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पूर्व प्रधान ने पंचायती खाते में किया लाखों का घोटाला, 13 साल बाद केस दर्ज - Shillai Panchayat Scam

Panchayat account Fraud in Shillai: सिरमौर जिले के शिलाई में एक पूर्व प्रधान द्वारा अपने कार्यकाल में लाखों रुपयों के घोटाले का मामला सामने आया है. शिलाई में ग्राम पंचायत बेला के पूर्व प्रधान पर लाखों रुपयों के गड़बड़झाले के आरोप लगाए गए हैं.

Panchayat account Fraud in Shillai
बेला के पूर्व प्रधान पर लगे घोटाले के आरोप (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 4, 2024, 12:54 PM IST

सिरमौर: जिला सिरमौर के पुलिस थाना शिलाई में एक पूर्व पंचायत प्रधान के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. पुलिस ने ये कार्रवाई प्रदीप सिंह निवासी गांव बश्वा, शिलाई की शिकायत के आधार पर की है. पुलिस को दी शिकायत में प्रदीप सिंह ने बताया कि साल 2006 से 2011 तक साधुराम ग्राम पंचायत बेला का प्रधान रहा, जिसने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया. इसके साथ ही पंचायत के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ व कटिंग की है, जबकि मौके पर काम नहीं है.

लाखों की राशि का गड़बड़झाला

शिकायत में कहा गया कि पूर्व प्रधान ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 3,50,000 रुपए पंचायत खाते से चेक द्वारा बैंक से खुद निकाले और उनको अपने खाते में जमा करवाया है, जो कानूनन गलत है. कोई भी प्रधान पंचायत खाते से अपने खाते में या चेक द्वारा अपने लिए रुपए नहीं निकाल सकता है. शिकायत के मुताबिक संबंधित राशि का पंचायत में भी कोई हिसाब नहीं है कि ये पैसा कहां-कहां खर्च हुआ है. प्रदीप सिंह ने इस राशि में गड़बड़झाले के आरोप लगाए गए हैं. यही नहीं आरटीजीएस का रिकॉर्ड भी गुम करवाया गया है, ताकि हेराफेरी का पता न चल सके.

बश्वा निवासी ने पूर्व प्रधान पर लगाए आरोप

शिकायतकर्ता प्रदीप सिंह ने शिकायत में यह भी कहा कि पीपी मस्ट्रोल मनरेगा व जनरल कार्य, जो संबंधित प्रधान द्वारा इशू होते थे, उसमें भी कटिंग, ओवरराइटिंग और एक-एक मस्ट्रोल बिना तारीख का है और न ही कटिंग में इनिशियल है. पूर्व प्रधान ने पंचायत की जो रसीदें दी हैं, वो बिना पते की है और न ही उसमें पिता का नाम है. आरोप है कि संबंधित रसीदें भी फर्जी बनाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया है. यही नहीं आरटीजीएस का रिकॉर्ड गुम होने बाद भी पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई.

पूर्व प्रधान के कार्यकाल में हुए कामों की जांच की मांग

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया गया कि अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व प्रधान ने पंचायत में मौके पर कोई टैंक जोहड़ नहीं बनवाए हैं. जबकि कागजों में इसे दर्शाया गया है. शिकायत में मांग की गई कि पूर्व प्रधान साधुराम के कार्यकाल के दौरान पंचायत में जो भी कार्य हुए है, उसकी पूरी जांच की जाए. साथ ही रसीदों में जिन व्यक्तियों के हस्ताक्षर हुए हैं, उसकी भी प्रयोगशाला में जांच करवाई जाए.

पूर्व प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की मांग

प्रदीप सिंह ने कहा कि जब उन्हें इस पूरी हेराफेरी का पता चला, तो उन्होंने आरटीआई से रिकॉर्ड मांगा. रिकॉर्ड में पता चला कि पंचायत में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने शिकायत में पुलिस प्रशासन से मांग की है कि पूर्व प्रधान साधुराम के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और पंचायत में उसके कार्यकाल के दौरान बरती गई अनियमितताओं की जांच की जाए.

एएसपी अदिति सिंह ने पुष्टि करते हुए बताया, "शिकायत के आधार पर पूर्व प्रधान साधुराम के खिलाफ पुलिस थाना शिलाई में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है. मामले में आगामी जांच जारी है."

