सरगुजा: पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं ये कहावत तो आपने जरुर सुनी होगी. ऐसी ही एक कहानी सरगुजा के बच्चे भी अपने हुनर की कलम से लिख रहे हैं. छोटी सी उम्र में ये बच्चे नेशनल लेवल पर सरगुजा का नाम रोशन करने को बेताब हैं. सरगुजा की बेटी अनामिका और बेटे आयुष का चयन मिनी बास्केटबॉल नेशनल कैम्प के लिये हुआ है. इन दोनों होनहार खिलाड़ियों ने सरगुजा के लिए अबतक कई मेडल अपने नाम किए हैं. अब ये खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए तैयार हैं.
सरगुजा के लाल करेंगे कमाल: साल 2004 में सरगुजा के बास्केटबॉल कोच राजेश प्रताप सिंह ने बास्केटबॉल की निशुल्क कोचिंग शुरू की. तब से लेकर अबतक इनकी कोचिंग में खेलने वाले बच्चे 18 सालों में सैकड़ों मेडल अपने स्कूल और शिक्षा विभाग को जीतकर दे चुके हैं. बच्चों की उभरती प्रतिभा को देखते हुए खुद उस वक्त के कलेक्टर आर प्रसन्ना ने इनको सपोर्ट किया. बास्केटबॉल की ट्रेनिंग देने के लिये गांधी स्टेडियम में एक ग्राउंड मुहैया कराया. टैलेंट सर्च कार्यक्रम चलाए गए. गांव गांव से प्रतिभावान बच्चों को खोजकर मैदान तक लाया गया.
" मैं 3 साल से राजेश प्रताप सिंह सर के अंडर में प्रैक्टिस कर रहा हूं. अभी भिलाई में नेशनल के लिये ट्रॉयल हुआ है जिसमे मेरा सिलेक्शन हुआ है. महाराष्ट्र में नेशनल कैम्प में जाएंगे. मेरे पिता ने ही मुझे बास्केटबॉल खेलने के लिये प्रेरित किया. तब से मैं यहां सीख रहा हूं" - आयुष बारी, बास्केटबॉल खिलाड़ी, सरगुजा
मिनी बास्केटबॉल नेशनल कैंप में दिखाएंगे जौहर: सरगुजा के होनहार बच्चे अब अपने खेल से नेशनल लेवल पर अपनी जगह बनाने को बेकरार हैं. कोच राजेश प्रताप सिंह के निर्देशन में यहां के दो बच्चे अब मिनी बास्केटबॉल नेशनल कैंप में खेलने जा रहे हैं. नेशनल कैंप में शामिल होने वाले दोनों बच्चों की उम्र महज 13 साल की है. सिर्फ तीन सालों की कठिन ट्रेनिंग में इन बच्चों ने ये मुकाम हासिल किया है. दोनों बच्चे जल्द ही महाराष्ट्र में होने वाले नेशनल कैंप में छत्तीसगढ़ की तरफ से खेलेंगे.
" मेरी उम्र 13 साल की है. 3 साल से राजेश सर से बास्केटबॉल की ट्रेनिंग ले रही हूं. यहां बहुत बेहतर प्रैक्टिस कराई जाती है. बारिश के कारण हम लोगों की प्रैक्टिस बन्द हो जाती है. अगर इनडोर व्यवस्था होती तो और बेहतर हमलोग प्रदर्शन करते. मैं बास्केटबॉल में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना चाहती हूं. पहली बार नेशनल में सिलेक्शन होने पर बहुत अच्छा लग रहा है" - अनामिका, बास्केटबॉल खिलाड़ी, सरगुजा
"2004 से मैंने बच्चों को फ्री में बास्केटबॉल की ट्रेनिंग शुरू की. पहले तो ग्राउंड भी नही था. तत्कालीन कलेक्टर प्रसन्ना सर ने ग्राउंड उपलब्ध कराया. तब से लगातार स्कूल से खेलने वाले छात्रों ने हर वर्ष बास्केटबॉल खेल में मेडल जीता और प्रदेश का नाम रोशन किया है. सुविधाओं की यहां बहुत कमी है. राष्ट्रीय स्तर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो सुविधाएं दूसरे खिलाड़ियों को मिलती है वो मिले तो और बेहतर होगा. बच्चे और बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का नाम रोशन करेंगे''. - राजेश प्रताप सिंह, बास्केटबॉल कोच, सरगुजा
सुविधाएं मिले तो राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने में बनेंगे सक्षम: छत्तीसगढ़ का सरगुजा ट्राइबल बेल्ट वाला इलाका है. अभावों और गरीबी के बावजूद यहां के बच्चे अब तेजी से खेल और पढ़ाई के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहे हैं. मदद का बढ़ा हुआ एक हाथ अब इनको खेल की दुनिया में सितारे की तरह जगमाने को तैयार कर चुका है. अगर इनको और सुविधाएं मिले और मौके दिए जाएं तो सफलता के झंडे भी गाड़ेंगे और मेडल पर भी कब्जा करेंगे.