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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 19 नवंबर को होगी सुनवाई

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन के रिटायर होने के बाद अब न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ मामले की सुनवाई के लिए नामित की गई.

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में सुनवाई (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में अब 19 नवंबर को सुनवाई होगी है. मामले की सुनवाई के लिए नामित न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की पीठ बुधवार को उपलब्ध नहीं होने के कारण सुनवाई टल गई. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन के सेवानिवृत्त होने के बाद अब न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ मामले की सुनवाई के लिए नामित की गई है.

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने वाद की पोषणीयता पर फैसला सुनाया था. साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी वादों को अलग-अलग सुनवाई करने की मांग को दोनों पक्षों को सुनने के बाद खारिज कर दिया था. ऐसे में अब सभी वादों की एक साथ सुनवाई की जानी है और वाद बिंदु तय किए जाने हैं.

मुस्लिम पक्ष ने हिंदी में आदेश का किया विरोध: मुस्लिम पक्ष के वकील नासिरुज्जमा ने वादों की अलग-अलग सुनवाई करने के मामले में कोर्ट द्वारा हिंदी में दिए फैसले को अंग्रेजी में जारी करने की मांग की है. इसके लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. उन्होंने मांग की है कि 23 अक्टूबर के आदेश को अमान्य घोषित करने की मांग की है. इसके साथ ही कहा है कि रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाए कि वह हिंदी में कोई भी आदेश अपलोड न करें. हिंदी के आदेश की प्रमाणित प्रति तब तक न उपलब्ध कराई जाए जब तक अंग्रेजी में आधिकारिक अनुवाद न हो.

प्रार्थन पत्र में कहा गया है कि 23 अक्टूबर के हिंदी के आदेश को अधिकृत अंग्रेजी अनुवाद के साथ अपलोड किया जाना चाहिए था. ऐसा न करना राजभाषा अधिनियम 1963 के साथ-साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नियमों का उल्लंघन है. ऐसी चूक आदेश की वैधता पर प्रश्न उठाती है. वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार व श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी के आदेश वैध हैं. मुस्लिम पक्ष की मांग गलत है. मुस्लिम पक्ष मामले को सिर्फ लंबित रखना चाहता है. इसीलिए वह तरह-तरह के आवेदन दाखिल कर रहा है.

रिकॉल आवेदन खारिज होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने यह नया आवेदन दाखिल किया है. यह भी खारिज करने योग्य है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष व पक्षकार आशुतोष पांडेय ने कहा कि अब न्यायालय को मुकदमे में वादबिंदु तय करना है. ऐसे में मुस्लिम पक्ष चाहता है कि मुकदमे की कार्रवाई आगे न बढ़ पाए, इसलिए अनावश्यक आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट में इरफान सोलंकी मामले में बचाव पक्ष की बहस पूरी, कल राज्य सरकार पेश करेगी दलील

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में अब 19 नवंबर को सुनवाई होगी है. मामले की सुनवाई के लिए नामित न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की पीठ बुधवार को उपलब्ध नहीं होने के कारण सुनवाई टल गई. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन के सेवानिवृत्त होने के बाद अब न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ मामले की सुनवाई के लिए नामित की गई है.

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने वाद की पोषणीयता पर फैसला सुनाया था. साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से सभी वादों को अलग-अलग सुनवाई करने की मांग को दोनों पक्षों को सुनने के बाद खारिज कर दिया था. ऐसे में अब सभी वादों की एक साथ सुनवाई की जानी है और वाद बिंदु तय किए जाने हैं.

मुस्लिम पक्ष ने हिंदी में आदेश का किया विरोध: मुस्लिम पक्ष के वकील नासिरुज्जमा ने वादों की अलग-अलग सुनवाई करने के मामले में कोर्ट द्वारा हिंदी में दिए फैसले को अंग्रेजी में जारी करने की मांग की है. इसके लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. उन्होंने मांग की है कि 23 अक्टूबर के आदेश को अमान्य घोषित करने की मांग की है. इसके साथ ही कहा है कि रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाए कि वह हिंदी में कोई भी आदेश अपलोड न करें. हिंदी के आदेश की प्रमाणित प्रति तब तक न उपलब्ध कराई जाए जब तक अंग्रेजी में आधिकारिक अनुवाद न हो.

प्रार्थन पत्र में कहा गया है कि 23 अक्टूबर के हिंदी के आदेश को अधिकृत अंग्रेजी अनुवाद के साथ अपलोड किया जाना चाहिए था. ऐसा न करना राजभाषा अधिनियम 1963 के साथ-साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नियमों का उल्लंघन है. ऐसी चूक आदेश की वैधता पर प्रश्न उठाती है. वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार व श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हिंदी के आदेश वैध हैं. मुस्लिम पक्ष की मांग गलत है. मुस्लिम पक्ष मामले को सिर्फ लंबित रखना चाहता है. इसीलिए वह तरह-तरह के आवेदन दाखिल कर रहा है.

रिकॉल आवेदन खारिज होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने यह नया आवेदन दाखिल किया है. यह भी खारिज करने योग्य है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष व पक्षकार आशुतोष पांडेय ने कहा कि अब न्यायालय को मुकदमे में वादबिंदु तय करना है. ऐसे में मुस्लिम पक्ष चाहता है कि मुकदमे की कार्रवाई आगे न बढ़ पाए, इसलिए अनावश्यक आवेदन दाखिल किए जा रहे हैं.

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