जोधपुर : आईजी की साइक्लोनर टीम और एसओजी ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए पीटीआई, वनपाल, एईएन, सीएचओ की परीक्षा के पेपर लीक कर नकल करवाने और फर्जी डिग्रियां बांटने वाले मुख्य आरोपी और उसके सहयोगी को पकड़ने में सफलता हासिल की है.
आईजी विकास कुमार ने बताया कि लूणी निवासी दीपक विश्नोई पुत्र बाबूलाल और पाली के रोहट निवासी मनोहर पुत्र पुनराम को मंगलवार को पुलिस ने पकड़ा है. इसमें दीपक को रामड़ावास और मनोहर को डूंगरपुर से पकड़ा है. इस दौरान एसओजी के एएसपी मनराज मीणा भी साथ रहे. दीपक पर 25 हजार का इनाम घोषित है. दीपक खुद 2014 में ब्लूटूथ से नकल कर जेल प्रहरी बना था. इसके लिए उसने डेढ़ लाख रुपए खर्च किए थे और बीकानेर में ब्लूटूथ डिवाइस ली थी. 2020 में वह 15 लाख रुपए खर्च कर पीटीआई बना. इसके लिए उसने पूर्वी राजस्थान के एक कुख्यात से संपर्क किया था. बाद में उसके लिए काम करने लगा.
आईजी ने बताया कि इनकी गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन "डेंप लैंप" चलाया गया. पड़ताल में पता चला कि दीपक रामड़ावास गांव में छुपा हुआ है. गांव के कुछ लोगों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि हमारे यहां पुलिस नहीं आ सकती, हमने कई लोगों को पनाह दी है. जब दीपक के गांव में होने का पुख्ता हो गया तो सुबह एसओजी और साइक्लोन टीम ने गांव में दबिश दी. इस दौरान दीपक ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे पकड़ लिया गया. उसका सहयोगी मनोहर अपनी बुआ के घर डूंगरपुर में छुपा हुआ था. मनोहर दीपक के लेनदेन में आने वाली राशि को मैनेज करता था.
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पत्नी ने ताना मारा तो बना पीटीआई : पूछताछ में सामने आया है कि दीपक जेल प्रहरी के तौर पर नौकरी कर रहा था. इस दौरान उसकी पत्नी की सहेली ने कार खरीदी तो उसकी पत्नी सुमन ने दीपक को ताना दिया कि हम कब कार खरीदेंगे, इस नौकरी से तो कुछ होगा नहीं. इसके बाद दीपक ने पत्नी को टीचर बनाने के लिए पेपर का जुगाड़ किया, लेकिन वह पकड़ी गई और फिलहाल जमानत पर है. इसके बाद वह खुद फर्जी डिग्री से पीटीआई बना और उसने यह काम शुरू कर दिया.
सैकड़ों को नौकरियां दिलाने का अंदेशा : आईजी ने बताया कि दीपक बिश्नोई ने पीटीआई भर्ती, वनपाल और एईएन भर्ती के पेपर लीक किए थे और प्रत्येक अभ्यर्थी से तीन लाख रुपए लेकर उनको पेपर पढ़ाया था. अंदेशा है कि इन चार भर्तियों में उसने सैकड़ों लोगों को फर्जीवाड़ा करते हुए नौकरियां दिलवा दी. आईजी ने बताया कि पूरी जानकारी एसओजी की पूछताछ के बाद सामने आएगी. उन्होंने बताया कि दीपक को एसओजी के हवाले कर दिया गया है. पूछताछ में उसने कबूला है कि फर्जी डिग्रियां उदयपुर के किंग पिन के माध्यम से बनवाकर उसने बांटी, जिसमें बी.टेक, बीएससी की डिग्रियां और फिजिकल एजुकेशन की डिग्रियां शामिल हैं.