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क्या खूंटी में भाजपा के किले को ध्वस्त कर पाएगी कांग्रेस, छोटे-छोटे दल और निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं बड़ी पार्टियों का खेल - Lok Sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Khunti Lok Sabha seat. खूंटी लोकसभा सीट पर बीजेपी के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच मुख्य मुकाबला होने के आसार हैं. लेकिन यहां पर छोटे-छोटे दल के प्रत्याशी भी मैदान में हैं जो इनके लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं.

Khunti Lok Sabha seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 4, 2024, 11:19 AM IST

खूंटी: लोकसभा चुनाव में झारखंड की सबसे बड़ी हॉट सीट बन चुकी खूंटी का राजनीतिक तापमान मौसम के साथ ही लगातार बढ़ रहा है. एक ओर जहां भाजपा के सामने अपने परंपरागत किले को बचाए रखने की चुनौती है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के समक्ष साख बचाने और लगातार हार के कलंक को धोने की चुनौती है.

राष्ट्रीय पार्टियां ईसाई से लेकर मुंडाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने जुटी है, जबकि छोटे-छोटे दल के प्रत्याशी और निर्दलीय भी पीछे नहीं हैं. भाजपा और कांग्रेस के वोटरों को डायवर्ट करने के लिए झामुमो के पूर्व विधायक और झापा के प्रत्याशी बसंत लोंगा भी दोनों के बने बनाये किले में सेंधमारी की कोशिश में जुटे हुए हैं. यही नहीं पत्थलगड़ी नेत्री बबीता कच्छप पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है.

जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट पर अब तक हुए 17 संसदीय चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक जीत हासिल की है. पद्मभूषण कड़िया मुंडा आठ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और लोकसभा उपाध्यक्ष भी रहे हैं. अर्जुन मुंडा सांसद और केंद्रीय जनजातीय मंत्री के अलावा कृषि मंत्री भी हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को मात्र 1445 मतों के बहुत ही कम अंतरों से पराजित किया था. इस बार भी दोनों प्रतिद्वंद्वी आमने सामने हैं.

Khunti Lok Sabha seat
खूंटी लोकसभा सीट के आंकड़े (ETV BHARAT)

खूंटी सीट से अब तक कांगेस को सिर्फ तीन बार ही जीत नसीब हुई है. 1967 में जयपाल सिंह मुंडा, 1984 में साइमन तिग्गा और 2004 में सुशीला केरकेट्टा ही कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंच सके हैं. पांच बार झारखंड पार्टी को भी खूंटी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है. लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय क्षेत्र से भाजपा, कांग्रेस, झारखंड पार्टी सहित सात दलीय-निर्दलीय प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं. जानकार मानते हैं कि अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला नजर आ रहा था, लेकिन झारखंड पार्टी के अलावा अन्य छोटे-छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं.

Khunti Lok Sabha seat
खूंटी लोकसभा सीट के आंकड़े (ETV BHARAT)

हॉट सीट बने खूंटी लोकसभा सीट एक ओर जहां भाजपा को हिंदू मतदाताओं और सरना समाज पर पूरा भरोसा है, वहीं कांग्रेस को अपने कैडर वोट के अलावा ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं पर विश्वास है. खूंटी की राजनीति की परख रखने वाले वरिष्ट पत्रकार शैलेंद्र सिन्हा बताते हैं कि बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वहीं, झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस और निर्दलीय उम्मीदवार बसंत कुमार लोंगा ईसाई मतों में सेंधमारी कर सकते हैं. इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है.

वैसे अपर्णा हंस काफी दमदार उम्मीदवार मानी जा रही हैं. ईसाई समुदाय में उनकी काफी अच्छी पकड़ बताई जाती है. बसंत लोंगा झामुमो के पूर्व विधायक रह चुके हैं और उनकी भी क्षेत्र में अच्छी-खासी लोकप्रियता है. पत्थलगड़ी की नेत्री रह चुकी बबीता कच्छप भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में हैं. अब देखना है कि ये छोटे-छोटे दल और निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव परिणाम को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं.

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राष्ट्रीय पार्टियां ईसाई से लेकर मुंडाओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने जुटी है, जबकि छोटे-छोटे दल के प्रत्याशी और निर्दलीय भी पीछे नहीं हैं. भाजपा और कांग्रेस के वोटरों को डायवर्ट करने के लिए झामुमो के पूर्व विधायक और झापा के प्रत्याशी बसंत लोंगा भी दोनों के बने बनाये किले में सेंधमारी की कोशिश में जुटे हुए हैं. यही नहीं पत्थलगड़ी नेत्री बबीता कच्छप पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है.

जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी संसदीय सीट पर अब तक हुए 17 संसदीय चुनाव में भाजपा ने सर्वाधिक जीत हासिल की है. पद्मभूषण कड़िया मुंडा आठ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और लोकसभा उपाध्यक्ष भी रहे हैं. अर्जुन मुंडा सांसद और केंद्रीय जनजातीय मंत्री के अलावा कृषि मंत्री भी हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को मात्र 1445 मतों के बहुत ही कम अंतरों से पराजित किया था. इस बार भी दोनों प्रतिद्वंद्वी आमने सामने हैं.

Khunti Lok Sabha seat
खूंटी लोकसभा सीट के आंकड़े (ETV BHARAT)

खूंटी सीट से अब तक कांगेस को सिर्फ तीन बार ही जीत नसीब हुई है. 1967 में जयपाल सिंह मुंडा, 1984 में साइमन तिग्गा और 2004 में सुशीला केरकेट्टा ही कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंच सके हैं. पांच बार झारखंड पार्टी को भी खूंटी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है. लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय क्षेत्र से भाजपा, कांग्रेस, झारखंड पार्टी सहित सात दलीय-निर्दलीय प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं. जानकार मानते हैं कि अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला नजर आ रहा था, लेकिन झारखंड पार्टी के अलावा अन्य छोटे-छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं.

Khunti Lok Sabha seat
खूंटी लोकसभा सीट के आंकड़े (ETV BHARAT)

हॉट सीट बने खूंटी लोकसभा सीट एक ओर जहां भाजपा को हिंदू मतदाताओं और सरना समाज पर पूरा भरोसा है, वहीं कांग्रेस को अपने कैडर वोट के अलावा ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं पर विश्वास है. खूंटी की राजनीति की परख रखने वाले वरिष्ट पत्रकार शैलेंद्र सिन्हा बताते हैं कि बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. वहीं, झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस और निर्दलीय उम्मीदवार बसंत कुमार लोंगा ईसाई मतों में सेंधमारी कर सकते हैं. इसका नुकसान कांग्रेस को हो सकता है.

वैसे अपर्णा हंस काफी दमदार उम्मीदवार मानी जा रही हैं. ईसाई समुदाय में उनकी काफी अच्छी पकड़ बताई जाती है. बसंत लोंगा झामुमो के पूर्व विधायक रह चुके हैं और उनकी भी क्षेत्र में अच्छी-खासी लोकप्रियता है. पत्थलगड़ी की नेत्री रह चुकी बबीता कच्छप भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में हैं. अब देखना है कि ये छोटे-छोटे दल और निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव परिणाम को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं.

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