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सीसामऊ का रण; भाजपा का ब्राह्मण कार्ड तो सपा ने उतारा मुस्लिम कैंडीडेट, क्या बसपा बिगाड़ेगी खेल? - SISAMAU BY ELECTION

UP ASSEMBLY BYELECTIONS: कानपुर की हाॅट सीट सीसामऊ पर सबकी नजरें हैं. बसपा ने बनिया प्रत्याशी बदला और अब वीरेंद्र शुक्ला को मैदान में उतार. पूर्व सीएम मायावती की रणनीति से क्या बीजेपी को झटका लगेगा... पढ़िए- पूरी रिपोर्ट

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सीसामऊ उपचुनाव के प्रमुख उम्मीदवार. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 7:33 AM IST

Updated : Oct 25, 2024, 11:59 AM IST

कानपुर: सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ने जहां ब्राह्मण कार्ड चलते हुए सुरेश अवस्थी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं इस सीट पर सपा ने कुछ दिन पहले पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया था. जबकि बसपा ने महज दो दिन पहले ही ब्राह्मण कार्ड चलते हुए वीरेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया था.

तीनों ही प्रमुख दलों की ओर से प्रत्याशी को लेकर चेहरे साफ होने के बाद चुनाव रोचक हो गया है. क्योंकि जहां बसपा और भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड चला है, वहीं इन दोनों ही प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में टक्कर देने के लिए पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सामने होंगी.

भारतीय जनता पार्टी के लिए जहां यह सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है और इस सीट पर भाजपा 28 साल पहले जीती थी. वहीं बसपा ने यह सीट कभी नहीं जीती है, जबकि इसके इतर समाजवादी पार्टी की झोली में यह सीट 2012 से लगातार पहुंचती रही है. ऐसे में निश्चित तौर पर अगर पिछले रिकॉर्ड को हम देखें तो कहीं न कहीं सपा का पलड़ा भारी हो सकता है. लेकिन, अब भाजपा की ओर से ब्राह्मण प्रत्याशी आने से सपा और बसपा दोनों के लिए चुनौतियां भी अधिक होंगी.

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छात्र राजनीति से सुरेश अवस्थी ने बनाई अपनी पहचान: भारतीय जनता पार्टी ने बहुत अधिक मंथन करने के बाद पूर्व मंत्री और दो बार विधायकी का चुनाव लड़ चुके सुरेश अवस्थी को अपना प्रत्याशी बनाया है. कानपुर में डीएवी कॉलेज की छात्र राजनीति से सुरेश अवस्थी ने अपनी एक पहचान बनाई. वहीं कई साल पहले वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए थे, जिसमें उन्होंने संगठन में कई सालों तक बतौर पदाधिकारी भी काम किया.

2017 में उन्हें सीसामऊ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया था. हालांकि सुरेश अवस्थी को वहां हार का सामना करना पड़ा था और जब 2022 में पार्टी ने सुरेश अवस्थी को सीसामऊ से ही लगे क्षेत्र आर्य नगर से चुनाव लड़ाया तो वहां भी सुरेश अवस्थी को हार का सामना करना पड़ा.

इन सबके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता भी इस बात को जानते हैं कि सुरेश अवस्थी को भाजपा के अंदर अमित शाह का सबसे करीबी भी माना जाता है. इस बार उपचुनाव में जो सुरेश अवस्थी को टिकट मिला उसके पीछे यह बड़ा कारण माना जा रहा है. यह खुद सियासी जानकारी कह रहे हैं.

पहली बार चुनाव लड़ने जा रही हैं नसीम: सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है. नसीम सोलंकी के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह अपने करियर के पहले चुनाव को लेकर मैदान में हैं. हालांकि, उनके लिए एक सकारात्मक तथ्य भी है. लगातार उनके पति इसी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं.

वहीं 2022 में जब इरफान सोलंकी चुनाव जीते थे तो उसके बाद इरफान सोलंकी पर आगजनी का आरोप लगाते हुए जाजमऊ निवासी एक महिला ने आगजनी का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद से लगातार इरफान सोलंकी को जेल में रहना पड़ा और कुछ समय पहले ही उनकी विधायक संबंधी सदस्यता भी खत्म हो गई. ऐसी स्थिति में जब सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई तो समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सहानुभूति दिखाते हुए पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को ही मैदान में उतार दिया है.

कौन हैं वीरेंद्र शुक्ला, जिन्हें बसपा ने दिया टिकट: कुछ समय पहले जब शहर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने को लेकर घोषणा की गई थी, तो बसपा ने सीसामऊ में रहने वाले व्यापारी रवि गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि, दो दिन पहले ही अचानक बसपा ने ब्राह्मण कार्ड चलते हुए वीरेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बना दिया.

