कुल्लू: सनातन धर्म के अनुसार भगवान भोलेनाथ को साल में श्रावण मास सबसे प्रिय है. श्रावण मास में भक्त भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजा एवं आराधना करते हैं. इस साल श्रावण मास 21 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे शुरू हो जाएगा और 19 अगस्त को श्रावण मास पूर्णिमा के साथ संपन्न होगा.
श्रावण मास के अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों में भक्त कावड़ में मां गंगा का जल लाकर भगवान शिव का भी अभिषेक करते हैं. वहीं, शिव मंदिरों में भी एक माह तक विभिन्न प्रकार के पूजा कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 जुलाई को दोपहर 3:45 से शुरू होगी जो 22 जुलाई को दोपहर 1: 11 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 22 जुलाई से श्रावण मास का शुभारंभ हो जाएगा और श्रावण मास की पूर्णिमा के साथ ही इसका समापन भी किया जाएगा.
आचार्य आशीष शर्मा का कहना है कि श्रावण मास में 72 साल के बाद कुछ दुर्लभ संयोग भी बना रहे हैं और श्रावण मास की शुरुआत भी सोमवार के साथ हो रही है. वही, खास बात यह है कि श्रावण मास का समापन भी सोमवार के दिन पर होगा. ऐसे में इस बार श्रावण मास में कुल पांच सोमवार आ रहे हैं और इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहा है. इसके अलावा कुबेर योग, मंगल गुरु युति, शुक्राचार्य योग, बुध आदित्य, लक्ष्मी नारायण योग, गजकेसरी योग और शश राजयोग भी बना रहे हैं.
आचार्य आशीष शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है और पूरे माह भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का भी विधान है. ऐसे में सोमवार के दिन भक्त व्रत भी रखते हैं और श्रावण मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है, जिसमें मां पार्वती की पूजा करने का भी विधान है. श्रावण मास में जो भक्त भगवान शिव माता पार्वती की पूजा करते हैं. उन्हें हर समस्या से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख शांति मिलती है.
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