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हजारीबाग में आवारा कुत्तों के आतंक से बचने के लिए समाजसेवियों की पहल, कुत्तों को पकड़कर करवा रहे हैं नसबंदी - DOG BITES CASE IN HAZARIBAG

हजारीबाग में आवारा कुत्तों के आतंक से निपटने के लिए समाजसेवियों ने पहल की है. कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जा रही है.

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मोहल्ले में घूमते कुत्तों की टोली (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 7, 2024, 1:03 PM IST

हजारीबाग: जिले में आवारा कुत्तों का आतंक कुछ इस कदर देखने को मिल रहा है कि लोग काफी परेशान हैं. प्रत्येक दिन एक दर्जन से अधिक कुत्ते काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसे देखते हुए अब हजारीबाग के समाजसेवियों ने पहल की है. आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी करवा रहे हैं. जिस काम की जिम्मेदारी नगर निगम की है, वह काम अब हजारीबाग के लोग कर रहे हैं.

हजारीबाग में पिछले एक साल से आवारा कुत्तों के आतंक से बचने के लिए स्थानीय नगर निगम को आवेदन दिया जा रहा था, लेकिन नगर निगम ने सुध नहीं ली. इसे देखते हुए हजारीबाग के समाज सेवी मनोज गुप्ता और उनकी टीम सामाजिक संस्था के बैनर तले आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

उनकी इस पहल पर सेवानिवृत्त क्षेत्रीय निदेशक डॉ दारा शिकोह, डॉ मजरुहल हसन, डॉ स्मृति सिन्हा साथ मौजूद थे. इसके अलावा जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ न्युट्रन तिर्की और पशु शल्य चिकित्सक डॉ मुकेश कुमार सिन्हा का भी पूर्ण सहयोग मिल रहा है. पशु चिकित्सालय में आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है. तीन दिनों तक उसे उचित देखभाल मिलता है. जिस क्षेत्र से पकड़ा जाता है फिर उसे उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है.

मनोज गुप्ता का कहना है कि आए दिन कुत्तों द्वारा आदमी, गाय, बकरी को काटने की सूचना आती रहती है. इससे रेबीज बीमारी फैलने की आशंका रहती है. लावारिस कुत्तों की नसबंदी से उनकी जनसंख्या पर नियंत्रण लगेगा और टीकाकरण से बीमारी की रोकथाम होगी. इसी उद्देश्य से यह कोशिश की जा रही है.

वहीं, स्थानीय कहते हैं कि हजारीबाग शहर तो छोड़िए ग्रामीण इलाकों में भी आवारा कुत्तों का आतंक देखने को मिलता है. कुत्ते झुंड में रहते हैं और राहगीरों पर हमला कर देते हैं. जिससे दुर्घटना की भी संभावना बढ़ जाती है. छोटे बच्चों को भी कुत्ते काट रहे हैं. शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला हो, जहां आवारा कुत्ता नहीं दिखे. आलम यह है कि कुछ कुत्ते तो पागल भी हो गए हैं, जो अक्सर राहगीरों को निशाना बना रहे हैं. आवारा कुत्तों के आतंक से शहर को बचाने के लिए समाजसेवी आगे आए हैं, लेकिन जरूरत है नगर निगम को संज्ञान लेने की ताकि इस समस्या का समाधान कराया जा सके.

ये भी पढ़ें: सावधान! हजारीबाग की सड़कों पर घूम रहा आवारा आतंक, शिकार बन रहे हैं लोग, बचने का यह है एकमात्र उपाय

ये भी पढ़ें: सो रहा था पांच महीने का बच्चा, कुत्ते ने नोंच-नोंच कर मार डाला, शरीर के अंग खा लिए

हजारीबाग: जिले में आवारा कुत्तों का आतंक कुछ इस कदर देखने को मिल रहा है कि लोग काफी परेशान हैं. प्रत्येक दिन एक दर्जन से अधिक कुत्ते काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसे देखते हुए अब हजारीबाग के समाजसेवियों ने पहल की है. आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी करवा रहे हैं. जिस काम की जिम्मेदारी नगर निगम की है, वह काम अब हजारीबाग के लोग कर रहे हैं.

हजारीबाग में पिछले एक साल से आवारा कुत्तों के आतंक से बचने के लिए स्थानीय नगर निगम को आवेदन दिया जा रहा था, लेकिन नगर निगम ने सुध नहीं ली. इसे देखते हुए हजारीबाग के समाज सेवी मनोज गुप्ता और उनकी टीम सामाजिक संस्था के बैनर तले आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

उनकी इस पहल पर सेवानिवृत्त क्षेत्रीय निदेशक डॉ दारा शिकोह, डॉ मजरुहल हसन, डॉ स्मृति सिन्हा साथ मौजूद थे. इसके अलावा जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ न्युट्रन तिर्की और पशु शल्य चिकित्सक डॉ मुकेश कुमार सिन्हा का भी पूर्ण सहयोग मिल रहा है. पशु चिकित्सालय में आवारा कुत्तों की नसबंदी की जा रही है. तीन दिनों तक उसे उचित देखभाल मिलता है. जिस क्षेत्र से पकड़ा जाता है फिर उसे उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है.

मनोज गुप्ता का कहना है कि आए दिन कुत्तों द्वारा आदमी, गाय, बकरी को काटने की सूचना आती रहती है. इससे रेबीज बीमारी फैलने की आशंका रहती है. लावारिस कुत्तों की नसबंदी से उनकी जनसंख्या पर नियंत्रण लगेगा और टीकाकरण से बीमारी की रोकथाम होगी. इसी उद्देश्य से यह कोशिश की जा रही है.

वहीं, स्थानीय कहते हैं कि हजारीबाग शहर तो छोड़िए ग्रामीण इलाकों में भी आवारा कुत्तों का आतंक देखने को मिलता है. कुत्ते झुंड में रहते हैं और राहगीरों पर हमला कर देते हैं. जिससे दुर्घटना की भी संभावना बढ़ जाती है. छोटे बच्चों को भी कुत्ते काट रहे हैं. शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला हो, जहां आवारा कुत्ता नहीं दिखे. आलम यह है कि कुछ कुत्ते तो पागल भी हो गए हैं, जो अक्सर राहगीरों को निशाना बना रहे हैं. आवारा कुत्तों के आतंक से शहर को बचाने के लिए समाजसेवी आगे आए हैं, लेकिन जरूरत है नगर निगम को संज्ञान लेने की ताकि इस समस्या का समाधान कराया जा सके.

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