रांची: सिमडेगा एक ऐसा जिला है, जहां नगर निकाय चुनाव को लेकर कराए जा रहे ओबीसी सर्वे का काम सबसे पहले पूरा कर लिया गया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र के 20 वार्डों में पिछड़ा वर्ग के 20.58 प्रतिशत मतदाता हैं तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का प्रतिशत 21.02 है.
ओबीसी मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें तो सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र में कुल 3972 मतदाताओं में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या 6511 तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या 6373 है. सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र में कुल वार्डों की संख्या 20 है, जिसमें वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए एक, अनुसूचित जनजाति के लिए 09 तथा अनारक्षित कोटि के लिए 10 आरक्षित हैं. यहां पिछड़ा वर्ग के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं है. हालांकि इस नगर परिषद क्षेत्र में अनारक्षित के विरुद्ध पिछड़ा वर्ग के 04 प्रतिनिधि चुने गए हैं, जबकि अत्यंत पिछड़ा वर्ग के दो वार्ड प्रतिनिधि हैं.
आंकड़ों के अनुसार वार्ड संख्या 17 में सर्वाधिक 71.27% अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं, जबकि वार्ड संख्या 12 में 48.46% तथा वार्ड संख्या 15 में 43.91% अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं. जिला निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र में 20 वार्डों में कुल 30972 मतदाता हैं, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की कुल संख्या 6511 है.
फरवरी के पहले हफ्ते तक जिला स्तर पर सर्वे होगा पूरा
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ओबीसी सर्वे को अंतिम रूप देने में जुटे पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिलों को फरवरी के प्रथम सप्ताह तक सर्वे का कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है. आयोग के नोडल पदाधिकारी संजय कुमार सिंह के अनुसार जिला स्तर पर सर्वे का कार्य अंतिम चरण में है. जिला स्तर पर रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है. शिकायतों का निपटारा होने के बाद आयोग सभी जिलों से रिपोर्ट प्राप्त करेगा. सबसे पहले सिमडेगा और गुमला से रिपोर्ट आई है. जिले से रिपोर्ट आने के बाद आयोग की ओर से एक टीम जाकर इसकी सत्यता की जांच करेगी और उसके बाद इसे अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू होगी.
गौरतलब है कि ओबीसी ट्रिपल टेस्ट के कारण शहर की सरकार का चुनाव 2022 से लंबित है. इस मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर कह रही है कि जब तक ओबीसी ट्रिपल टेस्ट पूरा नहीं हो जाता, तब तक चुनाव नहीं कराए जाएंगे, जबकि पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार अप्रैल तक शहरी निकायों की चुनाव प्रक्रिया शुरू करने को मजबूर होती दिख रही है.
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