ये भी पढ़ें: करोड़ों के बैंक घोटाले की जांच करेगी साइबर टीम, असिस्टेंट मैनेजर न्यायिक हिरासत में

ये भी पढ़ें: मनाली में तेलंगाना के दो युवकों से ठगी, शातिर ने सिम चोरी कर बैंक से ले लिया ₹5.70 लाख का लोन

ये भी पढ़ें: विदेशी लड़की की फेसबुक आईडी बना हिमाचल के लड़के से 17 लाख ठगे, गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस भी हैरान

सिरमौर: जिला सिरमौर के पुलिस थाना शिलाई में एक पूर्व पंचायत प्रधान के खिलाफ पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. पुलिस ने ये कार्रवाई प्रदीप सिंह निवासी गांव बश्वा, शिलाई की शिकायत के आधार पर की है. पुलिस को दी शिकायत में प्रदीप सिंह ने बताया कि साल 2006 से 2011 तक साधुराम ग्राम पंचायत बेला का प्रधान रहा, जिसने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया. इसके साथ ही पंचायत के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ व कटिंग की है, जबकि मौके पर काम नहीं है.

लाखों की राशि का गड़बड़झाला

शिकायत में कहा गया कि पूर्व प्रधान ने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 3,50,000 रुपए पंचायत खाते से चेक द्वारा बैंक से खुद निकाले और उनको अपने खाते में जमा करवाया है, जो कानूनन गलत है. कोई भी प्रधान पंचायत खाते से अपने खाते में या चेक द्वारा अपने लिए रुपए नहीं निकाल सकता है. शिकायत के मुताबिक संबंधित राशि का पंचायत में भी कोई हिसाब नहीं है कि ये पैसा कहां-कहां खर्च हुआ है. प्रदीप सिंह ने इस राशि में गड़बड़झाले के आरोप लगाए गए हैं. यही नहीं आरटीजीएस का रिकॉर्ड भी गुम करवाया गया है, ताकि हेराफेरी का पता न चल सके.

बश्वा निवासी ने पूर्व प्रधान पर लगाए आरोप

शिकायतकर्ता प्रदीप सिंह ने शिकायत में यह भी कहा कि पीपी मस्ट्रोल मनरेगा व जनरल कार्य, जो संबंधित प्रधान द्वारा इशू होते थे, उसमें भी कटिंग, ओवरराइटिंग और एक-एक मस्ट्रोल बिना तारीख का है और न ही कटिंग में इनिशियल है. पूर्व प्रधान ने पंचायत की जो रसीदें दी हैं, वो बिना पते की है और न ही उसमें पिता का नाम है. आरोप है कि संबंधित रसीदें भी फर्जी बनाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया है. यही नहीं आरटीजीएस का रिकॉर्ड गुम होने बाद भी पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई.

पूर्व प्रधान के कार्यकाल में हुए कामों की जांच की मांग

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया गया कि अपने कार्यकाल के दौरान पूर्व प्रधान ने पंचायत में मौके पर कोई टैंक जोहड़ नहीं बनवाए हैं. जबकि कागजों में इसे दर्शाया गया है. शिकायत में मांग की गई कि पूर्व प्रधान साधुराम के कार्यकाल के दौरान पंचायत में जो भी कार्य हुए है, उसकी पूरी जांच की जाए. साथ ही रसीदों में जिन व्यक्तियों के हस्ताक्षर हुए हैं, उसकी भी प्रयोगशाला में जांच करवाई जाए.

पूर्व प्रधान के खिलाफ कार्रवाई की मांग

प्रदीप सिंह ने कहा कि जब उन्हें इस पूरी हेराफेरी का पता चला, तो उन्होंने आरटीआई से रिकॉर्ड मांगा. रिकॉर्ड में पता चला कि पंचायत में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने शिकायत में पुलिस प्रशासन से मांग की है कि पूर्व प्रधान साधुराम के खिलाफ केस दर्ज किया जाए और पंचायत में उसके कार्यकाल के दौरान बरती गई अनियमितताओं की जांच की जाए.

एएसपी अदिति सिंह ने पुष्टि करते हुए बताया, "शिकायत के आधार पर पूर्व प्रधान साधुराम के खिलाफ पुलिस थाना शिलाई में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है. मामले में आगामी जांच जारी है."

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