आगरा: देश में अब भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से सर्टिफायड फुटवियर की बाजार में बिक्री हो पाएगी. बीआईएस की ओर से क्वालिटी कंट्रोल ऑडिट (क्यूसीओ) लागू करने की योजना है. जिसकी वजह से अब एक अगस्त से पहले की तुलना में 5% तक जूते और चप्पल महंगे हो जाएंगे. जिसका असर हर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा. वैसे अभी क्यूसीओ के दायरे में 50 करोड़ से अधिक टर्न ओवर वाली शूज इकाइयां हैं. जिससे आगरा में 60 प्रतिशत शूज कारोबार इससे प्रभावित होगा. सरकार की मंशा कुछ समय बाद क्यूसीओ के दायरे में छोटे शूज कारोबारी भी लाने की है. इसलिए आगरा में छोटे शूज कारोबारी अभी से क्यूसीआई के विरोध में हैं. उनका कहना है कि सरकार ने पहले शूज पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया. अब क्यूसीओ के लागू होने से आगरा के शूज कारोबार पर प्रतिकूल असर होगा.
बीआईएस को लागू नहीं होने देंगेः आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार गुप्ता ने कहा कि आगरा में जूता एक कुटीर उद्योग है. घर-घर में शूज बनता है. ऐसे में बीआईएस लागू होने से करीब तीन लाख लोग इससे प्रभावित होंगे. कुटीर उद्योग करने वाले बीआईएस के मुताबिक, जूता नहीं बना पाएंगे. यदि नियमों का पालन करेंगे तो जूते और चप्पल की कीमत अधिक होगी. इस कीमत पर उन्हें खरीददार नहीं मिलेंगे. क्योंकि, दिल्ली और अन्य जगह पर कम कीमत पर जूते और चप्पल मिलेंगे. उन्होंने कहा कि हम बीआईएस को लागू नहीं होने देंगे.
कुटीर उद्योग खत्म हो जाएंगेः शूज कारोबारी नारायण बैरानी ने कहा कि बीआईएस के तहत क्यूआईसी लागू होने से आगरा का कुटीर उद्योग खत्म हो जाएंगे. घर-घर में जूते और चप्पल बनाने के कारखाना बंद हो जाएंगे. जिससे लाखों परिवार बेरोजगार होंगे. इसके साथ ही बीआईएस लागू होने से शूज कारोबार में चाइना के मुकाबले में भारत पीछे हो जाएगा. इसलिए, सरकार को पहले इस पर विचार करना चाहिए. फुटवियर उद्योग से जुड़े लोगों के साथ बैठकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए. इसके बाद भी इसे लागू करना चाहिए.
पहले जीएसटी और अब क्यूआईसी से कारोबारी परेशानः आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष विजय सामा का कहना है कि पहले ही सरकार ने शूज पर जीएसटी 12 प्रतिशत कर दी है. जिससे आगरा के शूज कारोबारी परेशान हैं. शूज कारोबारी अभी से जीएसटी कम करने की सराकर से मांग कर रहे हैं. सरकार की ओर से एक अगस्त से देश भर में क्वालिटी कंट्रोल ऑडिट (क्यूसीओ) लागू करने जा रही है. क्यूसीओ लागू होने से आगरा के छोटे-छोटे शूज कारीगर और कारोबारी के ऊपर रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा. जिससे शहर लगभग 10 लाख लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शूज कारोबार से पर निर्भर हैं.
मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पर जोरः आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चर्रस एंड एक्सपोर्ट चैबर के अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि सरकार की ओर से देश में लागू किए जा रहे बीआईएस से चीन, वियतनाम सहित दूसरे देशों से आने वाले कम दाम और गुणवत्ताहीन जूतों पर लगाम लगेगी. देश में सरकार एक दर निर्धारित करने जा रही है. जिससे कम मूल्य के जूता, चप्पल आयात नहीं होंगे. सरकार ने जूता उद्यमियों को भी अभी दो वर्ष तक अपना पुराना स्टाक बेचने की राहत दी है. केंद्र सरकार का पूरा जोर मेड इंडिया और आत्म निर्भर भारत पर है. जिससे देश में दूसरे देश से सस्ते और गुणवत्ताहीन जूते नहीं आएंगे तो देश के हर फुटवियर निर्माताओं को फायदा होगा.
60 फीसदी लोग पहनते हैं आगरा के जूते
बता दें कि आगरा में करीब 10 हज़ार से ज्यादा छोटे-बड़े जूते-चप्पल के कारखाने हैं. जिससे करीब दस लाख लोग और 4 लाख से ज्यादा परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हैं. हर दिन आगरा में पांच लाख जोड़ी जूता तैयार होता है. आगरा का बाना ही जूता देश के 65 से 70 फीसद लोग पहनते हैं. शूज कारोबार पर बीआईएस लागू करने से पहले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को दिल्ली में देशभर के प्रमुख जूता उद्यमियों के साथ बैठक की. जिसमें बीआईएस को लेकर चर्चा की. तमाम बिंदुओं और आशंकाओं पर चर्चा व मंथन किया गया. बैठक में जूता उद्यमियों के बिंदुओं को सुना और अपनी ओर से कुछ सुझाव दिए.
ये है बीआईएस
बता दें कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) एक मानक है. जो वर्ष 2016 अधिनियम के तहत यह बनाया गया है. मानक के तहत विभिन्न उत्पादों को ग्राहकों के लिए सुरक्षित और गुणवत्तापरक बनाने का कार्य किया जाता है. सुरक्षा वाले उत्पादों पर आईएसआई और सोने के उत्पादों पर हॉलमार्क का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही इलेक्ट्रानिक उत्पादों पर आर-नंबर से प्रमाणित किया जाता है.