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बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लोगों को कर रहे बीमार, यूपीपीसीएल दवा की खोज में जुटा - उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन

Smart Prepaid Electricity Meter: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों के लिए भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय व केंद्रीय टेलीकॉम सचिव की तरफ से जारी निर्देश के आधार पर व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2024, 12:16 PM IST

Updated : Jan 20, 2024, 12:33 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को उपभोक्ताओं के घरों में लगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर उनकी बीमारी का कारण बन रहे हैं. स्मार्ट मीटर में लगी चिप में से जो हानिकारक तरंगें निकल रही हैं वे स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं. इससे लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं. यही कारण है कि पावर कारपोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों को आदेश दिया है कि उपभोक्ताओं के घरों में लगने वाले सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को अब अनिवार्य रूप से टेलीकॉम उपकरण मॉडम, आईओटी गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस, राउटर लाइन स्विच और फाइबर केबल की टेस्टिंग कराएं. बिना टेस्टिंग कराए उपभोक्ताओं के घर में मीटर नहीं लगाया जा सकता.

भारत सरकार की तरफ से बनाए गए इस कानून के बाद अक्टूबर 2023 में उपभोक्ता परिषद ने ये मुद्दा उठाया था. बिजली कम्पनियों से इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की थी. आखिरकार अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों के लिए भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय व केंद्रीय टेलीकॉम सचिव की तरफ से जारी निर्देश के आधार पर व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी किया है.

सभी बिजली कंपनियों को निर्देश दिया है कि वह अपने स्तर से भी इस पर आदेश निर्गत करें. सभी को पता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए सिम कार्ड लगता है, मॉडम लगता है और वह इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है. इससे यह बात तो सिद्ध हो गई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी वह उपाय जरूरी होते हैं, जिनका भारत सरकार ने प्रावधान किया है.

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उससे निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी उत्सर्जन यानी तरंगों से आम जनता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है? सिक्योरिटी सिस्टम ठीक है? नेटवर्किंग सिस्टम गाइडलाइन के तहत है? इन सबको कौन परखेगा? उसके लिए संचार मंत्रालय ने भारत सरकार के केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर उसमें लगने वाले मॉडेम आईओटी गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस राउटर लाइन स्विच फाइबर केबल सहित लगने वाले सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम प्रोडक्ट की एक जनवरी से मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट कराना अनिवार्य होगा.

यानी सभी स्मार्ट मीटर कंपनियां जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाएंगे, सबसे पहले उनको डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन से मैंडेटरी टेस्टिंग कराना अनिवार्य होगा. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा बडे पैमाने पर स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैं और कमीशन के चक्कर में चाइनीज मॉडम डिवाइस चिप लगाकर सस्ते दर पर बिचौलिया यानी कि स्मार्ट मीटर का टेंडर लेने वाले उद्योगपतियों को को देती हैं.

कहीं न कहीं इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पडता है. अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनियों को अपने टेलीकॉम प्रोडक्ट की टेस्टिंग करना पडेगा तब खुलासा हो जाएगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी की तरफ से मीटर के अंदर लगने वाली चिप और मॉडेम को चीनी या घटिया क्वालिटी का खरीदकर तो नहीं लगाया गया है. ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे निकलने वाली जो रेडिएशन है उससे आम जनमानस और उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पडता है.

बिजली चमकने से बंद हो गए थे स्मार्ट मीटर: पिछले साल जब मौसम खराब था आसमान में बिजली चमकी तो हजारों स्मार्ट मीटर बंद हो गए थे. ऐसे में यह बात साबित हो गई कि इसकी रेडिएशन बहुत ही शक्तिशाली है, क्योंकि बिजली चमकने से मोबाइल तो नहीं बंद हुए थे उसमें भी रेडिएशन निकलती है, इसलिए स्मार्ट मीटर से निकलने वाली रेडिएशन का प्रतिकूल प्रभाव आम जनता पर न पडे़, इसलिए एक जनवरी से सर्टिफिकेशन किए जाने का अनिवार्य रूप से आदेश जारी किया गया है. इस सर्टिफिकेशन से यह भी सिद्ध हो जाएगा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तकनीक पुरानी होगी तो क्या वह भारतीय मानक के अनुसार सुरक्षित है.

