ETV Bharat / state

'जब तक फौज में नहीं जाएंगे शादी नहीं करेंगें', विवाह नहीं करने की शपथ लेने वाला अनूठा गांव है ये - SOLDIERS VILLAGE IN GAYA

गया में एक अनूठा गांव है, जहां हर घर से एक शख्स सेना में तैनात है. 100 घरों की बस्ती में लेफ्टिनेंट और कर्नल हैं.

Soldiers village in Gaya
फौजियों का गांव (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 5, 2024, 10:17 AM IST

Updated : Dec 5, 2024, 11:31 AM IST

गया: बिहार के गया का चिरियावां गांव एक मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव को फौजियों का गांव भी कहा जाता है. यहां फौज की तैयारी करने वाले युवा शपथ लेते हैं कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे, तब तक विवाह नहीं करेंगे. वहीं इस गांव में देवी माता का मंदिर इन युवाओं के लिए चमत्कार से कम नहीं है. कहते हैं कि इस मंदिर में माता का आशीर्वाद लेकर जो भी आर्मी की तैयारी करता है, वह सफल हो जाता है.

युवा लेते हैं विवाह नहीं करने की शपथ: चिरियावां गांव में एक- दो नहीं बल्कि 100 से अधिक लोग फौज में है. यहां के युवकों का अटल निश्चय भी काफी प्रसिद्ध है. युवा देश के प्रति इतने समर्पित हैं, कि फौज में जाने से पहले शादी नहीं करने की शपथ तक लेते हैं. चिरियावां गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है. पहाड़ की गोद में बसे इस गांव की अनोखी कहानी है.

गया में फौजियों का गांव (ETV Bharat)

राजपूतों के इस गांव में हर घर में एक फौजी: यहां लोग या तो फौजी हैं या फिर किसान हैं. करीब 100 घरों की बस्ती है, जिसमें कई जातियां है लेकिन 90 फीसदी आबादी राजपूतों की है. इनके हर घर में एक फौजी है. वहीं कुछ घर ऐसे भी हैं, जहां तीन-चार पीढडियों से लोग फौज में जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पुरुष ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी फौज में शामिल होने के लिए मेहनत कर रही हैं. फौजियों के गांव कहे जाने वाले चिरियावां गांंव अतरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.

Soldiers village in Gaya
फौज में जानें के लिए लेते हैं शपथ (ETV Bharat)

मेहनती है इस गांव की युवा पीढ़ी: इस गांव की युवा पीढ़ी काफी मेहनती है. सभी मेहनत के बल पर अपना भविष्य संवारते हैं. बात चाहे ग्राउंड में पसीने बहाने की हो, या किसानी की, अपनी मेहनत से दोनों ही क्षेत्र में यहां के लोग अपनी तकदीर को सुनहरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. यहां हर घर से फौजी निकलते हैं. यह गया ही नहीं, बल्कि बिहार और देश के लिए एक बड़े खूबसूरत गांव की तस्वीर के रूप में चिरियावां को दर्शाता है.

Soldiers village in Gaya
गांव ने दिये कई लेफ्टिनेंट और कर्नल (ETV Bharat)

देवी माता के आशीर्वाद से ही संभव: फौज में जाने की तैयारी करने वाले मोनू कुमार बताते हैं कि इन लोगों के सिर पर माता का आशीर्वाद है. यहां देवी माता का मंदिर है. मंदिर के पास ही ग्राउंड है, जहां सभी युवा दौड़ लगाते हैं. उनका कहना है कि इस ग्राउंड में जो भी दौड़ लगाता है वह फौजी जरूर बना है. वहीं सभी युवक दौड़ लगाने से पहले माता के सामने नत मस्तक होकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और फिर अपनी फौज में जाने की प्रैक्टिस शुरू करते हैं.

"यह तय है कि माता के मंदिर में आशीर्वाद लेकर जो भी दौड़ा, वह सफल होता चला गया है. हम युवा शपथ लेकर फौज में जाने की ठानते हैं. शपथ यह लेते हैं कि जब तक फौज में नहीं जाएंगें, तब तक विवाह नहीं करेंगे. इस सौगंध के साथ हम अपना भविष्य संंवारते हैं और अब तक सफल होते रहे हैं."-मोनू कुमार, तैयारी करने वाला युवक

Soldiers village in Gaya
देवी मां का आशीर्वाद लेकर लगाते हैं दौड़ (ETV Bharat)

कई युवा की अग्निवीर में हुई बहाली: अग्निवीर में चयनित हुए आलोक रंजन बताते हैं, कि उन्हें माता का आशीर्वाद मिला, जो सौगंध ली थी, वह पूरा हुआ. आज वह एक अग्निवीर हैं. पिछले साल वो सफल हुए और जम्मू कश्मीर के बारामूला में उनकी पोस्टिंग है. उन्हें बड़ी खुशी होती है, कि वह फौज में है. उनका कहना है कि इस गांव में रहकर जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया.

