शहडोल: मध्य प्रदेश का शहडोल संभाग भले ही आदिवासी बाहुल्य संभाग है, लेकिन यहां प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है. यहां के खिलाड़ी अपने टैलेंट के दम पर देश-दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं. भूटान की राजधानी थिम्पू में शुरु होने जा रहे साउथ एशियन गेम्स के लाठी प्रतियोगिता में जिले के कई होनहार बच्चे भाग लेंगे और भारत का नाम दुनिया में रोशन करेंगे. इसके लिए खिलाड़ी ट्रेनिंग में जमकर पसीना बहा रहे हैं. ये खिलाड़ी भूटान में अपनी लाठियों का दम दिखाते नजर आएंगे.
साउथ एशियन गेम्स में घुमाएंगे लाठी
शायद आपने लाठी प्रतियोगिता के बारे में पहली बार सुना होगा, खासकर इंटनेशन स्तर पर, लेकिन इस साल 6 अगस्त से भूटान की राजधानी थिंम्पू में होने जा रहे साउथ एशियन गेम्स में लाठी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है. यह खेल बिल्कुल नया खेल है, लेकिन शहडोल के खिलाड़ी इसमें लगातार भारत का झंडा गाड़ रहे हैं और मेडल जीत रहे हैं. एक बार फिर से शहडोल के कई खिलाड़ी साउथ एशियन गेम्स में लाठी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं. जहां ये अपने लाठियों पर दुनिया के दिग्गजों को घुमाते नजर आयेंगे. भारतीय टीम से मेडल की काफी उम्मीद है.
कहां और कब है साउथ एशियन गेम्स
प्रमोद विश्वकर्मा पिछले तीन साल से युवाओं और बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. प्रमोद लाठी खेल के एशियाई जज और नेशनल कोच भी हैं. प्रमोद विश्वकर्मा बताते हैं कि, 'इस बार जो लाठी प्रतियोगिता का साउथ एशियन गेम्स है वो भूटान के थिंपू में खेला जाएगा, ये टूर्नामेंट 5 और 6 अगस्त को होगा, जिसमें भारत से 87 लोगों का दल जा रहा है और इस 87 लोगों के दल में 14 खिलाड़ी और तीन सपोर्टिंग स्टाफ सहित 17 लोगों का दल शहडोल से जा रहा है. शहडोल डिवीजन से जा रहे 14 खिलाड़ियों में तीन एज ग्रुप के खिलाड़ी हैं. जिसमें से एक ग्रुप 18 प्लस का यानि 18 साल की उम्र के उपर वालों का, एक ग्रुप 18 माइन का तथा तीसरा ग्रुप 17 साल से कम उम्र के खिलाड़ियों का है.'
पिछली बार भी किया था कमाल
कोच ने बताया कि, पिछले साल भी साउथ एशियन लाठी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. यह आयोजन नेपाल में किया गया था, जिसमें शहडोल संभाग के 12 खिलाड़ी शामिल हुए थें. इन खिलाड़ियों ने अलग-अलग वर्ग में खेलते हुए अलग-अलग कैटेगरी में 14 मेडल जीते थे, जिसमें से सात स्वर्ण पदक, चार रजत पदक और तीन कांस्य पदक थे. विश्वकर्मा ने कहा, बच्चों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. इस बार पिछली बार से अच्छी तैयारी हुई है. इस बार हमें पिछली बार से ज्यादा मेडल जीतने की उम्मीद है.
इस बार भी लड़कियों की संख्या ज्यादा
कोच प्रमोद विश्वकर्मा बताते हैं कि, 'इस लाठी प्रतियोगिता में एक खास बात और है कि शहडोल जिला भले ही आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन यहां से लड़कियां सबसे ज्यादा तादात में खेलने जाती हैं. इस बार भूटान के थिंपू में साउथ एशियन गेम्स में हिस्सा लेने के लिए जो 14 बच्चे जा रहे हैं. उनमें से महज चार लड़के हैं, और 10 लड़कियां ही हैं जो अलग-अलग एज ग्रुप की हैं.'
लड़कियां बढ़ चढ़कर भाग ले रही हैं
लाठी गेम में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या ज्यादा है. कोच ने बताया कि, 'पिछले तीन सालों में यहां पर ट्रेनिंग लेने वाले खिलाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वर्तमान में 70 से ज्यादा बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसमें से लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है. यहां लड़कों की संख्या मात्र 10 से 12 है लेकिन 60 से अधिक लड़कियां लाठी का गेम सीखने आती हैं और शानदार लाठी चला भी रही हैं.'
उन्होंने कहा, 'जिस तरह से लड़कियां यहां लाठी का खेल को सीखने आ रही हैं और लाठी चलाना सीख रही हैं, उससे उन्हें कई फायदे भी हो रहे हैं. एक तो वो लाठी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं, मेडल जीत रही हैं, अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं, साथ ही अपनी आत्मरक्षा के लिए भी लाठी चलाना सीख रही हैं. इसके अलावा ट्रेनिंग के दौरान उन्हें फिटनेस की अलग-अलग ट्रेनिंग भी दी जाती है जिससे वह पूरी तरह से फिट हैं.'
शहडोल से ये खिलाड़ी हो रहे शामिल
साउथ एशियन गेम्स में लाठी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भूटान के थिंपू जो खिलाड़ी जा रहे हैं. उनमें शहडोल जिले से सुमन तिवारी, प्रवीण सिंह, आंचल वर्मा, सना अंसारी, अनामिका यादव, शिवानी यादव, अंश गोले, अंशिका गोले, अरीका पांडे, अभिषेक जायसवाल, आर्या गुप्ता, अगमदीप और भविष्य सेठी का चयन हुआ है. यह सभी खिलाड़ी नेशनल गेम्स में अपने-अपने आयु वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर साउथ एशियन गेम्स के लिए भारतीय दल में अपनी जगह बनाई है. प्रतियोगिता में भारत के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका की टीमें शामिल होंगी.