अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से हिंदी व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2022 में फर्जी अंक तालिका के मामले में एक बजरी व्यापारी और प्राइवेट टीचर को एसओजी ने गिरफ्तार किया है. पूछताछ में दोनों आरोपियों की ओर से फर्जी डिग्री का वेरिफिकेशन बनवाने की बात सामने आई है. वहीं, एसओजी ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर चार दिन की रिमांड पर लिया है. मामले में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी होने की भी संभावना जताई गई है.
एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश सोनी ने बताया कि पाली निवासी सुनील बिश्नोई और जोधपुर निवासी सोमेश गोदारा को गिरफ्तार किया गया है. दोनों आरोपियों को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 4 दिन की रिमांड पर एसओजी को सौंपा गया है. एएसपी एसओजी मुकेश सोनी ने बताया कि सुनील बिश्नोई बजरी व्यापारी है तो वहीं दूसरा आरोपी जोधपुर में प्राइवेट टीचर है.
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उन्होंने बताया कि मामले में पहले गिरफ्तार हुए डॉ. सुरेश बिश्नोई, कमला कुमारी और ब्रह्मकुमारी के लिए सत्यापन पत्र बनवाने के लिए बजरी व्यापारी सुनील बिश्नोई से संपर्क में था. उन्होंने बताया कि व्हाट्सएप चैट के जरिए कमला कुमारी और ब्रह्मकुमारी के सत्यापन पत्र समेत अन्य दस्तावेज के बारे में व्हाट्सएप पर चैट की गई, जिस दिन आयोग ने ब्रह्माकुमारी को व्यक्तिगत रूप से बुलाया था, उसे दिन भी दोनों के बीच व्हाट्सएप पर चैट हुई थी. एसओजी को आरोपी डॉ. सुरेश बिश्नोई के मोबाइल से चैट बरामद हुई थी. इसी तरह प्राइवेट शिक्षक सोमेश गोदारा भी डॉ. सुरेश बिश्नोई के संपर्क में था.
अब तक इतने आरोपी गिरफ्तार : मामले में अभी तक सात आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें ब्रह्माकुमारी, कमला विश्नोई, सुरेश बिश्नोई (ब्रह्मकुमारी का भाई), दलपत सिंह (कमला का भाई), मेवाड़ यूनिवर्सिटी के सेक्शन ऑफिसर राजेश सिंह, डीन कौशल किशोर चंदूल और परीक्षा नियंत्रक सुशील शर्मा शामिल हैं. ये सभी न्यायिक अभिरक्षा में हैं. मामले में एसओजी की ओर से कोर्ट में पहले ही चालान पेश किया जा चुका है.
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जानें पूरा मामला : आरपीएससी के उपसचिव अजय सिंह चौहान ने सांचौर निवासी कमला कुमारी और ब्रह्मकुमारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेज लगाने के मामले में मुकदमा दर्ज करवाया था. चौहान ने पुलिस को दी गई रिपोर्ट में बताया था कि आरपीएससी ने हिंदी व्याख्याता परीक्षा 2022 का आयोजन किया था. इसमें ऑनलाइन फॉर्म एप्लीकेशन में दोनों आरोपियों ने फर्जी डिग्री सबमिट की थी. 14 जून, 2023 को परीक्षा परिणाम घोषित किया गया था. इसमें कमला कुमारी की 36वीं और ब्रह्मकुमारी की 7वीं रैंक आई थी. पड़ताल में सामने आया था कि आरोपी कमला कुमारी बिश्नोई ने ऑनलाइन आवेदन करने के समय हिंदी की डिग्री वर्तमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा की दी थी. मगर नियुक्ति के समय मेवाड़ विश्वविद्यालय गंगरार, चित्तौड़ की डिग्री लगाई थी.
आरोपी ब्रह्मकुमारी ने भी फर्जी डिग्री पेश की थी. आयोग ने दोनों आरोपियों को 31 जुलाई से 14 अगस्त तक दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया था. मगर दोनों आरोपी अनुपस्थिति रही. बाद में जब दोनों आरोपियों को अतिरिक्त अवसर दिया गया तो दोनों आरोपी आयोग कार्यालय में उपस्थित हुईं. आयोग की पड़ताल में स्पष्ट हो गया था कि आवेदन के समय और अभी लगाई गई डिग्रियां अलग-अलग हैं. लिहाजा आयोग ने दोनों आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया. इसी तरह अगले दिन पुलिस ने कमल और ब्रह्मकुमारी के भाई दलपत सिंह और सुरेश बिश्नोई को भी गिरफ्तार कर लिया था.
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आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद खुले राज : आरोपी अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी के बाद मेवाड़ यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री मामले में नाम सामने आए. मामले में जांच कर रही एसओजी की टीम ने प्रकरण में अनुसंधान करते हुए परीक्षा नियंत्रक सुशील शर्मा को गिरफ्तार किया. सुशील शर्मा की गिरफ्तारी के बाद केस परत दर परत खुलती चली गई. वहीं, मेवाड़ यूनिवर्सिटी के डीन कौशल किशोर चंदूल की गिरफ्तारी के बाद फर्जी डिग्री मामले में और भी खुलासे हुए. पड़ताल में सामने आया कि चंदूल पांच वर्षों से विद्यार्थियों को फर्जी डिग्री बांट रहे थे.