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अधूरी नींद से बढ़ रहा कई बीमारियों का खतरा, याददाश्त भी हो रही कमजोर - Sleep Summit 2024

राजधानी लखनऊ में गुरुवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग (SLEEP SUMMIT 2024 IN KGMU) की ओर से स्लीप समिट-2024 का आयोजन किया गया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 22, 2024, 7:55 AM IST

लखनऊ : अधूरी नींद कई तरह की बीमारियां बांट रही है. इसमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल, मोटापा समेत दूसरी गंभीर बीमारियां शामिल हैं. कुछ मरीजों को नसों की बीमारी भी हो सकती है. इससे मरीज को लकवा मार सकता है. याददाश्त भी कमजोर हो सकती है. यह बातें केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहीं. वह गुरुवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से स्लीप समिट-2024 को संबोधित कर रही थीं.

बीमारी के कुछ लक्षण
  • दिन में ज्यादा सोना
  • नींद पड़ने में कठिनाई
  • रात में बार-बार जागना
  • नींद पूरी ना होना
  • खर्राटे आना
  • नींद के दौरान चोकिंग हो जाना
  • सिरदर्द
  • थकान एवं चिड़चिड़ापन
  • याददाश्त में कमी

कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि अधूरी नींद की वजह से मरीज की दिनचर्या प्रभावित होती है. नींद का बड़ा कारण तनाव व आधुनिक जीवनशैली है. जागरुकता से नींद संबंधी बीमारी का समय पर इलाज करा सकते हैं. पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि भारत में 10 प्रतिशत वयस्क नींद से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं. ज्यादातर वयस्कों में यह बीमारी पता नहीं चल पाती है. जब दूसरी बीमारियां घेरती है तब नींद पूरी न होने की बात का पता चलता है.

अच्छी नींद के टिप्स
  • नियमित व्यायाम
  • मोटापे पर काबू
  • योग
  • मोटापे की सर्जरी
  • ऑक्सीजन थेरेपी

उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ जीवन के लिए आठ घंटे सोना काफी जरूरी होता है. आठ घंटे की नींद में व्यक्ति की सारी थकान और तनाव दूर हो जाता है. जिससे वह अगले दिन के लिए तैयार होता है. लेकिन, यदि कोई व्यक्ति आठ घंटे की नींद पूरी नहीं करता है तो उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनकी नींद चार घंटे में ही पूरी हो जाती है. उनके लिए आठ घंटे सोना संभव नहीं होता है. क्योंकि, हर शरीर की अलग क्षमता होती है. व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार किसी भी काम को करना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को लग रहा है की छह घंटे में उसकी नींद पूरी हो गई है तो वह अपना दैनिक दिनचर्या शुरू कर सकता है. लेकिन, एक साइंटिफिक दृष्टि से आठ घंटे की नींद स्वस्थ जीवन के लिए सबसे फायदेमंद होती है.


यह भी पढ़ें : धुंधला दिखना न करें नजरंदाज; आपकी आंखों की नसों में जम रहा खून, जानें क्या है विशेषज्ञ की राय

यह भी पढ़ें : वर्ल्ड स्लीप डे : भारत में अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे लोगों की संख्या बढ़ी

लखनऊ : अधूरी नींद कई तरह की बीमारियां बांट रही है. इसमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल, मोटापा समेत दूसरी गंभीर बीमारियां शामिल हैं. कुछ मरीजों को नसों की बीमारी भी हो सकती है. इससे मरीज को लकवा मार सकता है. याददाश्त भी कमजोर हो सकती है. यह बातें केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहीं. वह गुरुवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की ओर से स्लीप समिट-2024 को संबोधित कर रही थीं.

बीमारी के कुछ लक्षण
  • दिन में ज्यादा सोना
  • नींद पड़ने में कठिनाई
  • रात में बार-बार जागना
  • नींद पूरी ना होना
  • खर्राटे आना
  • नींद के दौरान चोकिंग हो जाना
  • सिरदर्द
  • थकान एवं चिड़चिड़ापन
  • याददाश्त में कमी

कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि अधूरी नींद की वजह से मरीज की दिनचर्या प्रभावित होती है. नींद का बड़ा कारण तनाव व आधुनिक जीवनशैली है. जागरुकता से नींद संबंधी बीमारी का समय पर इलाज करा सकते हैं. पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि भारत में 10 प्रतिशत वयस्क नींद से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं. ज्यादातर वयस्कों में यह बीमारी पता नहीं चल पाती है. जब दूसरी बीमारियां घेरती है तब नींद पूरी न होने की बात का पता चलता है.

अच्छी नींद के टिप्स
  • नियमित व्यायाम
  • मोटापे पर काबू
  • योग
  • मोटापे की सर्जरी
  • ऑक्सीजन थेरेपी

उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ जीवन के लिए आठ घंटे सोना काफी जरूरी होता है. आठ घंटे की नींद में व्यक्ति की सारी थकान और तनाव दूर हो जाता है. जिससे वह अगले दिन के लिए तैयार होता है. लेकिन, यदि कोई व्यक्ति आठ घंटे की नींद पूरी नहीं करता है तो उसकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनकी नींद चार घंटे में ही पूरी हो जाती है. उनके लिए आठ घंटे सोना संभव नहीं होता है. क्योंकि, हर शरीर की अलग क्षमता होती है. व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार किसी भी काम को करना चाहिए. अगर किसी व्यक्ति को लग रहा है की छह घंटे में उसकी नींद पूरी हो गई है तो वह अपना दैनिक दिनचर्या शुरू कर सकता है. लेकिन, एक साइंटिफिक दृष्टि से आठ घंटे की नींद स्वस्थ जीवन के लिए सबसे फायदेमंद होती है.


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