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उप जिला चिकित्सालय में अपग्रेड हुआ सितारगंज सीएचसी, मोरी पीएचसी बना सीएचसी, कई पद भी मंजूर

सितारगंज 90 बेडेड उप जिला चिकित्सालय में अपग्रेड, मोरी सीएचसी के लिए 37 पदों को मंजूरी

HOSPITAL UPGRADE IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाएं (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2024, 7:41 PM IST

देहरादून: उत्तराखण्ड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार अस्पतालों को अपग्रेड कर रही है. इसी क्रम में ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सालय और उत्तरकाशी जिले के मोरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया है. ऐसे में इन दोनों अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ डॉक्टरों की तैनाती होने से स्थानीय लोगों को लोकल स्तर पर ही बेहतर मिल सकेंगी. जिससे मरीजों को अन्य शहरों की ओर नहीं भागना पड़ेगा.

स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया सितारगंज के 30 बेडेड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 90 बेडेड उप जिला चिकित्सालय में अपग्रेड किया गया है. अस्पताल का संचालन करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक समेत कुल 65 पदों की मंजूरी दी गई है. इनमें से 40 नए पद (20 नियमित और 20 आउटसोर्स) सृजित किए गए हैं. नवसृजित पदों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के अलावा एक आर्थोपेडिक सर्जन, एक नेत्र शल्यक, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलोजिस्ट, चार वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, 10 नर्सिंग अधिकारी, एक लैब टेक्नीशियन शामिल हैं. ये सभी पद नियमित अस्थायी होंगे. इसके अलावा 20 पद आउटसोर्स से होंगे.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मोरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया है. अस्पताल का संचालन करने के लिए 37 पदों (25 अस्थायी और 12 आउटसोर्स) की स्वीकृति दी गई है. स्वीकृत पदों में चिकित्सा अधीक्षक, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, दंत शल्यक, नर्सिंग अधिकारी, लैब टेक्नीशियन शामिल हैं.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा प्रदेश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है. इसके लिए चिकित्सा संस्थानों के उच्चीकरण के साथ ही उन्हें अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया जा रहा है. प्रदेश के पर्वतीय जिलों में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ ही वहां पर डॉक्टरों की तैनाती, जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया है.

पढे़ं- मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में नहीं हैं कार्डियोलॉजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट, चार जिलों का है सबसे बड़ा अस्पताल

देहरादून: उत्तराखण्ड सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार अस्पतालों को अपग्रेड कर रही है. इसी क्रम में ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप जिला चिकित्सालय और उत्तरकाशी जिले के मोरी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया है. ऐसे में इन दोनों अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ डॉक्टरों की तैनाती होने से स्थानीय लोगों को लोकल स्तर पर ही बेहतर मिल सकेंगी. जिससे मरीजों को अन्य शहरों की ओर नहीं भागना पड़ेगा.

स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने बताया सितारगंज के 30 बेडेड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 90 बेडेड उप जिला चिकित्सालय में अपग्रेड किया गया है. अस्पताल का संचालन करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक समेत कुल 65 पदों की मंजूरी दी गई है. इनमें से 40 नए पद (20 नियमित और 20 आउटसोर्स) सृजित किए गए हैं. नवसृजित पदों में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के अलावा एक आर्थोपेडिक सर्जन, एक नेत्र शल्यक, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक पैथोलोजिस्ट, चार वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, 10 नर्सिंग अधिकारी, एक लैब टेक्नीशियन शामिल हैं. ये सभी पद नियमित अस्थायी होंगे. इसके अलावा 20 पद आउटसोर्स से होंगे.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मोरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपग्रेड किया गया है. अस्पताल का संचालन करने के लिए 37 पदों (25 अस्थायी और 12 आउटसोर्स) की स्वीकृति दी गई है. स्वीकृत पदों में चिकित्सा अधीक्षक, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, निश्चेतक, दंत शल्यक, नर्सिंग अधिकारी, लैब टेक्नीशियन शामिल हैं.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा प्रदेश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है. इसके लिए चिकित्सा संस्थानों के उच्चीकरण के साथ ही उन्हें अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया जा रहा है. प्रदेश के पर्वतीय जिलों में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ ही वहां पर डॉक्टरों की तैनाती, जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया है.

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