Somvati Amavasya 2024 Date: अप्रैल का महीना चल रहा है और अप्रैल के इसी महीने में सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है. शास्त्रों में चैत्र माह की अमावस्या को विशेष मान्यता दी गई है और इस बार चैत्र अमावस्या और भी बहुत खास तब बन जाती है जब ये सोमवार को पड़ रही है. सोमवार को ये अमावस्या पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है.
सोमवती अमावस्या कब ?
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि साल की पहली जो सोमवती अमावस्या पड़ रही है वह अप्रैल के इसी महीने में 8 अप्रैल को है. ये चैत्र महीने की अमावस्या है और सोमवार को पड़ रही है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है और शास्त्रों में उल्लेख भी है कि सोमवती अमावस्या के दिन शिव पूजा का खास महत्व होता है साथ ही इस दिन दान पुण्य का भी महत्व होता है. इतना ही नहीं पितरों को प्रसन्न करने पितरों के तर्पण के लिए भी ये अमावस्या बहुत विशेष मानी गई है.
पति की लंबी आयु के लिए व्रत
शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि सोमवती अमावस्या के दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं, विधि विधान से शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं, उन्हें पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है. सुहाग की सलामती के लिए इस दिन महिलाएं दान भी करती हैं. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करने से शिव पार्वती की विशेष पूजा करने से व्रती को अखंड सौभाग्य मिलता है, सफलता मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि अगर इस दिन शिवलिंग को कच्चे दूध और गंगाजल से अभिषेक कराएं तो पितृ दोष, कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है, और पितरों की आत्मा की तृप्ति हो जाती है.
ऐसे करें व्रत की शुरुआत
सोमवती अमावस्या की पूजा अगर आप करना चाहते हैं तो सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. कोशिश करें अगर गंगा जी में स्नान हो जाए तो अच्छी बात है, नहीं तो बहते हुए जल में स्नान करें, घर में अगर स्नान करते हैं तो उसमें थोड़ा गंगाजल डाल लें और फिर स्नान करें. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ दें, उनकी पूजा करें फिर व्रत का संकल्प लें और शिवजी और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करें. इसके बाद पीपल को कच्चे दूध से स्नान कराएं, पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें, अगर 108 बार परिक्रमा हो जाए तो उससे बेहतर कुछ भी नहीं है. शाम को पीपल के नीचे दीपक भी जलाएं, इससे शिवजी लक्ष्मी जी और शनि देव प्रसन्न होते हैं.
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पितरों को ऐसे करें प्रसन्न
ज्योतिष आचार्य कहते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए दोपहर में स्नान करने के बाद जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा में तर्पण करें इससे पितरों को शांति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है.
दान पुण्य का विशेष महत्व
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि "सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करने, शिव और पार्वती जी की पूजा पाठ करने और फिर उसके बाद दान पुण्य करने का विशेष महत्व होता है, इस दिन जो भी जातक या व्रती विधि विधान से व्रत करता है पूजा पाठ करता है और फिर दान पुण्य करता है जरूरतमंदों को दान पुण्य करता है, तो उसका बहुत विशेष लाभ मिलता है. घर में बरक्कत आती है मन में शांति आती है तरक्की के रास्ते खुलते हैं. रुके हुए कार्य बनते हैं."