नई दिल्ली/गाजियाबाद: वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता सीता धरती से प्रकट हुई थीं. सीता नवमी के दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा अर्चना करना, बहुत फलदाई बताया गया है. ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि सीता नवमी को ही जानकी नवमी भी कहा जाता है.
इस दिन विवाहित और अविवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं. मान्यता है कि सीता नवमी का व्रत रखने से विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है. वहीं, अविवाहित कन्याओं द्वारा योग्यवर की प्राप्ति के लिए सीता नवमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से विवाह के योग जल्द बनते हैं.
- वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 मई, 2024 (गुरुवार) सुबह 06:22 पर प्रारंभ होगी.
- वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 17 मई, 2024 (शुकवार) को 08:48 पर समाप्त होगी.
- सीता नवमी 16 मई (गुरुवार) को मनाई जाएगी.
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पूजन विधि: सीता नवमी के दिन ब्रह्मा मुहुर्त में उठें. संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर नहाने के पानी में गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं. स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने और मंदिर की साफ सफाई करें. चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और मां सीता की प्रतिमा स्थापित करें. फिर सीता नवमी के व्रत का संकल्प लेकर मां सीता को फल-फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद आरती करें और परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें. इसके बाद अगले दिन व्रत का पारण करें.
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