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मार्केट में छाए रेशम से बने हस्तशिल्प के उत्पाद, महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

रेशम से बने हस्तशिल्प उत्पाद मार्केट में जगह बनाने लगे हैं. जिसे लोगों द्वारा खासा पसंद भी किया जा रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Silk Department launched handicraft products
रेशम विभाग ने लॉन्च किए हस्तशिल्प के उत्पाद (Photo- ETV Bharat)

हल्द्वानी: रेशम विभाग ने पहली बार महिला सहायता समूह के माध्यम से रेशम कोये से हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर बाजारों में उतारा है. उत्तराखंड के रेशम से बने प्रोडक्ट की मार्केट में भारी मांग है. जिसे लोगों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है.

उपनिदेशक रेशम विभाग कुमाऊं हेमचंद्र ने बताया कि रेशम विभाग अभी तक किसानों को रेशम कीट पालन के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का काम कर रहा है. लेकिन पहली बार रेशम कीट पालन से तैयार हुए कोये से हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा हैं. " रेशम नई पहल स्वयं सहायता समूह" की महिलाएं उत्तराखंड के उत्पादित रेशम के कोये से देवी देवताओं के आकृतियां के अलावा, सजावटी सामान,पियोर रेशम से बने महिलाओं के आभूषण, पहाड़ की कला, संस्कृति व विभिन्न प्रकार की आकृतियां सहायता समूह की महिलाएं तैयार कर रही हैं. जो अपने आप में अनोखा है जिसकी बाजारों में खासी डिमांड है.

हस्तशिल्प रेशम उत्पाद की मार्केट में खासी मांग (Video- ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि रेशम कोये के माध्यम से हस्तनिर्मित पहली बार विभिन्न प्रकार के उत्पादन महिला सहायता समूह के माध्यम से तैयार कर रही हैं. जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही. सहायता समूह की महिलाएं अपने उत्पादन को खुले बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी कर रही है. कच्चा माल रेशम विभाग के सहयोग से समूह को उपलब्ध कराया जा रहा है. रेशम उपनिदेशक हेमचंद्र ने बताया कि आने वाले दिनों में लोगों व ब्रांड नाम को ट्रेडमार्क के रूप में विकसित किया जायेगा. विभाग का उद्देश्य है कि समूह को वृहद उद्यम के रूप में स्थापित करना है.

अन्य जनपदों में भी इस मॉडल को अपनाकर रेशम व्यवसाय से जुड़े कृषकों को लाभान्वित किया जा सके. साथ ही आने वाले समय में यह कार्य इस रूप में विकसित हो सके कि राज्य में उत्पादित होने वाले रेशम कोये की खपत राज्य के भीतर ही हो जाये, जिससे राज्य के भीतर रेशम कोये की मांग बढ़ने के क्रम में उसका मूल्य भी बढ़ेगा. जिसका सीधा लाभ कच्चा माल उत्पादित करने वाले किसानों को प्राप्त होगा. उत्तराखंड के रेशम विकास के क्षेत्र में एक ऐसा नवाचारी कार्य है, जो देश-दुनिया में उत्तराखंड की एक अलग पहचान बनाएगा.

साथ ही यहां की महिलाओं को स्वरोजगार का एक ऐसा अवसर उपलब्ध कराएगा. जिसमें विकास की असीम संभावनाएं हैं.जिसका पलायन पर भी निश्चित रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है, जिसमें सभी प्रकार के रेशम कीट का उत्पादन होता है. सभी जिलों में रेशम कीट उत्पादन का कार्य हो रहा है. अभी तक रेशम से राज्य में धागाकरण कर वस्त्र उत्पादन का कार्य तो किया जा रहा था, लेकिन पहली बार अब रेशम कोये से हस्तशिल्प के माध्यम से सजावटी व उपयोगी सामान तैयार किया जा रहा है.
पढ़ें-उत्तराखंड में किसानों को मालामाल बनाएगी रेशम, एक महीने में ऐसे कर सकते हैं छप्पर फाड़ कमाई!

हल्द्वानी: रेशम विभाग ने पहली बार महिला सहायता समूह के माध्यम से रेशम कोये से हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर बाजारों में उतारा है. उत्तराखंड के रेशम से बने प्रोडक्ट की मार्केट में भारी मांग है. जिसे लोगों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है.

उपनिदेशक रेशम विभाग कुमाऊं हेमचंद्र ने बताया कि रेशम विभाग अभी तक किसानों को रेशम कीट पालन के माध्यम से उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का काम कर रहा है. लेकिन पहली बार रेशम कीट पालन से तैयार हुए कोये से हस्तनिर्मित उत्पाद तैयार कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा हैं. " रेशम नई पहल स्वयं सहायता समूह" की महिलाएं उत्तराखंड के उत्पादित रेशम के कोये से देवी देवताओं के आकृतियां के अलावा, सजावटी सामान,पियोर रेशम से बने महिलाओं के आभूषण, पहाड़ की कला, संस्कृति व विभिन्न प्रकार की आकृतियां सहायता समूह की महिलाएं तैयार कर रही हैं. जो अपने आप में अनोखा है जिसकी बाजारों में खासी डिमांड है.

हस्तशिल्प रेशम उत्पाद की मार्केट में खासी मांग (Video- ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि रेशम कोये के माध्यम से हस्तनिर्मित पहली बार विभिन्न प्रकार के उत्पादन महिला सहायता समूह के माध्यम से तैयार कर रही हैं. जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही. सहायता समूह की महिलाएं अपने उत्पादन को खुले बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी कर रही है. कच्चा माल रेशम विभाग के सहयोग से समूह को उपलब्ध कराया जा रहा है. रेशम उपनिदेशक हेमचंद्र ने बताया कि आने वाले दिनों में लोगों व ब्रांड नाम को ट्रेडमार्क के रूप में विकसित किया जायेगा. विभाग का उद्देश्य है कि समूह को वृहद उद्यम के रूप में स्थापित करना है.

अन्य जनपदों में भी इस मॉडल को अपनाकर रेशम व्यवसाय से जुड़े कृषकों को लाभान्वित किया जा सके. साथ ही आने वाले समय में यह कार्य इस रूप में विकसित हो सके कि राज्य में उत्पादित होने वाले रेशम कोये की खपत राज्य के भीतर ही हो जाये, जिससे राज्य के भीतर रेशम कोये की मांग बढ़ने के क्रम में उसका मूल्य भी बढ़ेगा. जिसका सीधा लाभ कच्चा माल उत्पादित करने वाले किसानों को प्राप्त होगा. उत्तराखंड के रेशम विकास के क्षेत्र में एक ऐसा नवाचारी कार्य है, जो देश-दुनिया में उत्तराखंड की एक अलग पहचान बनाएगा.

साथ ही यहां की महिलाओं को स्वरोजगार का एक ऐसा अवसर उपलब्ध कराएगा. जिसमें विकास की असीम संभावनाएं हैं.जिसका पलायन पर भी निश्चित रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ही एक ऐसा राज्य है, जिसमें सभी प्रकार के रेशम कीट का उत्पादन होता है. सभी जिलों में रेशम कीट उत्पादन का कार्य हो रहा है. अभी तक रेशम से राज्य में धागाकरण कर वस्त्र उत्पादन का कार्य तो किया जा रहा था, लेकिन पहली बार अब रेशम कोये से हस्तशिल्प के माध्यम से सजावटी व उपयोगी सामान तैयार किया जा रहा है.
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