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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पसरा सन्नाटा, शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की उठी मांग - YAMUNOTRI DHAM UTTARKASHI

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में अब सन्नाटा पसर गया है. ऐसे में लोगों ने शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग उठाई.

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गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में पसरा सन्नाटा (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 10, 2024, 10:52 AM IST

उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा बंद होने के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सन्नाटा पसर जाता है. ऐसे में अगर जनपद में तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ा जाए, तो शीतकालीन चारधाम यात्रा परवान चढ़ सकती है. साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना उम्मीद के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सकी.

चारधाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों और तीर्थपुरोहितों का कहना है कि तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ने से यह योजना आगे बढ़ सकती है. अगर सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करती है, तो यहां स्थानीय लोगों को 12 माह रोजगार मिल सकता है. प्रदेश की आर्थिकी तीर्थाटन और पर्यटन पर टिकी हुई है. खासतौर पर यात्रा सीजन में चारधाम वाले जनपद उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में श्रद्धालुओं की आमद से न केवल इन जनपदों बल्कि हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश आदि बड़े शहरों के छोटे-बड़े कारोबारियों को लाभ मिलता है, लेकिन धामों में कपाटबंदी के साथ ही यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसर जाता है, जबकि धामों के केवल कपाट बंद होते हैं. मां यमुना और गंगा के दर्शन बंद नहीं होते हैं.

इनके दर्शन श्रद्धालु शीतकालीन पड़ावों क्रमश: खरसाली और मुखबा में कर सकते हैं, लेकिन शीतकालीन चारधाम यात्रा का प्रचार-प्रसार नहीं होने से यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है. अगर सरकार शीतकालीन यात्रा चलाती है, तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. स्थानीय लोगों ने सरकार से शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग की है.

चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने बताया कि बुजुर्ग तो सीजन में ही यात्रा करते हैं, लेकिन युवाओं के लिए तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़कर शीतकालीन चारधाम यात्रा की ओर आकर्षित किया जा सकता है. यहां शीतकाल में भी वरूणावत टॉप, नचिकेता ताल ट्रैक और चौरंगीखाल आदि ट्रैक मुफिद रहते हैं. यहां तक पर्यटक आएंगे तो शीतकालीन चारधाम यात्रा भी परवान चढ़ सकती है.उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए इसका प्रचार-प्रसार किया जा सकता है. इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी.

यमुनोत्री धाम की पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि शीतकालीन यात्रा की बेहतरी के लिए इसे पर्यटन से जोड़ा जाना चाहिए. इससे पर्यटक मां यमुना के शीतकाल में दर्शनों के साथ-साथ आसपास के बुग्याल और पर्यटन स्थल में बर्फबारी और प्राकृतिक नजारों का भी लुत्फ उठा सकेंगे.

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उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा बंद होने के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सन्नाटा पसर जाता है. ऐसे में अगर जनपद में तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ा जाए, तो शीतकालीन चारधाम यात्रा परवान चढ़ सकती है. साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना उम्मीद के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सकी.

चारधाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों और तीर्थपुरोहितों का कहना है कि तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ने से यह योजना आगे बढ़ सकती है. अगर सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करती है, तो यहां स्थानीय लोगों को 12 माह रोजगार मिल सकता है. प्रदेश की आर्थिकी तीर्थाटन और पर्यटन पर टिकी हुई है. खासतौर पर यात्रा सीजन में चारधाम वाले जनपद उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में श्रद्धालुओं की आमद से न केवल इन जनपदों बल्कि हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश आदि बड़े शहरों के छोटे-बड़े कारोबारियों को लाभ मिलता है, लेकिन धामों में कपाटबंदी के साथ ही यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसर जाता है, जबकि धामों के केवल कपाट बंद होते हैं. मां यमुना और गंगा के दर्शन बंद नहीं होते हैं.

इनके दर्शन श्रद्धालु शीतकालीन पड़ावों क्रमश: खरसाली और मुखबा में कर सकते हैं, लेकिन शीतकालीन चारधाम यात्रा का प्रचार-प्रसार नहीं होने से यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है. अगर सरकार शीतकालीन यात्रा चलाती है, तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. स्थानीय लोगों ने सरकार से शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग की है.

चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी ने बताया कि बुजुर्ग तो सीजन में ही यात्रा करते हैं, लेकिन युवाओं के लिए तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़कर शीतकालीन चारधाम यात्रा की ओर आकर्षित किया जा सकता है. यहां शीतकाल में भी वरूणावत टॉप, नचिकेता ताल ट्रैक और चौरंगीखाल आदि ट्रैक मुफिद रहते हैं. यहां तक पर्यटक आएंगे तो शीतकालीन चारधाम यात्रा भी परवान चढ़ सकती है.उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए इसका प्रचार-प्रसार किया जा सकता है. इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी.

यमुनोत्री धाम की पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि शीतकालीन यात्रा की बेहतरी के लिए इसे पर्यटन से जोड़ा जाना चाहिए. इससे पर्यटक मां यमुना के शीतकाल में दर्शनों के साथ-साथ आसपास के बुग्याल और पर्यटन स्थल में बर्फबारी और प्राकृतिक नजारों का भी लुत्फ उठा सकेंगे.

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