जयपुर. राज्य सरकार ने प्रदेश में मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत गठित सलाहकार सह राज्य स्तरीय प्राधिकरण समिति की पिछले एक वर्ष से बैठक आयोजित नहीं किए जाने पर समिति के अध्यक्ष सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ राजीव बगरहट्टा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. चिकित्सा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि समिति को मानव अंग प्रत्यारोण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समय-समय पर आवश्यक बैठकें आयोजित करनी थीं, लेकिन यह संज्ञान में आया है कि विगत एक वर्ष से नियामनुसार बैठकें आयोजित नहीं की गईं. बैठकें आयोजित नहीं करने के संबंध में समिति के अध्यक्ष डॉ बगरहट्टा से 3 दिवस में स्पष्टीकरण मांगा गया है.
5 सदस्यीय कमेटी गठित: मानव अंग प्रत्यारोपण की फर्जी एनओसी मामले एवं निजी अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण प्रकरण के संबंध में जांच के लिए चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है. यह समिति 15 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करेगी. शुभ्रा सिंह ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में गठित इस उच्च स्तरीय कमेटी में रजिस्ट्रार राजस्थान मेडिकल कौंसिल, मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण के प्राधिकृत अधिकारी, वरिष्ठ विधि परामर्शी तथा शासन उप सचिव चिकित्सा शिक्षा को सदस्य एवं नोडल अधिकारी-एनओटीपी को सदस्य सचिव के रूप में शामिल किया गया है. यह समिति अंग प्रत्यारोण की फर्जी एनओसी प्रकरण, निर्धारित प्रावधानों के तहत मानव अंग प्रत्यारोपण के लिए पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों के संबंध में निदेशक जनस्वास्थ्य द्वारा गठित निरीक्षण दलों के माध्यम से प्राप्त सत्यापित रिकॉर्ड की विस्तृत जांच करेगी.
कमेटी हो सकती है भंग: राजस्थान में अंग प्रत्यारोपण को लेकर जो कमेटी सरकार ने बनाई है, उसे अब भंग किया जा सकता है. मामले को लेकर एसीएस ने कहा कि हमने कमेटी भंग करने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है और निश्चित तौर पर कोई ठोस कदम इस पूरे मामले को लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से उठाया जाएगा. हालांकि राजस्थान में अंग प्रत्यारोपण को लेकर कोई रैकेट चल रहा है. इससे चिकित्सा विभाग इनकार कर रहा है, लेकिन जिस तरह से हरियाणा पुलिस ने एक रैकेट का पर्दाफाश किया है उसके बाद एसीबी की जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि आखिर कौन-कौन लोग इस फर्जी एनओसी प्रकरण से जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही चिकित्सा विभाग ने उन अस्पतालों से रिकॉर्ड मांगा है जो अंग प्रत्यारोपण के लिए रजिस्टर किए गए है.