गुरुवार को बसपा की ओर से जो उपचुनाव को लेकर सभी प्रत्याशियों की सूची जारी की गई, उसमें कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में वीरेंद्र शुक्ला का ही नाम था. बसपा के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का कहना है वह अपने प्रत्याशी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और उनकी पूरी कोशिश होगी कि बसपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें. हालांकि वीरेंद्र शुक्ला को लेकर कोई भी कार्यकर्ता और पदाधिकारी कुछ खास बोलने को तैयार नहीं है. वहीं वीरेंद्र शुक्ला बसपा की ओर से अब यह पहला चुनाव लड़ेंगे.

पूर्व सांसद ने बेटी के लिए लगाई थी प्रतिष्ठा: भारतीय जनता पार्टी ने सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर गुरुवार शाम करीब पांच बजे के लगभग सुरेश अवस्थी को जहां अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया, तो वहीं गुरुवार सुबह तक भारतीय जनता पार्टी के अंदर यह चर्चा थी कि पार्टी की ओर से राकेश सोनकर को अपना प्रत्याशी बनाया जा सकता है.

क्या भाजपा को डेंट लगाएगी बसपा: अभी तक राजनीतिक गलियारों में बसपा को भाजपा की बी टीम माना जाता था. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार बसपा हर चुनाव में ऐसे उम्मीदवार उतारती रही है, जो सपा और कांग्रेस के वोट काटती है. लेकिन, यूपी की 9 सीट पर हो रहे उपचुनाव में खासकर कानपुर की सीसामऊ सीट पर बसपा का रवि गुप्ता का टिकट काटकर ब्राह्मण कार्ड खेलना एक अलग ही सियासी चाल के संकेत दे रहा है.

भाजपा ने भी इस सीट पर सुरेश अवस्थी के जरिए ब्राह्मण चेहरा मैदान में उतारा है. भाजपा के लिए यह सीट जीतना साख का सवाल हो गया है. भाजपा 28 साल बाद सीसामऊ में कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. लेकिन, बसपा का ये ब्राह्मण कार्ड भाजपा को डेंट लगा सकता है. वैसे, उपचुनाव में भाजपा को डेंट लगेगा या सीसामऊ में कमल खिलेगा, इसका फैसला जनता 13 नवंबर को वोटिंग के दिन करेगी. जिसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.

ये भी पढ़ेंः इंडी गठबंधन में दबाव का खेल; कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव न लड़कर सपा पर बनाया दबाव, महाराष्ट्र में दिखेगा असर

कानपुर: सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ने जहां ब्राह्मण कार्ड चलते हुए सुरेश अवस्थी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं इस सीट पर सपा ने कुछ दिन पहले पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया था. जबकि बसपा ने महज दो दिन पहले ही ब्राह्मण कार्ड चलते हुए वीरेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया था.

तीनों ही प्रमुख दलों की ओर से प्रत्याशी को लेकर चेहरे साफ होने के बाद चुनाव रोचक हो गया है. क्योंकि जहां बसपा और भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड चला है, वहीं इन दोनों ही प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में टक्कर देने के लिए पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सामने होंगी.

भारतीय जनता पार्टी के लिए जहां यह सीट अब प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है और इस सीट पर भाजपा 28 साल पहले जीती थी. वहीं बसपा ने यह सीट कभी नहीं जीती है, जबकि इसके इतर समाजवादी पार्टी की झोली में यह सीट 2012 से लगातार पहुंचती रही है. ऐसे में निश्चित तौर पर अगर पिछले रिकॉर्ड को हम देखें तो कहीं न कहीं सपा का पलड़ा भारी हो सकता है. लेकिन, अब भाजपा की ओर से ब्राह्मण प्रत्याशी आने से सपा और बसपा दोनों के लिए चुनौतियां भी अधिक होंगी.

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छात्र राजनीति से सुरेश अवस्थी ने बनाई अपनी पहचान: भारतीय जनता पार्टी ने बहुत अधिक मंथन करने के बाद पूर्व मंत्री और दो बार विधायकी का चुनाव लड़ चुके सुरेश अवस्थी को अपना प्रत्याशी बनाया है. कानपुर में डीएवी कॉलेज की छात्र राजनीति से सुरेश अवस्थी ने अपनी एक पहचान बनाई. वहीं कई साल पहले वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए थे, जिसमें उन्होंने संगठन में कई सालों तक बतौर पदाधिकारी भी काम किया.