ये भी पढ़ेंः यूपी बोर्ड 2024 : 25 जनवरी से शुरू होंगी प्रैक्टिकल परीक्षाएं, हेल्पलाइन नंबर जारी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को उपभोक्ताओं के घरों में लगे स्मार्ट प्रीपेड मीटर उनकी बीमारी का कारण बन रहे हैं. स्मार्ट मीटर में लगी चिप में से जो हानिकारक तरंगें निकल रही हैं वे स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं. इससे लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं. यही कारण है कि पावर कारपोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों को आदेश दिया है कि उपभोक्ताओं के घरों में लगने वाले सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को अब अनिवार्य रूप से टेलीकॉम उपकरण मॉडम, आईओटी गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस, राउटर लाइन स्विच और फाइबर केबल की टेस्टिंग कराएं. बिना टेस्टिंग कराए उपभोक्ताओं के घर में मीटर नहीं लगाया जा सकता.

भारत सरकार की तरफ से बनाए गए इस कानून के बाद अक्टूबर 2023 में उपभोक्ता परिषद ने ये मुद्दा उठाया था. बिजली कम्पनियों से इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की थी. आखिरकार अब उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों के लिए भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय व केंद्रीय टेलीकॉम सचिव की तरफ से जारी निर्देश के आधार पर व्यवस्था को लागू करने का आदेश जारी किया है.

सभी बिजली कंपनियों को निर्देश दिया है कि वह अपने स्तर से भी इस पर आदेश निर्गत करें. सभी को पता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए सिम कार्ड लगता है, मॉडम लगता है और वह इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है. इससे यह बात तो सिद्ध हो गई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी वह उपाय जरूरी होते हैं, जिनका भारत सरकार ने प्रावधान किया है.

स्मार्ट मीटर लगने के बाद उससे निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी उत्सर्जन यानी तरंगों से आम जनता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है? सिक्योरिटी सिस्टम ठीक है? नेटवर्किंग सिस्टम गाइडलाइन के तहत है? इन सबको कौन परखेगा? उसके लिए संचार मंत्रालय ने भारत सरकार के केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर उसमें लगने वाले मॉडेम आईओटी गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस राउटर लाइन स्विच फाइबर केबल सहित लगने वाले सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम प्रोडक्ट की एक जनवरी से मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट कराना अनिवार्य होगा.

यानी सभी स्मार्ट मीटर कंपनियां जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाएंगे, सबसे पहले उनको डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन से मैंडेटरी टेस्टिंग कराना अनिवार्य होगा. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा बडे पैमाने पर स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैं और कमीशन के चक्कर में चाइनीज मॉडम डिवाइस चिप लगाकर सस्ते दर पर बिचौलिया यानी कि स्मार्ट मीटर का टेंडर लेने वाले उद्योगपतियों को को देती हैं.

कहीं न कहीं इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पडता है. अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनियों को अपने टेलीकॉम प्रोडक्ट की टेस्टिंग करना पडेगा तब खुलासा हो जाएगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी की तरफ से मीटर के अंदर लगने वाली चिप और मॉडेम को चीनी या घटिया क्वालिटी का खरीदकर तो नहीं लगाया गया है. ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे निकलने वाली जो रेडिएशन है उससे आम जनमानस और उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पडता है.

बिजली चमकने से बंद हो गए थे स्मार्ट मीटर: पिछले साल जब मौसम खराब था आसमान में बिजली चमकी तो हजारों स्मार्ट मीटर बंद हो गए थे. ऐसे में यह बात साबित हो गई कि इसकी रेडिएशन बहुत ही शक्तिशाली है, क्योंकि बिजली चमकने से मोबाइल तो नहीं बंद हुए थे उसमें भी रेडिएशन निकलती है, इसलिए स्मार्ट मीटर से निकलने वाली रेडिएशन का प्रतिकूल प्रभाव आम जनता पर न पडे़, इसलिए एक जनवरी से सर्टिफिकेशन किए जाने का अनिवार्य रूप से आदेश जारी किया गया है. इस सर्टिफिकेशन से यह भी सिद्ध हो जाएगा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की तकनीक पुरानी होगी तो क्या वह भारतीय मानक के अनुसार सुरक्षित है.

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Last Updated : Jan 20, 2024, 12:33 PM IST
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