"मेरा सपना पूरा हो गया इससे बड़ी बात जीवन में कुछ नहीं हो सकती है. मेरा पूरा गांव फौजी है. हर घर से एक-दो फौजी मिल ही जाएंगे. कई पीढ़ियों से फौज में जाने की जो परंपरा चली आ रही है, वह अब भी जारी है."-आलोक रंजन, अग्निवीर

Soldiers village in Gaya
यहां हर घर से है एक फौजी (ETV Bharat)

सेना के सभी फील्ड में हैं यहां के जवान: वहीं लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए शिव शंकर सिंह बताते हैं, कि चिरियावां फौजियों का गांव है. जब किसी शादी समारोह या बड़े अवसरों पर पूरे गांव के फौजी यहां इकट्ठा होते हैं, तो लगता है कि बटालियन बन गई है. फौजी से लेकर ऑफिसर तक इस गांव के युवाओं का चयन हुआ हुआ है. इतना ही नहीं नेवी और एयरफोर्स में भी गांव से चयनित हुए हैं और सेना में बड़े-बड़े पदों पर गांव से लोग पहुंचे हैं.

"सिपाही से कई रैंक आगे चला और लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए. हमारे गांव चिरियावां के बारे में हर कोई जानता है, कि यह फौजियों का गांव है. जहां देश के प्रति वफादारी अपना सर्वस्व देने को युवा तैयार रहते हैं. हमारे जज्बे से हर कोई प्रभावित होता है. यहां हर घर में फौजी हैं. एक घर में कई फौजी हैं. हमारे गांव में काफी बड़ा ग्राउंड है. वहां देवी माता का मंदिर है. मंदिर में पूजा करने के साथ युवा फौज में जाने की तैयारी करते हैं. अब फिजिकल के साथ कोचिंग भी कर रहे हैं. सेवा के तीनों हिस्से नेवी, एयरफोर्स, थल सेना में यहां के युवा बहाल हैं. छुट्टी में जब हम फौजी इकट्ठे होते हैं, तो लगता है, एक बटालियन तैयार हो गई."- शिव शंकर सिंह, लेफ्टिनेंट से रिटायर्ड फौजी

ये भी पढ़ें-

बिहार का अनोखा गांव: जहां लड़कों की लंबाई बनी वरदान.. तो लड़कियों को नहीं मिल रहे दूल्हे

इस गांव के लोग नहीं खाते प्याज? जानें क्या है वजह

बिहार के इस गांव में सभी जातियों का अलग-अलग है मंदिर

गया: बिहार के गया का चिरियावां गांव एक मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव को फौजियों का गांव भी कहा जाता है. यहां फौज की तैयारी करने वाले युवा शपथ लेते हैं कि जब तक वह फौज में नहीं जाएंगे, तब तक विवाह नहीं करेंगे. वहीं इस गांव में देवी माता का मंदिर इन युवाओं के लिए चमत्कार से कम नहीं है. कहते हैं कि इस मंदिर में माता का आशीर्वाद लेकर जो भी आर्मी की तैयारी करता है, वह सफल हो जाता है.

युवा लेते हैं विवाह नहीं करने की शपथ: चिरियावां गांव में एक- दो नहीं बल्कि 100 से अधिक लोग फौज में है. यहां के युवकों का अटल निश्चय भी काफी प्रसिद्ध है. युवा देश के प्रति इतने समर्पित हैं, कि फौज में जाने से पहले शादी नहीं करने की शपथ तक लेते हैं. चिरियावां गांव चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है. पहाड़ की गोद में बसे इस गांव की अनोखी कहानी है.

गया में फौजियों का गांव (ETV Bharat)

राजपूतों के इस गांव में हर घर में एक फौजी: यहां लोग या तो फौजी हैं या फिर किसान हैं. करीब 100 घरों की बस्ती है, जिसमें कई जातियां है लेकिन 90 फीसदी आबादी राजपूतों की है. इनके हर घर में एक फौजी है. वहीं कुछ घर ऐसे भी हैं, जहां तीन-चार पीढडियों से लोग फौज में जा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पुरुष ही नहीं, बल्कि लड़कियां भी फौज में शामिल होने के लिए मेहनत कर रही हैं. फौजियों के गांव कहे जाने वाले चिरियावां गांंव अतरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है.

Soldiers village in Gaya
फौज में जानें के लिए लेते हैं शपथ (ETV Bharat)

मेहनती है इस गांव की युवा पीढ़ी: इस गांव की युवा पीढ़ी काफी मेहनती है. सभी मेहनत के बल पर अपना भविष्य संवारते हैं. बात चाहे ग्राउंड में पसीने बहाने की हो, या किसानी की, अपनी मेहनत से दोनों ही क्षेत्र में यहां के लोग अपनी तकदीर को सुनहरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. यहां हर घर से फौजी निकलते हैं. यह गया ही नहीं, बल्कि बिहार और देश के लिए एक बड़े खूबसूरत गांव की तस्वीर के रूप में चिरियावां को दर्शाता है.