2017 में उन्हें सीसामऊ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया था. हालांकि सुरेश अवस्थी को वहां हार का सामना करना पड़ा था और जब 2022 में पार्टी ने सुरेश अवस्थी को सीसामऊ से ही लगे क्षेत्र आर्य नगर से चुनाव लड़ाया तो वहां भी सुरेश अवस्थी को हार का सामना करना पड़ा.

इन सबके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता भी इस बात को जानते हैं कि सुरेश अवस्थी को भाजपा के अंदर अमित शाह का सबसे करीबी भी माना जाता है. इस बार उपचुनाव में जो सुरेश अवस्थी को टिकट मिला उसके पीछे यह बड़ा कारण माना जा रहा है. यह खुद सियासी जानकारी कह रहे हैं.

पहली बार चुनाव लड़ने जा रही हैं नसीम: सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा ने पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है. नसीम सोलंकी के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह अपने करियर के पहले चुनाव को लेकर मैदान में हैं. हालांकि, उनके लिए एक सकारात्मक तथ्य भी है. लगातार उनके पति इसी विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं.

वहीं 2022 में जब इरफान सोलंकी चुनाव जीते थे तो उसके बाद इरफान सोलंकी पर आगजनी का आरोप लगाते हुए जाजमऊ निवासी एक महिला ने आगजनी का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद से लगातार इरफान सोलंकी को जेल में रहना पड़ा और कुछ समय पहले ही उनकी विधायक संबंधी सदस्यता भी खत्म हो गई. ऐसी स्थिति में जब सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई तो समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सहानुभूति दिखाते हुए पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को ही मैदान में उतार दिया है.

कौन हैं वीरेंद्र शुक्ला, जिन्हें बसपा ने दिया टिकट: कुछ समय पहले जब शहर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने को लेकर घोषणा की गई थी, तो बसपा ने सीसामऊ में रहने वाले व्यापारी रवि गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि, दो दिन पहले ही अचानक बसपा ने ब्राह्मण कार्ड चलते हुए वीरेंद्र शुक्ला को अपना प्रत्याशी बना दिया.

गुरुवार को बसपा की ओर से जो उपचुनाव को लेकर सभी प्रत्याशियों की सूची जारी की गई, उसमें कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में वीरेंद्र शुक्ला का ही नाम था. बसपा के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का कहना है वह अपने प्रत्याशी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और उनकी पूरी कोशिश होगी कि बसपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें. हालांकि वीरेंद्र शुक्ला को लेकर कोई भी कार्यकर्ता और पदाधिकारी कुछ खास बोलने को तैयार नहीं है. वहीं वीरेंद्र शुक्ला बसपा की ओर से अब यह पहला चुनाव लड़ेंगे.

पूर्व सांसद ने बेटी के लिए लगाई थी प्रतिष्ठा: भारतीय जनता पार्टी ने सीसामऊ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर गुरुवार शाम करीब पांच बजे के लगभग सुरेश अवस्थी को जहां अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया, तो वहीं गुरुवार सुबह तक भारतीय जनता पार्टी के अंदर यह चर्चा थी कि पार्टी की ओर से राकेश सोनकर को अपना प्रत्याशी बनाया जा सकता है.

क्या भाजपा को डेंट लगाएगी बसपा: अभी तक राजनीतिक गलियारों में बसपा को भाजपा की बी टीम माना जाता था. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार बसपा हर चुनाव में ऐसे उम्मीदवार उतारती रही है, जो सपा और कांग्रेस के वोट काटती है. लेकिन, यूपी की 9 सीट पर हो रहे उपचुनाव में खासकर कानपुर की सीसामऊ सीट पर बसपा का रवि गुप्ता का टिकट काटकर ब्राह्मण कार्ड खेलना एक अलग ही सियासी चाल के संकेत दे रहा है.

भाजपा ने भी इस सीट पर सुरेश अवस्थी के जरिए ब्राह्मण चेहरा मैदान में उतारा है. भाजपा के लिए यह सीट जीतना साख का सवाल हो गया है. भाजपा 28 साल बाद सीसामऊ में कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगा रही है. लेकिन, बसपा का ये ब्राह्मण कार्ड भाजपा को डेंट लगा सकता है. वैसे, उपचुनाव में भाजपा को डेंट लगेगा या सीसामऊ में कमल खिलेगा, इसका फैसला जनता 13 नवंबर को वोटिंग के दिन करेगी. जिसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.

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Last Updated : Oct 25, 2024, 11:59 AM IST
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