सकता है, लेकिन इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा की जमीन किसी न किसी मुख्य सड़क के किनारे हो, जहां पहुंचना आसान हो.
लैंड पूलिंग के लिए 80% किसान सहमत होने चाहिए, शेष 20% से प्राधिकरण जमीन खरीदकर भी ले लेगा. प्लाटिंग करने वाले लोग भी इन शर्तों का पालन करते हुए अपनी जमीन जीडीए को दे सकेंगे, जो नहीं दे रहे हैं उनके ऊपर प्राधिकरण की कार्रवाई भी चल रही है. अब तक करीब एक दर्जन से अधिक अवैध कॉलोनियों के प्रवेश द्वार और कुछ अवैध निर्माण जीडीए द्वारा ध्वस्त किए जा चुके हैं. दो दर्जन से अधिक को नोटिस भी भेजी जा चुकी है.