Soldiers village in Gaya
गांव ने दिये कई लेफ्टिनेंट और कर्नल (ETV Bharat)

देवी माता के आशीर्वाद से ही संभव: फौज में जाने की तैयारी करने वाले मोनू कुमार बताते हैं कि इन लोगों के सिर पर माता का आशीर्वाद है. यहां देवी माता का मंदिर है. मंदिर के पास ही ग्राउंड है, जहां सभी युवा दौड़ लगाते हैं. उनका कहना है कि इस ग्राउंड में जो भी दौड़ लगाता है वह फौजी जरूर बना है. वहीं सभी युवक दौड़ लगाने से पहले माता के सामने नत मस्तक होकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और फिर अपनी फौज में जाने की प्रैक्टिस शुरू करते हैं.

"यह तय है कि माता के मंदिर में आशीर्वाद लेकर जो भी दौड़ा, वह सफल होता चला गया है. हम युवा शपथ लेकर फौज में जाने की ठानते हैं. शपथ यह लेते हैं कि जब तक फौज में नहीं जाएंगें, तब तक विवाह नहीं करेंगे. इस सौगंध के साथ हम अपना भविष्य संंवारते हैं और अब तक सफल होते रहे हैं."-मोनू कुमार, तैयारी करने वाला युवक

Soldiers village in Gaya
देवी मां का आशीर्वाद लेकर लगाते हैं दौड़ (ETV Bharat)

कई युवा की अग्निवीर में हुई बहाली: अग्निवीर में चयनित हुए आलोक रंजन बताते हैं, कि उन्हें माता का आशीर्वाद मिला, जो सौगंध ली थी, वह पूरा हुआ. आज वह एक अग्निवीर हैं. पिछले साल वो सफल हुए और जम्मू कश्मीर के बारामूला में उनकी पोस्टिंग है. उन्हें बड़ी खुशी होती है, कि वह फौज में है. उनका कहना है कि इस गांव में रहकर जो सपना देखा था, वह पूरा हो गया.

"मेरा सपना पूरा हो गया इससे बड़ी बात जीवन में कुछ नहीं हो सकती है. मेरा पूरा गांव फौजी है. हर घर से एक-दो फौजी मिल ही जाएंगे. कई पीढ़ियों से फौज में जाने की जो परंपरा चली आ रही है, वह अब भी जारी है."-आलोक रंजन, अग्निवीर

Soldiers village in Gaya
यहां हर घर से है एक फौजी (ETV Bharat)

सेना के सभी फील्ड में हैं यहां के जवान: वहीं लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए शिव शंकर सिंह बताते हैं, कि चिरियावां फौजियों का गांव है. जब किसी शादी समारोह या बड़े अवसरों पर पूरे गांव के फौजी यहां इकट्ठा होते हैं, तो लगता है कि बटालियन बन गई है. फौजी से लेकर ऑफिसर तक इस गांव के युवाओं का चयन हुआ हुआ है. इतना ही नहीं नेवी और एयरफोर्स में भी गांव से चयनित हुए हैं और सेना में बड़े-बड़े पदों पर गांव से लोग पहुंचे हैं.

"सिपाही से कई रैंक आगे चला और लेफ्टिनेंट पद से रिटायर हुए. हमारे गांव चिरियावां के बारे में हर कोई जानता है, कि यह फौजियों का गांव है. जहां देश के प्रति वफादारी अपना सर्वस्व देने को युवा तैयार रहते हैं. हमारे जज्बे से हर कोई प्रभावित होता है. यहां हर घर में फौजी हैं. एक घर में कई फौजी हैं. हमारे गांव में काफी बड़ा ग्राउंड है. वहां देवी माता का मंदिर है. मंदिर में पूजा करने के साथ युवा फौज में जाने की तैयारी करते हैं. अब फिजिकल के साथ कोचिंग भी कर रहे हैं. सेवा के तीनों हिस्से नेवी, एयरफोर्स, थल सेना में यहां के युवा बहाल हैं. छुट्टी में जब हम फौजी इकट्ठे होते हैं, तो लगता है, एक बटालियन तैयार हो गई."- शिव शंकर सिंह, लेफ्टिनेंट से रिटायर्ड फौजी

ये भी पढ़ें-

बिहार का अनोखा गांव: जहां लड़कों की लंबाई बनी वरदान.. तो लड़कियों को नहीं मिल रहे दूल्हे

इस गांव के लोग नहीं खाते प्याज? जानें क्या है वजह

बिहार के इस गांव में सभी जातियों का अलग-अलग है मंदिर

Last Updated : Dec 5, 2024, 11:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.